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कुदरत की ताकत ‘रेतीले तूफान' के आगे झुका ड्रैगन

पिछले 10 सालों में चीन में आने वाला सबसे भीषण रेतीला तूफान था, जिसने चीन की राजधानी बीजिंग सहित कई उत्तरी और पश्चिमी इलाकों को अपनी रेतीले और धूल भरी हवाओं से पूरे वायु मंडल को पीली चादर में लपेट लिया था।

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Published on: 17 March 2021 1:55 PM IST
कुदरत की ताकत ‘रेतीले तूफान के आगे झुका ड्रैगन
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कुदरत की ताकत ‘रेतीले तूफान' के आगे झुका ड्रैगन

दीपिका जायसवाल

नई दिल्ली: सोमवार को चीन के पड़ोसी देश मंगोलिया के गोबी रेगिस्तान से उठने वाले रेतीले तूफान ने चीन की राजधानी बीजिंग और उत्तरी इलाकों के कई शहर गांसू, शांक्शी, डुबेई प्रांतों को प्रभावित किया । यह पिछले 10 सालों में चीन में आने वाला सबसे भीषण रेतीला तूफान था, जिसने चीन की राजधानी बीजिंग सहित कई उत्तरी और पश्चिमी इलाकों को अपनी रेतीले और धूल भरी हवाओं से पूरे वायु मंडल को पीली चादर में लपेट लिया था। जिसके कारण 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी से दिखने वाला सूरज भी गायब हो चुका था।

पूरा शहर येलो स्ट्राम की धूल भरी रेतीली आंधी की गिरफ्त में आ चुका था। जिसकी वजह से चीन में एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 तक पहुंच गया था। रविवार को इनर मंगोलिया से उठने वाले रेतीले तूफान से अब तक 341 लोग लापता हो चुके हैं जिसके तहत सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखकर बीजिंग में 400 उड़ानें को भी रद्द कर दिया गया है।

बीजिंग मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जनता को येलो स्ट्राम के प्रभाव से बचने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं जिसके अनुसार जनता से अनावश्यक कार्य से बाहर ना निकलने और सुरक्षित मास पहनकर निकलने की सलाह दी गई है।

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रेतीले तूफान का कारण

वैज्ञानिकों के अनुसार मरुस्थल अथवा अर्ध शुष्क क्षेत्रीय में प्रवाहित होने वाली आंधी जिसके कारण प्राय: भूपृष्ठ पर तथा 15 मीटर ऊपर तक सघन धूल और रेत के कणों के बादल उड़ते हैं इसमें उड़ने वाली बालू का अपरदन होता है जिसके कारण या आम लोगों पर इसका प्रभाव बहुत ही पड़ता है। चीन एक ऐसा राष्ट्र है जो की धूल रेत की आंधी और मरुस्थलीकरण से बहुत ही अधिक प्रभावित है।

चीन का 27.9% भाग मरुस्थल प्रभावित है । जिसमें चीन के उत्तर पश्चिम उत्तर और पूर्वी इलाके मरुस्थल प्रभावित है जिसका मुख्य कारण लंबे समय तक सूखा पड़ना, बढ़ती जनसंख्या का दबाव और पुनः वनस्पति की पद्धति का सीमित उपयोग, रेगिस्तान का क्षेत्रफल बढ़ाने में मदद करता है।

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चीन लगातार आने वाले रेतीले तूफान का कारण मंगोलिया स्थित गोबी रेगिस्तान को बताता रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग और विकास के कारण मंगोलिया के पारिस्थितिकी समस्याएं दिन भर पैदा हो रही हैं। देश की लगभग 70% भूमि मरुस्थलीकरण का सामना कर रही है, हालांकि चीन ने गोबी रेगिस्तान से उठने वाले इस रेतीले तूफान से बचने के लिए शेल्टर बेल्ट जैसी पद्धति का उपयोग किया है इस पद्धति में पेड़ों को एक श्रृंखला या दीवार के संरचना में उगाया जाता है, जो कि रेतीले हवाओं की दिशा को मोड़ने का काम करती है और इससे होने वाले नुकसान से भी बचाती है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों से यह शेल्टरबेल्ट्स इन रेतीली आंधियों को रोकने में कारगर साबित हुआ है लेकिन या भयंकर रेतीले तूफानों को रोकने में असमर्थ है।

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विश्व मौसम विज्ञान ब्यूरो के उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि ,15 अप्रैल सन 2015 से और 18 मार्च सन 2000 के बीच एक नई तरह का रेतीला तूफान का चीन को सामना करना पड़ रहा है । जहां 1980 में बीजिंग में धूल के दिनों की औसत संख्या 2.4 थी वही सन 2001 में 1 वर्ष में 9 बार रेतीले तूफान ने चीन में दस्तक दी थी। मार्च 2010 इस वर्ष रेतीली तूफान ने बीजिंग में दस्तक दिया था, जिसकी वजह से देश के 270 मिलियन लोगों को प्रभावित होना पड़ा था।

यह रेतीला तूफान मंगोलिया के रेगिस्तान गोबी से उठा था और धूल भरी आंधियों का रूप लेकर चीन ताइवान ,चीन हांगकांग और जापान के कई इलाकों को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। मई 2015 यह साल का सबसे बड़ा रेतीला तूफान था । जिसने चाइना के उत्तर पश्चिम शहरों को प्रभावित किया था जिसके कारण विजिबिलिटी 100 मीटर तक कम हो गई थी। इस तरह के तूफान नियमित रूप से शुष्क मौसम में होते हैं, जब यह हवाएं ढीली ,सूखी मिट्टी और बालू को गोभी मरुस्थल से शहरी क्षेत्रों में ले जाती हैं।

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मार्च 2017

चीन के उत्तरी इलाकों को फिर से नारंगी रंग के रेतीले तूफान ने अपनी जकड़ में ले लिया था। जिसकी वजह से, शहर में एक नारंगी रंग का वायुमंडल परत बना दिया था।

रेतीले तूफान का पर्यावरण पर पड़ने वाला प्रभाव

रेतीले तूफान में उपस्थित एरोसॉल, जो कि हवा के दाब के कारण बनने वाला पदार्थ होता है जिसकी वजह से तापमान में कमी आ सकती है। जो कि असामान्य बारिश और बारिश ना होने का कारण भी बन जाता है

रेतीले तूफान का मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव

रेतीले तूफान से हवा जनित बीमारियां पैदा होती हैं, जिसमें सबसे ज्यादा स्वास्थ्य संबंधी रोग अस्थमा, खांसी आदि रोग पनपते हैं। वातावरण में स्वच्छ हवा की कमी रहती है और पर्यावरण प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता रहता है।

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