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पाकिस्तान आतंकी घोषित! इमरान को लगेगा झटका, FATF से बचने के आसार कम...
चार बड़े देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं है। इस कारण इमरान सरकार की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रही हैं।
नई दिल्ली: पाकिस्तान की इमरान सरकार फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की छह शर्तों पर खरी नहीं उतरी है। इन छह शर्तों को पूरा न करने के कारण पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में ही बने रहने की संभावना बढ़ गई है।
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सूत्रों का कहना है कि चार बड़े देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं है। इस कारण इमरान सरकार की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रही हैं।
पाकिस्तान ने नहीं पूरे किए छह टास्क
जानकार सूत्रों का कहना है कि एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान को टेरर फंडिंग पर पूरी तरह लगाम कसने के लिए कहा गया था। इसके लिए उसे 27 सूत्रीय एक्शन प्लान सौंपा गया था मगर पाकिस्तान ने अब तक सिर्फ 21 टास्क ही पूरे किए हैं।
एफएटीएफ की ओर से टेरर फंडिंग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण टास्क पूरे करने में पाकिस्तान पूरी तरह नाकाम रहा है।
बड़े आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
पाकिस्तान से कहा गया था कि उसे जैश ए मोहम्मद सरगना मसूद अजहर लश्कर के मुखिया हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकिर उर रहमान लखवी जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। मसूद अजहर, लखवी और हाफिज सईद भारत के मोस्ट वांटेड अपराधी हैं मगर पाकिस्तान की ओर से इन आतंकियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
pakistan (Photo by social media)
चार बड़े देश पाकिस्तान से संतुष्ट नहीं
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देश भी आतंकी समूहों के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। अजहर, सईद और लखवी मुंबई आतंकी हमलों के साथ ही जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए सीआरपीएफ के बम धमाकों में वांछित हैं।
तीनों आतंकी अभी भी पाकिस्तान की जमीन से आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं मगर पाकिस्तान सरकार की ओर से अभी तक इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस कारण एफएटीएफ के पाकिस्तान के खिलाफ कड़े रवैए में नरमी आने की कोई संभावना नहीं दिख रही है।
वित्तीय मदद पाने में पाक को होंगी मुश्किलें
सूत्रों का कहना है कि अगर पाकिस्तान ग्रे सूची में बना रहता है तो उसे आईएमएफ, एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से वित्तीय मदद पाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस समय काफी नाजुक है और ऐसे में उसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मदद की दरकार है मगर उसकी यह इच्छा पूरी होती नहीं दिख रही है।
तीन देशों से मिल सकती है पाक को मदद
जानकार सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 देशों में से 12 देशों के समर्थन की जरूरत होगी मगर पाकिस्तान को इतने देशों का समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है। वहीं काली सूची में जाने से बचने के लिए पाकिस्तान को 3 देशों का समर्थन चाहिए। इस मामले में पाकिस्तान कामयाब हो सकता है क्योंकि चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे देश उसके समर्थन में हैं।
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ऐसे में पाकिस्तान एफएटीएफ की काली सूची में जाने से बच सकता है। मौजूदा समय में दुनिया में दो ही देश उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ की काली सूची में शामिल है। एफएटीएफ की वर्चुअल बैठक 21 से 23 अक्टूबर तक होने वाली है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 2018 में ग्रे सूची में डाल दिया था और उसके बाद पाकिस्तान लगातार इस सूची से बाहर आने की कोशिश में जुटा हुआ है।
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