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नेपाल में राजनैतिक संकटः ओली-प्रचंड गुटों में संघर्ष तेज, जाने संसद भंग होगी या नहीं
संसद भंग करने के प्रधानमंत्री ओली के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 12 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र एसजेबी राणा सभी याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेजने का आदेश दिया। संविधान पीठ में पांच जज शामिल होंगे।
काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर सभी याचिकाओं का निपटारा संविधान पीठ करेगी। इस बीच सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए प्रचंड और ओली गुटों के बीच संघर्ष और तेज हो गया है। दोनों गुटों के बीच संघर्ष से तेज होने के साथ ही नेपाल का सियासी संकट और गहराता जा रहा है।
पुष्प कमल दहल प्रचंड के गुट ने ओली को संसदीय दल के नेता के पद से हटाकर प्रचंड को संसदीय दल का नया नेता चुन लिया है। सत्तारूढ़ पार्टी का अध्यक्ष और संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद प्रचंड ज्यादा प्रभावी हो गए हैं क्योंकि उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के ज्यादा सदस्यों का समर्थन हासिल है।
प्रधान न्यायाधीश ने दिया आदेश
संसद भंग करने के प्रधानमंत्री ओली के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 12 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र एसजेबी राणा सभी याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेजने का आदेश दिया। संविधान पीठ में पांच जज शामिल होंगे। पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश राणा खुद करेंगे तथा चार अन्य न्यायाधीशों का चयन भी वही करेंगे।
इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकीलों ने दलील पेश की कि पीएम ओली के पास संसद को भंग करने का कोई अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक सरकार के गठन की संभावना रहने पर संसद को भंग नहीं किया जा सकता।
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वैकल्पिक सरकार का रास्ता तलाशा जाए
एक याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि चुनाव का फैसला लेने से पहले वैकल्पिक सरकार के गठन का रास्ता तलाशा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ओली प्रतिनिधि सभा को अचानक भंग करके वैकल्पिक सरकार के गठन की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार ही नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने ओली के फैसले के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया मगर शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश राणा ने इस महत्वपूर्ण मामले को संविधान पीठ को सौंपने का आदेश दिया। संविधान पीठ शुक्रवार से इस मामले की सुनवाई शुरू करेगी।
प्रचंड को चुना संसदीय दल का नेता
इस बीच सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए प्रचंड और ओली गुटों के बीच संघर्ष और तेज हो गया है। पार्टी के अध्यक्ष चुने जा चुके प्रचंड को पीएम ओली के स्थान पर संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। संसद भवन में हुई प्रचंड गुड की बैठक में वरिष्ठ नेता और पार्टी के सह अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल ने प्रचंड को नया नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा जिसे सभी सदस्यों ने समर्थन देते हुए पारित कर दिया।
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नई सरकार के गठन की प्रचंड की कोशिश
प्रचंड के अगुवाई वाली केंद्रीय कमेटी ओली को पहले ही अध्यक्ष पद से हटा चुकी है। प्रचंड गुट ने ओली के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भी फैसला किया है। प्रचंड का कहना है की मौजूदा समय में उनकी पहली प्राथमिकता भंग की गई प्रतिनिधि सभा को फिर से बहाल करने और नई सरकार के गठन की है। उन्होंने कहा कि मैं सभी लोकतांत्रिक ताकतों और राजनीतिक दलों को एकजुट करने की कोशिश में जुटा हूं ताकि देश के सामने मौजूद सियासी संकट को टाला जा सके और सभी गतिविधियों का संचालन सुचारू रूप से शुरू हो चुके।
पार्टी पर नियंत्रण के लिए संघर्ष और तेज
प्रचंड ने संसदीय दल का नेता चुने जाने पर सभी सांसदों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मौजूदा समय काफी चुनौतीपूर्ण है और ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में मुझको बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। दोनों गुटों के आमने-सामने आ जाने के बाद अब पार्टी के चुनाव चिन्ह और पार्टी पर प्रभुत्व को लेकर खुला संघर्ष शुरू हो गया है। दोनों खेमों की ओर से पार्टी पर नियंत्रण कायम करने के लिए रणनीति बनाने का काम चल रहा है। प्रचंड गुट ने चुनाव आयोग से भी संपर्क साधा है और दलील दी है कि उसके पास दो तिहाई सदस्यों का बहुमत हासिल है। इसलिए चुनाव आयोग को इस मसले पर गौर करते हुए प्रचंड गुट कोई आधिकारिक तौर पर पर मान्यता देनी चाहिए।
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प्रचंड को अधिकांश सदस्यों का समर्थन हासिल
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी में 446 सदस्य हैं और इनमें से 313 सदस्य प्रचंड के नेतृत्व वाले खेमे की ओर से बुलाई गई बैठक में मौजूद थे। इस बैठक के बाद पार्टी की स्थाई कमेटी के सदस्य लीलामणि पोखरेल ने कहा कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर हमारा हक है क्योंकि पार्टी के अधिकांश सदस्यों का समर्थन हमारे गुट को ही हासिल है। दूसरी ओर ओली के नेतृत्व वाल वाला गुट भी चुनाव आयोग पहुंच गया है। इस गुट ने भी चुनाव आयोग को आवेदन देकर उनकी पार्टी को आधिकारिक मान्यता देने की मांग की है।
ओली के फैसले के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन
इस बीच संसद भंग करने के ओली के फैसले के खिलाफ नेपाल में देशभर में बुधवार को प्रदर्शन किए गए। जनता समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने काठमांडू सहित कई शहरों में सरकार विरोधी रैलियां आयोजित कर ओली पर हमला बोला। मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने भी ओली सरकार के फैसले का विरोध किया है। नेपाली कांग्रेस का कहना है कि ओली ने अचानक संसद भंग करके देश को बड़े सियासी संकट में फंसा दिया है।
अंशुमान तिवारी