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पाकिस्तानी औरतों का खुलासा: यहां एक से ज्यादा पति का किस्सा हैरान कर देगा

क्या आपको ये पता है की अगर आपको अपने पति के अलावा किसी और को पसंद किया तो आप अपने पति को उस दूसरे पुरुष के लिए छोड़ सकतें हैं।

Roshni Khan
Published on: 20 Oct 2019 6:04 PM IST
पाकिस्तानी औरतों का खुलासा: यहां एक से ज्यादा पति का किस्सा हैरान कर देगा
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नई दिल्ली: क्या आपको ये पता है की अगर आपको अपने पति के अलावा किसी और को पसंद किया तो आप अपने पति को उस दूसरे पुरुष के लिए छोड़ सकतें हैं। ये तो सबको पता है, लेकिन क्या ये पता दुनिया में ऐसा देश है जिसमें औरतें अपने पति को दूसरे मर्द के लिए छोड़ देती है और इसमें कोई दिक्कत भी नहीं होती। जी हां हम बात कर रहें हैं पाकिस्तान के अफगानिस्तान से सटे बॉर्डर पर सटी कलाशा जनजाति की, पाकिस्तान के सबसे कम संख्या वाले अल्पसंख्यकों में गिनी जाती है।

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 साल 2018 में पहली बार कलाशा जनजाति को पाकिस्तान की जनगणना के दौरान अलग जनजाति के तौर पर शामिल किया गया. इसी गणना के अनुसार इस समुदाय में कुल 3,800 लोग शामिल हैं. यहां के लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं और किसी भी त्यौहार पर औरतें-मर्द सभी साथ मिलकर शराब पीते हैं. इस जनजाति में संगीत हर मौके को खास बना देता है. ये त्यौहार पर बांसुरी और ड्रम बजाते हुए नाचते-गाते हैं. हालांकि अफगान और पाकिस्तान के बहुसंख्यकों से डर की वजह से ये ऐसे मौकों पर भी साथ में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र से लेकर अत्याधुनिक बंदूकें भी रखते हैं.

मात्र पौने 4 हजार लोग हैं इस जनजाति के

मात्र पौने 4 हजार लोग इस जनजाति के है। ये अपनी अजीबोगरीब और कुछ मामलों में आधुनिक परंपराओं के लिए जानी जाती है, जैसे इस समुदाय की महिलाओं को गैरमर्द पसंद आ जाए तो वे अपनी शादी तोड़ देती हैं। तो आज हम आपको बतातें हैं इस जनजाति के बारें में।।।

कलाशा समुदाय खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में चित्राल घाटी के बाम्बुराते, बिरीर और रामबुर क्षेत्र में रहता है। ये समुदाय हिंदू कुश पहाड़ों से घिरा हुआ है और मानता है कि इसी पर्वत श्रृंखला से घिरा होने की वजह से उसकी सभ्यता और संस्कृति सुरक्षित है। इतिहास में इसी इलाके में सिकंदर की जीत के बाद इसे कौकासोश इन्दिकौश कहा जाने लगा। यूनानी भाषा में इसका अर्थ है हिंदुस्तानी पर्वत। इन्हें सिकंदर महान का वंशज भी माना जाता है।

2018 में पहली बार कलाशा जनजाति को अलग जनजाति के तौर पर शामिल किया

 हालांकि आधुनिक तौर-तरीकों के बाद भी महिलाओं पर कई बंदिशें हैं. जैसे पीरियड्स के दौरान वे घर से बाहर बने घर में रहने को मजबूर की जाती हैं. इस दौरान उन्हें अपवित्र माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि घर में रहना या परिवार के लोगों को छूने पर ईश्वर नाराज हो जाएंगे, जिससे बाढ़ या अकाल जैसे हालात हो सकते हैं. इसे बशाली घर कहा जाता है जिसकी दीवार पर लिखा होता है कि इसे छूना मना है.

