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इस देश ने समुद्र में किया घातक मिसाइलों का परीक्षण, थर-थर कांपा चीन और अमेरिका
पूरी दुनिया इस समय कोरोना से जंग लड़ रही है। चीन, अमेरिका, इटली और भारत समेत दुनिया के कई देशों में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। जहां पूरा विश्व इस वायरस का तोड़ खोजने में जुटा हुआ है।
सियोल: पूरी दुनिया इस समय कोरोना से जंग लड़ रही है। चीन, अमेरिका, इटली और भारत समेत दुनिया के कई देशों में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। जहां पूरा विश्व इस वायरस का तोड़ खोजने में जुटा हुआ है।
वैज्ञानिक टीका बनाने के काम में जुटे हुए है। वहीं सात समुद्र पार एक ऐसा देश भी है। जो कोरोना वायरस के खतरे की परवाह किये बगैर मिसाइलों के परीक्षण में जुटा हुआ है।
उसने रविवार को दो मिसाइलें दागी। जिसके बाद पूरी दुनिया को इस देश की नापाक हरकतों के बारे में पता चल पाया। यहां बात उतरी कोरिया की हो रही है।
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रविवार को किया दो बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण
उत्तर कोरियाई सैन्य तानाशाह किम ने रविवार को कोरियाई समुद्र में दो संदिग्ध बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। अभी कुछ दिन पहले ही उत्तयर कोरिया ने मिसाइलों का परीक्षण किया था और इस दौरान खुद किम जोंग उन मौजूद थे।
दक्षिण कोरिया ने इन मिसाइलों के परीक्षण की जानकारी दी है। जिसके बाद दक्षिण कोरिया ने कोरोना महासंकट के समय में उत्तार कोरिया के मिसाइलों के परीक्षण को ‘काफी अनुचित’ बताया है।
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने बताया कि उत्तर कोरिया के पूर्वी तटीय शहर वोनसान से गुजरती मिसाइलों को रविवार सुबह कोरियाई प्रायद्वीप और जापान के बीच सागर में गिरते देखा गया।
230 किलोमीटर तक बना सकती है निशाना
दक्षिण कोरियाई अधिकारी ने कहा कि मिसाइलों ने अधिकतम 30 किलोमीटर की ऊंचाई से करीब 230 किलोमीटर तक का सफर तय किया। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के खुफिया अधिकारी मिसाइलों के परीक्षण की और जानकारियों का विश्लेषण कर रहे हैं।
सेना ने इन्हें ‘बेहद अनुचित’ बताया है क्योंकि यह ऐसे समय में किया गया जब दुनिया कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से जूझ रही है। उसने उत्तर कोरिया से ऐसी सैन्य कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया है।
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कोरिया के दावे पर उठे सवाल
उत्तर कोरिया कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए आक्रामक अभियान चलाता रहा है। उसने बार-बार दावा किया कि उसकी सरजमीं पर संक्रमण का एक भी मामला नहीं है। हालांकि विदेशी विशेषज्ञ इस दावे पर सवाल उठाते रहे हैं।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया में महामारी गंभीर हो सकती है क्योंकि उसके पास चिकित्सा सामग्री का अभाव है तथा उसकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बेहद चिंताजनक है।
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