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गूगल के 225 स्टाफ ने गुपचुप तरीके से किया ऐसा काम, कम्पनी के खड़े हो गए कान
यूनियन के उपाध्यक्ष व इंजीनियर चिवी शॉ के मुताबिक इस यूनियन का मकसद प्रबंधन पर दबाव बनाकर कर्मचारियों की कार्यस्थल की समस्याएं दूर करने का होगा।
सैन फ्रांसिस्को: गूगल में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी अब अपना यूनियन बना लिया है। यूनियन कर्मचारियों के लिए बेहतर वेतन, नौकरी की सुविधाओं और अच्छे वर्क कल्चर के लिए काम करेगी।
सैन फ्रांसिस्को में कर्मचारी यूनियन बनाई है। जिसमें गूगल के 225 इंजीनियर और कर्मचारी शामिल है। बता दें कि गूगल दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों में शामिल है।
बताया जा रहा है कि अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में ऐसा पहली बार हुआ है। क्योंकि अमेरिका में कंपनियां अपने यहां यूनियन बनने नहीं देना चाहती, ऐसी किसी भी प्रयास को दबा देती है।
इसी वजह से गूगल के कर्मचारियों ने गुपचुप तरीके से यूनियन बनाई और दिसंबर में पदाधिकारियों का चुनाव करके इसके नाम मालिकाना कंपनी अल्फाबेट के नाम पर अल्फाबेट वर्कर्स यूनियन रख लिया।
गूगल के 225 स्टाफ ने गुपचुप तरीके से किया ऐसा काम, कम्पनी के खड़े हो गए कान (फोटो: सोशल मीडिया)
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गूगल में करीब 2.60 लाख कर्मचारी कार्यरत
ध्यान देने वाली बात ये है कि गूगल में करीब 2.60 लाख कर्मचारी स्थायी या संविदा पर काम करते हैं। जिसमें से केवल 225 स्टाफ ने यूनियन ज्वाइन की है। आज भले ही यूनियन को बहुत छोटा जरूर समझा जायें लेकिन इसे एक शुरुआत के तौर पर देखा जा सकता है।
यूनियन के उपाध्यक्ष व इंजीनियर चिवी शॉ के मुताबिक इस यूनियन का मकसद प्रबंधन पर दबाव बनाकर कर्मचारियों की कार्यस्थल की समस्याएं दूर करने का होगा। उनका फोकस कर्मचारियों के वेतन से लेकर बड़े स्तर पर प्रभाव डाल रहे मुद्दों का समाधान करना होगा।
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गूगल के 225 स्टाफ ने गुपचुप तरीके से किया ऐसा काम, कम्पनी के खड़े हो गए कान (फोटो: सोशल मीडिया)
गूगल ने दिया ये जवाब
वहीं गूगल की पीपल्स ऑपरेशन निदेशक कारा स्लवरस्टीन का कहना है कि संस्थान ने हमेशा कर्मचारियों के लिए सहयोगपूर्ण और कमाई देने वाला माहौल बनाने की कोशिश की है। कर्मचारी श्रम कानूनों के तहत आते हैं, लेकिन संस्थान खुद उनसे बात करके उनकी समस्याओं का समाधान निकालता रहेगा।
बता दें कि इससे पहले अमेरिका की श्रम नियामक संस्था ने गूगल पर आरोप लगाया था कि वो कर्मचारियों से गैरकानूनी तरीके से पूछताछ कर रहा है।
इनमें से कई लोगों ने कंपनी की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था और एक संगठन बनाने की कोशिश की थी। इसके बाद उन्हें कम्पनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।वहीं इस पूरे मामले में गूगल का कहना है कि उसे यकीन है कि उसकी ओर से उठाए गए सभी कदम वैध हैं।
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