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अंतर्राष्ट्रीय रंगभेद उन्मूलन दिवस: आज है रंगभेद के खिलाफ संकल्प लेने का दिन

इस दिवस का उद्देश्य है समाज में समानता लाने के लिए जागरूकता लाई जाए। इसीलिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को विश्व भर में नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है ।

Newstrack
Published on: 21 March 2021 11:11 AM IST
अंतर्राष्ट्रीय रंगभेद उन्मूलन दिवस: आज है रंगभेद के खिलाफ संकल्प लेने का दिन
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आज है रंगभेद के खिलाफ संकल्प लेने का दिन (PC: social media)

नई दिल्ली: आज अंतर्राष्ट्रीय रंगभेद उन्मूलन दिवस मनाया जा रहा है। ये दिवस 21 मार्च 1960 को साउथ अफ्रीका की एक घटना से जुड़ा है जिसमें पुलिस की गोलीबारी में 69 लोग मारे गये थे। साउथ अफ्रीका के शार्पविली में उस दिन पुलिस ने रंगभेद के ख़िलाफ़ छात्रों के प्रदर्शन पर गोलियां चलाई थीं।

इस घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व भर ने किसी के भी अधिकार का हनन रोके जाने हेतु दिवस मनाये जाने का आग्रह किया एवं 1966 में जातीय भेदभाव के उन्मूलन के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया गया। यूनेस्को द्वारा जातीय भेदभाव के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

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इस दिवस का उद्देश्य है समाज में समानता लाने के लिए जागरूकता लाई जाए। इसीलिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को विश्व भर में नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है । संयुक्त राष्ट्र ने 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय दिनों की अपनी सूची में शामिल किया है। इस दिवस का संकल्प वाक्य है कि किसी भी प्रकार का नस्लीय भेदभाव निंदनीय है और वैश्विक समुदाय नस्ली भेदभाव को अपनी जड़ों से दूर करने के लिए दृढ़ है, जहां भी यह दुनिया में मौजूद हो।

क्या है नस्लीय भेदभाव

किसी व्यक्ति या समुदाय से उसके जाति, रंग, नस्ल इत्यादि के आधार पर घृणा करना या उसे समान्य मानवीय अधिकारों से वंचित करना नस्लीय भेदभाव कहलाता है। भारत देश में किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकने के लिए संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 15 को बनाया है। अनुच्छेद 15 केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान, या इनमें से किसी के ही आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है।

racism racism (PC: social media)

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महत्वपूर्ण तथ्य

-वर्ष 2016 के अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस का विषय था- डरबन घोषणापत्र एवं कार्य योजना की उपलब्धियां एवं चुनौतियां।

-सितंबर 2016 को संयुक्त राष्ट्र ने 'टूगेदर' नामक कार्यक्रम आरंभ किया था जिसका उद्देश्य एक -दूसरे के लिए सम्मान, प्रेम, सुरक्षा तथा आदर की भावना बनाना है। इसी उद्देश्य को लेकर, संयुक्त राष्ट्र ने जातीय भेदभाव के खिलाफ अन्य कार्यक्रम भी लॉन्च किये।

-संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा भी वर्ष 2016 में 'स्टैंड अप फॉर समवन्स राइट्स टुडे' नामक अभियान आरंभ किया गया ताकि हम उन लोगों की सहायता कर सकें जिन्हें उनके अधिकार नहीं मिल रहे अथवा उनका हनन किया जा रहा है।

-वर्ष 2001 में डरबन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान नस्लवाद के खिलाफ विश्व सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें नस्लीय भेदभाव, विद्वेष और संबंधित असहिष्णुता पर कार्ययोजना तैयार की गयी।

-संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1966 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए किये जा रहे प्रयासों को बढ़ाने हेतु आह्वान किया।

-डरबन घोषणापत्र एवं कार्य योजना को वर्ष 2001 में आयोजित नस्लवाद, नस्ली भेदभाव, विद्वेष और संबंधित असहिष्णुता के खिलाफ विश्व सम्मेलन में अपनाया गया। यह नस्लवाद, असहिष्णुता एवं भेदभाव के संबंधित रूपों से लड़ने के लिए सबसे व्यापक रूप से तैयार की गयी रूपरेखा है। यह विश्व समुदाय द्वारा भेदभाव एवं असिष्णुता के खिलाफ लिए गये संकल्प को दर्शाती है। इसके मेनिफेस्टो में नस्लवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से विभिन्न उपायों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल की गयी है जिसमें सभी समुदायों के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव को रोकने हेतु उपाय शामिल हैं। इस दस्तावेज़ में पीड़ितों को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में स्वतंत्रता देने और समानता से भाग लेने के अधिकार पर जोर दिया गया है।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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