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नापाक पाकिस्तान: एक बार फिर से अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय, नहीं पास किया बिल
पीपीपी की सिंध की सरकार ने प्रांतीय विधानसभा में एक बार फिर से जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ विधेयक को पास नहीं होने दिया।
वैसे तो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी उनका साथ देने का दावा करती रहती है। लेकिन पीपीपी की सिंध की सरकार ने प्रांतीय विधानसभा में एक बार फिर से जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ विधेयक को पास नहीं होने दिया।
सरकार ने नहीं उठाया ठोस कदम-
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस (GDA) के विधायक नंदकुमार गोकलानी ने सिंध विधानसभा में आपराधिक कानून (अल्पसंख्यकों का संरक्षण) विधेयक सौंपा और सरकार से अपील की कि वो इस पर विचार करने के लिए और इसे पारित करने के लिए सदन में पेश किया जाए लेकिन सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए। ये दूसरी बार है जब सिंध सरकार ने ऐसा किया है।
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2016 में भी नहीं मिली थी मंजूरी-
नवंबर 2016 में सिंध विधानसभा ने इससे संबंधित एक विधेयक पास किया था। ये विधेयक नाबालिग लड़कियों खासकर की हिन्दु समुदाय की लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन किये जाने के कई शिकायतों के बाद निर्विरोध पेश किया गया था। लेकिन विधेयक के पास होने के बाद सदन के बाहर धार्मिक दलों ने इसका खूब विरोध किया था। उनका ऐसा मानना था कि धर्म किसी भी उम्र में पेश किया जा सकता है।
सिंध सरकार ने बताया था कि, उस समय जमाते इस्लामी नेता ने पीपीपी नेता आसिफ अली जरदारी के संग मिलकर इस विधेयक का विरोध किया था। जिसके बाद तत्काल सिंध सरकार को पीपीपी के तरफ से बोला गया कि इस विधेयक को मंजूरी न दी जाएं। इसके बाद गवर्नर सिंध विधानसभा के पास इस विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए भेज दिया।
गोकलानी ने नए सिरे से तैयार किया विधेयक-
तमाम आपत्तियों के बाद अब गोकलानी ने कानून के सलाहकारों के साथ चर्चा करने के बाद इस विधेयक को तैयार किया है और मंगलवार को विधानसभा को सौंप दिया। उन्होंने सभी आपत्तियों तो ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को तैयार किया है, साथ ही विधानसभा अध्यक्ष से इस विधेयक को सदन में पेश होने के लिए अपील किया।
एक बार फिर से टल रहा विधेयक-
इस पर अध्यक्ष ने सिंध के स्थानीय प्रशासन मंत्री नासिर हुसैन शाह से पूछा कि इस विधेयक का सरकार समर्थन करती है या विरोध। इस पर शाह ने कहा कि सिंध कैबिनेट इस पर फैसला करेगी। इसके बाद शाह ने कैबिनेट के पास विधेयक को भेजने का आग्रह किया। जिस पर गोकलानी और GDA के अन्य सदस्यों ने विधेयक को सदन के पास औपचारिक रुप से पेश करने की मांग की। लेकिन शाह ने आग्रह को तुरंत खारिज करते हुए बोला कि 2016 में एक बार गवर्नर इस विधेयक को खारिज कर चुके हैं अब इसे फिर से पेश होने के लिए कैबिनेट की सहमति आवश्यक है।
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