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Pakistan Blasphemy: पाकिस्तान में 20 साल के चार युवकों को मौत की सजा, कुरान के अपमान का था आरोप

Pakistan Blasphemy: पाक सेना के मुख्यालय वाले शहर रावलपिंडी की अदालत ने चार युवकों को ऐसी सख्त सजा सुनाई है, जिसकी चर्चा इंटरनेशनल मीडिया तक में हो रही है।

Krishna Chaudhary
Published on: 6 Sept 2023 2:03 PM IST
Pakistan Blasphemy: पाकिस्तान में 20 साल के चार युवकों को मौत की सजा, कुरान के अपमान का था आरोप
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Pakistan Blasphemy (photo: social media)

Pakistan Blasphemy: एक तरफ जहां भारत में इन दिनों खुलेआम सबसे बड़े धर्म के खिलाफ आग उगल जा रहा है, वहीं पाकिस्तान में ऐसी हिमाकत करने वालों को सीधे मौत की सजा नसीब हो रही है। पाकिस्तान में इस्लाम से संबंधित किसी भी चीज के अपमान का मतलब है अपनी मौत को दावत देना। पाक सेना के मुख्यालय वाले शहर रावलपिंडी की अदालत ने चार युवकों को ऐसी सख्त सजा सुनाई है, जिसकी चर्चा इंटरनेशनल मीडिया तक में हो रही है।

कोर्ट ने महज 20 साल के इन चार नौजवानों को सोशल मीडिया पर पैगंबर और कुरान के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट करने की बेहद कठोर सजा दी है। रावलपिंडी के जिला सेशन कोर्ट के जज एहसान महमूद ने फेसबुक पर ईशनिंदा सामग्री पोस्ट करने के आरोप में चार युवकों को मौत की सजा सुनाई है। सजा पाने वाले युवकों के नाम हैं – मोहम्मद रिजवान, वजीर गुल, मुहम्मद अमीन और फैजान रज्जाक।

पांचवे आरोपी को मिली 7 साल की सजा

पाकिस्तान में ईशनिंदा मामलों की जांच करने वाली एजेंसी फेडरल जांच एजेंसी (एफआईए) ने बताया कि बीते साल उमर नमाज नामक शख्स ने पांच आरोपियों के विरूद्ध सोशल मीडिया पर ईशनिंदा सामग्री पोस्ट करने की शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में पांचवे आरोपी उस्मान लियाकत को कोर्ट ने सात सात की सजा सुनाई है।

कोर्ट ने बताया अक्षम्य गुनाह

5 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान जज एहसान महमूद ने बेहद सख्त टिप्पणी की। महमूद ने कहा, पैगंबर मोहम्मद और कुरान के विरूद्ध ईशनिंदा का अपराध अक्षम्य है। इसलिए आरोपी किसी तरह की रियायत या उदारता का हकदार नहीं है। सोशल मीडिया अकाउंट के फॉरेंसिक सबूत उनके ऊपर लगे आरोपी की पुष्टि करते हैं, इसलिए उन्हें ईशनिंदा का दोषी ठहराया जाता है।

अल्पसंख्यक और नास्तिक बन रहे निशाना

पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून बेहद सख्त है। हाल-फिलहाल में इसे और कठोर बना दिया गया, जिसके कारण पीओके में फिलहाल बवाल मचा हुआ है। ऐसे मामले सामने आते रहे हैं जिसमें सुन्नी कट्टरपंथी हिंदू, सिख, ईसाई जैसी धार्मिक अल्पसंख्यकों और शिया, अहमदिया जैसे मुस्लिम समुदायों को इस कानून की आड़ लेकर निशाना बनाते हैं। इसके अलावा नास्तिक लोगों को भी निशाना बनाया जाता है। इसी साल जून में एक 22 वर्षीय ईसाई लड़के को कोर्ट ने ईशनिंदा के मामले में मौत की सजा सुनाई थी। इस कानून की मुखालफत करने वाले पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या तक कर दी गई थी। बता दें कि दुनिया में फिलहाल जिन देशों में ईशनिंदा के खिलाफ कानून हैं, उनमें से 70 फीसदी इस्लामिक मुल्क है। पाकिस्तान के अलावा ईरान और सऊदी अरब में भी ईशनिंदा करने पर मौत की सजा दी जाती है।



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Krishna Chaudhary

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