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अब नहीं बचेगा चीन: इन 4 शक्तिशाली देशों ने किया बड़ा एलान, कांपा ड्रैगन
चीन अपनी निरंकुश, दमनकारी और साम्राज्यवादी नीतियों के कारण पूरी दुनिया में घिरता जा रहा है। दुनिया के चार प्रमुख देशों ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने का फैसला किया है।
नई दिल्ली: चीन अपनी निरंकुश, दमनकारी और साम्राज्यवादी नीतियों के कारण पूरी दुनिया में घिरता जा रहा है। दुनिया के चार प्रमुख देशों ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने का फैसला किया है। इस सिलसिले में क्वाड के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 6 अक्टूबर को जापान की राजधानी टोक्यो में होगी।
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क्वाड के सदस्य देशों में भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। हाल के दिनों में इन सभी देशों ने चीन के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है।
टोक्यो की बैठक में भारत भी लेगा हिस्सा
जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने बताया कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन के बढ़ते असर को रोकने के लिए रणनीति बनाने पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि बढ़ाने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति पर कूटनीतिक बातचीत होगी। मोतेगी ने बताया कि इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिज पायने और वे खुद हिस्सा लेंगे।
विदेश मंत्रियों में द्विपक्षीय बातचीत भी होगी
दुनिया में कोरोना महामारी फैलने के बाद यह जापान की ओर से आयोजित पहला मंत्री स्तरीय सम्मेलन होगा। जापान के विदेश मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय मामलों में अपने विचारों को साझा करने का यह उचित समय है और चारों देशों के विदेश मंत्री विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बातचीत भी होगी।
चीन की खतरनाक चाल से सभी सतर्क
हाल के दिनों में हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन अपना दबदबा बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। चीन की खतरनाक चाल को भांपते हुए भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया ने क्षेत्र में शांति और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाया है।
चारों देशों का कहना है कि समुद्र और आसमान में आवाजाही की स्वतंत्रता, विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा और कानून के शासन का पालन किया जाना चाहिए।
कनाडा में भी चीन के खिलाफ गुस्सा भड़का
इस बीच कनाडा में भी चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वैकूवर स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास के बाहर कई संगठनों की ओर से विरोध प्रदर्शन कर चीन की नीतियों का विरोध किया गया। प्रदर्शनकारी कनाडाई नागरिकों के गिरफ्तारी और हांगकांग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का विरोध कर रहे थे। उन्होंने नारेबाजी करते हुए हांगकांग तिब्बत व भारतीयों को चीन के कब्जे से मुक्त करने की मांग भी की।
फ्रेंड्स ऑफ कनाडा-इंडिया के मनिंदर गिल ने कहा कि चीन के नए कानून से अभिव्यक्ति की आजादी, आम लोगों की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता पूरी तरह खतरे में पड़ गई है। चीन दमनकारी नीतियों को लागू कर रहा है जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने दमनकारी नीतियों के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की कड़ी निंदा की।
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अमेरिका ने चीनी कंप्यूटर चिप पर लगाई रोक
इस बीच अमेरिका ने चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की अपनी नीति को जारी रखा है। अमेरिका ने चिप बनाने वाली चीनी कंपनी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (एसएमआईसी) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय ने चीनी सेना द्वारा इन चिपों के इस्तेमाल का खतरा बताते हुए यह कदम उठाया है। चीन की ओर से अमेरिका को काफी संख्या में चिपों का निर्यात किया जाता है। अमेरिका की ओर से उठाए गए इस कदम से चीन को करारा झटका लगा है।
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