पाकिस्तान की जनगणना के दौरान साल 2018 में पहली बार कलाशा जनजाति को अलग जनजाति के तौर पर शामिल किया गया। इसी गणना के मुताबिक इस समुदाय में कुल 3,800 लोग शामिल हैं। यहां के लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं और किसी भी त्यौहार पर औरतें-मर्द सभी साथ मिलकर शराब पीते हैं। इस जनजाति में संगीत हर मौके को खास बना देता है। ये लोग अपने त्यौहार पर बांसुरी और ड्रम बजाते हुए नाचते-गाते हैं। वैसे तो, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बहुसंख्यकों से डर की वजह से ये ऐसे मौकों पर भी साथ में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र से लेकर अत्याधुनिक बंदूकें भी रखते हैं।

यहां का घर औरतें काम कर के चलाती हैं। वे भेड़-बकरियां चराने के लिए पहाड़ों पर जाती हैं। घर पर ही पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं, जिन्हें बेचने का काम पुरुष करते हैं। यहां की महिलाएं सजने-संवरने की खासी शौकीन होती हैं। यहां की महिलाएं सिर पर खास किस्म की टोपी और गले में पत्थरों की रंगीन मालाएं पहनती हैं।

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 कलाशा जनजाति में घर के लिए कमाने का काम ज्यादातर औरतों ने संभाला हुआ है. वे भेड़-बकरियां चराने के लिए पहाड़ों पर जाती हैं. घर पर ही पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं, जिन्हें बेचने का काम पुरुष करते हैं. यहां की महिलाएं सजने-संवरने की खासी शौकीन होती हैं. सिर पर खास किस्म की टोपी और गले में पत्थरों की रंगीन मालाएं पहनती हैं.

यहां सालभर में तीन त्यौहार होते हैं-

Camos, Joshi और Uchaw। इनमें से Camos को सबसे बड़ा पर्व माना जाता है जो दिसंबर में मनाया जाता है। यही वो मौका है जिसमें महिलाएं -पुरुष और लड़के-लड़कियां आपस में मेल-मुलाकात करते हैं। इसी दौरान बहुत से लोग रिश्ते में जुड़ जाते हैं। वैसे यहां के लोग काफी खुले मिजाज के हैं कि महिलाओं को अगर दूसरा पुरुष पसंद आ जाए तो वे उसके साथ रह सकती हैं।

पाकिस्तान जैसे देश में जहां महिला आजादी की बात भी फतवे ला सकती है, ऐसे में इस तबके में औरतों को मनपसंद साथी चुनने की पूरी आजादी है। वे पति चुनती हैं, साथ रहती हैं लेकिन अगर शादी में साथी से खुश नहीं हैं और कोई दूसरा पसंद आ जाए तो बिना हो-हल्ला वे दूसरे के साथ जा सकती हैं।

पीरियड्स के समय रहना पड़ता है घर से बाहर

आधुनिक तौर-तरीकों के बाद भी महिलाओं पर कई बंदिशें हैं। जैसे पीरियड्स के दौरान वे घर से बाहर बने घर में रहने को मजबूर की जाती हैं। इस दौरान उन्हें अपवित्र माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि घर में रहना या परिवार के लोगों को छूने पर भगवान नाराज हो जाएंगे, जिससे बाढ़ या अकाल जैसे हालात हो सकते हैं। इसे बशाली घर कहा जाता है जिसकी दीवार पर लिखा होता है कि इसे छूना मना है।

इस समुदाय के में अगर किसी की मौत होती है तो इनके लिए रोना नहीं, खुशी का, त्यौहार का मौका होता है। क्रियाकर्म के दौरान ये लोग जाने वाले के लिए खुशी मनाते हुए नाचते-गाते और शराब पीते हैं। वे मानते हैं कि कोई ऊपरवाले की मर्जी से यहां आया और फिर उसी के पास लौट गया।

 पाकिस्तान जैसे देश में जहां महिला आजादी की बात भी फतवे ला सकती है, ऐसे में इस तबके में औरतों को मनपसंद साथी चुनने की पूरी आजादी है. वे पति चुनती हैं, साथ रहती हैं लेकिन अगर शादी में साथी से खुश नहीं हैं और कोई दूसरा पसंद आ जाए तो बिना हो-हल्ला वे दूसरे के साथ जा सकती हैं.

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पाकिस्तान और अफगानी सीमा पर तनाव बढ़ने की वजह से कलाशा जनजाति पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। वे मानते हैं कि पहले हैंडीक्राफ्ट के काम से उनकी कमाई हो जाती थी लेकिन अब टूरिस्ट कम और लगभग नहीं के बराबर आते हैं। ऐसे में वे असफलता से जूझ रहे हैं। यहां की नई पीढ़ी दूसरे देशों में जाने को भी तैयार हो रही है।



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Roshni Khan

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