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लोकतंत्र का काला दिन: हत्या के जुर्म में मौत की सजा पाए इस अपराधी ने ली सांसद की शपथ
प्रेमालाल को जेल से संसद तक सुरक्षा में लाया गया था। वो 2001 से सांसद है। साथ ही पहला ऐसा सांसद है जो हत्या के जुर्म में मौत की सजा पा चुका है।
नई दिल्ली: अपराधियों का राजनीति से चोली दामन की तरह नाता रहा है। पूरी दुनिया ऐसे तमाम उदाहरणों से भरी पड़ी है। जिसमें हत्या या जुर्म करने वाला अपराधी या तो अपराध करने के बाद राजनीति में चला गया हो या फिर राजनीति में जाने के बाद अपराध करना शुरू कर दिया हो। दोनों ही केस में उसने राजनीति का इस्तेमाल खुद को जेल जाने से बचाने के लिए किया है।
ऐसा ही एक ताजा वाकया श्रीलंका में भी देखने को मिला है। मंगलवार को यहां राजनीति का एक अलग अंदाज देखने को मिला। जिस व्यक्ति को मर्डर के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई है वह सांसद बन गया।
कोर्ट की प्रतीकात्मक फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
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उसने विपक्ष के हो हल्ले के बीच शपथ ली। उसका सम्बन्ध श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी श्रीलंका पोडुजाना पार्टी (एसएलपीपी) से है। ये वहीं शख्स है जिसके ऊपर 2015 में विपक्षी कार्यकर्ता की एक चुनावी रैली में गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगा था।
बाद में कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी। इस सांसद का नाम है प्रेमालाल जयासेकरा है और उसकी उम्र 45 साल है। कोर्ट ने उसे पांच अगस्त के संसदीय चुनावों से कुछ ही दिन पहले हत्या के केस में 31 जुलाई को दोषी ठहराया गया था।
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श्री लंका का पहला सांसद जिसे मिल चुकी है मौत की सजा
प्रेमालाल को जेल से संसद तक सुरक्षा में लाया गया था। वो 2001 से सांसद है। साथ ही पहला ऐसा सांसद है जो हत्या के जुर्म में मौत की सजा पा चुका है। जनवरी 2015 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान प्रेमालाल जयासेकरा ने राजनीतिक कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
प्रेमालाल ने दक्षिम पश्चिम रत्नापुर इलाके से चुनाव लड़ा था। अपीलीय अदालत ने जेल महाआयुक्त को निर्देश दिया कि वह मंगलवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में प्रेमलाल के उपस्थित होने की व्यवस्था करें।
शव की प्रतीकात्मक फोटो(साभार -सोशल मीडिया)
प्रेमलाल ने कोर्ट में अर्जी देकर संसद सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। इस अर्जी का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल ने पिछले हफ्ते कोर्ट से कहा था कि मौत की सजा पाया व्यक्ति सांसद बनने के लिए अयोग्य होता है। जबकि फैसला सुनाते हुए अपीलीय अदालत के जज ने कहा कि अभी किसी कोर्ट ने प्रेमलाल के चुनाव को अवैध नहीं ठहराया है।
संसद में प्रेमालाल जयासेकरा को आते देख विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने काला शॉल गले में लपेट कर विरोध जताया। नारेबाजी भी की। लेकिन प्रेमालाल ने संसद में स्पीकर के सामने शपथ भी ली। इससे नाराज विपक्ष के कुछ नेता संसद भवन से बाहर चले गये।
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