ओली और प्रचंड गुट में बढ़ेगी वर्चस्व की जंग, पीएम का खेमा उठा सकता है ये बड़ा कदम

प्रधानमंत्री ओली की ओर से पिछले महीने की 20 तारीख को संसद भंग करने की सिफारिश ने आग में घी डालने का काम किया और प्रचंड समर्थक खेमे ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

Shivani Awasthi
Published on: 25 Jan 2021 5:29 AM GMT
ओली और प्रचंड गुट में बढ़ेगी वर्चस्व की जंग, पीएम का खेमा उठा सकता है ये बड़ा कदम
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नई दिल्ली। नेपाल की सियासत में तानाशाह की तरह फैसले लेकर शासन चलाने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से विदाई पहले ही तय मानी जा रही थी। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड खेमे से ओली के रिश्ते काफी दिनों से सहज नहीं चल रहे थे और प्रचंड समर्थक खेमा ओली के खिलाफ खुलकर सामने आ गया था।

ओली को पार्टी से निकाले जाने के बाद दोनों खेमों के बीच वर्चस्व की जंग गहराने के आसार हैं। माना जा रहा है कि प्रचंड के आगे झुकने से इनकार करके ओली प्रचंड को निकालने का जवाबी कदम उठा सकते हैं।

संसद भंग करने से भड़का गुस्सा

प्रधानमंत्री ओली की ओर से पिछले महीने की 20 तारीख को संसद भंग करने की सिफारिश ने आग में घी डालने का काम किया और प्रचंड समर्थक खेमे ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

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अपने शासनकाल के दौरान चीन के इशारे पर काम करने वाले ओली की पकड़ सत्तारूढ़ पार्टी पर लगातार कमजोर पड़ती जा रही थी और यही वजह है कि प्रचंड समर्थक खेमे ने उन्हें एक झटके में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

पुरानी पार्टी को जिंदा करने की कोशिश

नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सियासत को नजदीक से देखने वालों का कहना है कि हाल के दिनों में ओली अपनी पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी यूएमएल को अस्तित्व में लाने की कोशिश में जुटे हुए थे। प्रचंड खेमे से ओली की तनातनी इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि पार्टी में रहना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा था।

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कई लोगों का तो यहां तक दावा है कि वे खुद ही चाहते थे कि पार्टी उन्हें निकाल दे ताकि वे अपनी पुरानी पार्टी को फिर से जीवित कर सकें। एनसीपी में प्रचंड खेमा ओली समर्थकों पर भारी पड़ता साबित हो रहा था और यही कारण है कि ओली के लिए एनसीपी में अब रहना संकटपूर्ण बन गया था।

समर्थकों को दिया था यह संकेत

एनसीपी में पहले ही इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे की ओली पार्टी तोड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं और वे भीतर ही भीतर अपनी नई पार्टी बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

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अपने समर्थकों से बातचीत में भी ओली ने नई पार्टी बनाने का संकेत किया था और इसके लिए समर्थकों से तैयार रहने को कहा था। उनका कहना था कि अब एनसीपी में दूसरे खेमे के साथ मिलकर काम करना मुश्किल हो गया है और इसलिए हमें नई पार्टी के लिए तैयार रहना चाहिए।

दोनों गुटों में सुलह के रास्ते बंद

उन्होंने नेपाल निर्वाचन आयोग में अपनी नई पार्टी भी रजिस्टर करवा ली है। हालांकि इसके साथ ही यह भी सच्चाई है कि पर्दे के पीछे दोनों खेमों के बीच मतभेद समाप्त करने की कोशिशें चलती रहीं मगर ओली ने जिस तरह संसद भंग कर राष्ट्रपति के जरिए नए चुनाव का एलान कराया, उससे सुलह के सारे रास्ते बंद हो गए।

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रैली में प्रचंड का ओली पर हमला

ओली के खिलाफ हाल के दिनों में नेपाल में जमकर प्रदर्शन हुआ है और प्रदर्शनकारियों ने उन्हें चीन की कठपुतली बताते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की। प्रचंड ने खुद शुक्रवार को ओली के खिलाफ एक बड़ी रैली का आयोजन किया था।

इस रैली के दौरान प्रचंड ने ओली पर हमला करते हुए संसद भंग करने के फैसले को एकतरफा और संविधान विरोधी बताया था। उनका कहना था कि ओली लोकतंत्र के खिलाफ काम कर रहे हैं और ऐसे प्रधानमंत्री को पद पर रहने का कोई हक नहीं है।

ओली गुट कर सकता है जवाबी कार्रवाई

वैसे जानकारों का कहना है कि ओली प्रचंड के धड़े का फैसला मानने से इनकार कर सकते हैं। संसद भंग होने के कारण ओली मौजूदा समय में कार्यवाहक प्रधानमंत्री की भूमिका निभा रहे हैं और वे अगले चुनाव तक इस पद पर बने रहेंगे। यह भी माना जा रहा है कि ओली गुट की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की जा सकती है। ओली अपने धड़े की बैठक बुलाकर प्रचंड को पार्टी से निकालने का प्रस्ताव पारित करा सकते हैं।

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आने वाले दिनों में दोनों ही गुटों में वर्चस्व की जंग और बढ़ने के आसार हैं। दोनों ही खेमों की ओर से आगामी चुनाव में पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावा किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि मौजूदा हालात में अब इस मामले के सुप्रीम कोर्ट जाने के आसार दिख रहे हैं।

अंशुमान तिवारी

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