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केवल हिंदू नहीं नेपाल-भारत के बीच अच्छे संबंध की वजह, विदेश मंत्री ने कही ये बात
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच के कूटनीतिक रिश्तों का आधार केवल यह नहीं हो सकता कि दोनों देशों में बड़ी संख्या हिंदू रहते हैं।
काठमांडू: नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच के कूटनीतिक रिश्तों का आधार केवल यह नहीं हो सकता कि दोनों देशों में बड़ी संख्या हिंदू रहते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म को देश के आंतरिक मामलों में नहीं लाना चाहिए और ना ही दूसरे देश के साथ संबंधों के बीच में लाना चाहिए। हालांकि नेपाल के विदेश मंत्री ने सांस्कृतिक समानता को दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाने वाली सबसे अहम कड़ी माना है।
उतार-चढ़ाव ही रिश्तों को बनाते हैं और मजबूत
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि भारत और नेपाल दोनों देशों के लिए आयुर्वेद, योग, ज्योतिष समान हैं। दोनों देशों की साझी संस्कृति लोगों के बीच के आपसी संबंधों को मज़बूत बनाने का काम करती है। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने भारत-नेपाल बॉर्डर विवाद को लेकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन यह दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाते हैं।
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नेपाल की जनता ही तय करेगी कि....
संविधान के धर्मनिरपेक्ष होने के सवाल पर ज्ञवाली ने कहा कि नेपाल के संविधान में क्या होगा और क्या नहीं, यह नेपाल के लोग ही तय करेंगे। हम धर्म निरपेक्ष देश बने या नहीं यह संसद और नेपाल की जनता को ही तय करना था। नेपाल के बारे में और कोई तो फैसला नहीं सकता।
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प्राथमिकता से सुलझाया जाना चाहिए सीमा विवाद
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद को प्राथमिकता से सुलझाया जाना चाहिए। जब तक सीमा विवाद हल नहीं हो जाता, तब तक ये मुद्दा हमें परेशान करता रहेगा। हम ये भी नहीं चाहते हैं कि इसके चलते सब कुछ रुका रहे। उन्होंने कहा कि कई मोर्चों पर हमारे भारत के साथ संबंध हैं और हमारा यही प्रयास है कि इन रिश्तों को पटरी पर रखते हुए हम सीमा विवाद को सुलझाएं।
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लिपुलेख और कालापानी नेपाल के लिए अहम मुद्दा
उन्होंने आगे कहा कि नेपाल के लिए लिपुलेख और कालापानी काफी अहम मुद्दा है, क्योंकि यह देश की संप्रभुता और अखंडता से जुड़ा है। नेपाल लंबे समय से वार्ता के माध्यम से इस परेशानी का हल निकालने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से विदेश सचिव स्तर की वार्ता शुरू करने के लिए प्रस्ताव दिया था। फिलहाल भारत इस मामले को लेकर संवेदनशील नजर नहीं आ रहा, वह इसे नजरअंदाज कर रहा है।
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