×

नेपाल में घमासान: अचानक हुआ यह बड़ा फैसला, मच गया हंगामा

नेपाल के संविधान में ही सदन को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन अन्य राजनीतिक दल सरकार के इस फैसले को कोर्ट में भी चुनौती दे सकते हैं। ऐसे में पार्टी में विरोध का सामना कर रहे नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को एकदम मंत्रिमंडल की बैठक में संसद के मौजूदा सदन को भंग करने का ऐलान किया है।

Newstrack
Published on: 20 Dec 2020 6:34 AM GMT
नेपाल में घमासान: अचानक हुआ यह बड़ा फैसला, मच गया हंगामा
X
नेपाल के संविधान में ही सदन को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन अन्य राजनीतिक दल सरकार के इस फैसले को कोर्ट में भी चुनौती दे सकते हैं।

काठमांडू: नेपाल में फिर से सियासी संग्राम ने जोरदार तेजी पकड़ ली है। ऐसे में पार्टी में विरोध का सामना कर रहे नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को एकदम मंत्रिमंडल की बैठक में संसद के मौजूदा सदन को भंग करने का ऐलान किया है। साथ ही मंत्रिमंडल की ओऱ सदन को भंग करने की औपचारिक सिफारिश राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से भी की जा चुकी है। जिसके बाद से संसद में हड़कंप मचा हुआ है।

ये भी पढ़ें... नेपाल में हिंदू राजशाही की मांग: सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी, ओली की हालत खराब

सदन को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं

ऐसे में सबसे अहम बात ये है कि नेपाल के संविधान में ही सदन को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन अन्य राजनीतिक दल सरकार के इस फैसले को कोर्ट में भी चुनौती दे सकते हैं। पर अब ध्यान देने वाली बात ये है कि क्या नेपाल की राष्ट्रपति ओली सरकार के इस असवैंधानिक सलाह पर क्या फैसला सुनाती हैं।

नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री बरशमैन पुन ने इस बारे में बताया कि आज की कैबिनेट की बैठक में संसद को भंग करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजने का ऐलान किया गया है।

आपको बता दें कि ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था। बीते मंगलवार को जारी इस अध्यादेश को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने भी मंजूरी दे दी थी।

ये भी पढ़ें...सेना प्रमुख जनरल नरवणे की नेपाल यात्रा अहम, PM ओली से करेंगे इन मुद्दों पर चर्चा

हाउस विघटन की सिफारिश

ऐसे में आज जब रविवार को ओली कैबिनेट की आपात यानी इमरजेंसी बैठक सुबह 10 बजे बुलाई गई थी, तो काफी हद तक उम्मीद की जा रही थी कि यह अध्यादेश को बदलने की सिफारिश करेगी। हालाकिं इसके बजाय, मंत्रिमंडल ने हाउस विघटन की सिफारिश की।

नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली के खुद की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने कैबिनेट के इस फैसले का विरोध किया है। ऐसे में पार्टी के प्रवक्ता नारायणजी श्रेष्ठ ने कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में किया गया है क्योंकि आज सुबह कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्री उपस्थित नहीं थे। ये लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है और राष्ट्र को पीछे ले जाएगा। फिलहाल इसे लागू नहीं किया जा सकता।

ये भी पढ़ें...नेपाल को बचाएगा भारत: बनाया जबरदस्त प्लान, चीन से छुड़ाने की पूरी तैयारी

Newstrack

Newstrack

Next Story