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भारत के विरोध के बाद भी नहीं माना नेपाल, विवादित नक्शे पर कर लिया ये फैसला
नेपाल के निचले सदन से विवादित मानचित्र संशोधन विधेयक पहले पास हो गया था । इस विवादित मानचित्र में नेपाल ने भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को भी शामिल है। इसके बाद उच्च सदन से पास होने और फिर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह विधेयक कानून बन गया। आज
नई दिल्ली : नेपाल के निचले सदन से विवादित मानचित्र संशोधन विधेयक पहले पास हो गया था । इस विवादित मानचित्र में नेपाल ने भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को भी शामिल है। इसके बाद उच्च सदन से पास होने और फिर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह विधेयक कानून बन गया। आज यानि बृहस्पतिवार को नेपाल की राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को शामिल करने वाले नेपाल के नए नक्शे और उसपर लाए गए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले उच्च सदन ने सर्वसम्मति से एक राष्ट्रीय मानचित्र संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इस नए नक्शे में नेपाल ने भारत के तीन क्षेत्रों को अपना बताया है।नेपाल की इस हरकत पर भारत सरकार ने कहा कि नेपाली सरकार ने राजनीतिकरण किया है
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इस विधेयक को निचले सदन से मंजूरी मिली थी। तब भी सभी 258 सांसदों ने इसे समर्थन दिया था। इससे नई दिल्ली और काठमांडू के रिश्तों तनाव बढ़ा। बिल के समर्थन में 57 वोट जबकि विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंप्युधारा को अपना क्षेत्र बताया है। इन दावों को ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं माना गया है और न ही इसका कोई मतलब है।
बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले महीने इस विवादित नक्शे को प्रकाशित किया था। उनका दावा है कि नेपाल बातचीत के जरिए भारत द्वारा अधिकृत की गई जमीन को वापस ले लेगा। यह विवाद तब शुरू हुआ था जब काठमांडू ने पिछले महीने नई दिल्ली द्वारा चीनी सीमा पर लिपुलेख तक 80 किलोमीटर की सड़क खोलने का विरोध किया।
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नेपाल लिपुलेख को अपना क्षेत्र मानता है, लेकिन भारत का कहना है कि सड़क पूरी तरह से उसके क्षेत्र में है। नेपाल के विदेश मंत्री ने पिछले हफ्ते संसद में कहा था कि लिपुलेख की नई सड़क देश की संप्रभुता को कमजोर करती है। नेपाल की सीमा काली नदी के उद्गम स्थल लिंप्युधारा से शुरू होती है। भारत के साथ नेपाल की सीमा का निर्धारण 1816 की सुगौली की संधि द्वारा हुआ था।