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अंतरिक्ष बनेगा रईसों का नया अड्डा
पहली बार एक गैर सरकारी कम्पनी ने अंतरिक्ष में घूम रहे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में यात्री पहुंचाए हैं। ये अंतरिक्ष यात्रा के अगले चरण की शुरुआत है, जिसमें प्राइवेट कंपनियों के अंतरिक्ष यान छोड़े जाएंगे जो अंतरिक्ष टूरिस्टों को भी पृथ्वी की कक्षा तक घुमाने ले जाएंगे।
लखनऊ। खरबपति एलोन मस्क की स्पेस एक्स कंपनी का अंतरिक्ष यान ड्रैगन डेमो 2 का अभी तक का सफर सफल रहा है। ये एक ऐतिहासिक यात्रा है क्योंकि पहली बार एक गैर सरकारी कम्पनी ने अंतरिक्ष में घूम रहे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में यात्री पहुंचाए हैं।
ये अंतरिक्ष यात्रा के अगले चरण की शुरुआत है, जिसमें प्राइवेट कंपनियों के अंतरिक्ष यान छोड़े जाएंगे जो अंतरिक्ष टूरिस्टों को भी पृथ्वी की कक्षा तक घुमाने ले जाएंगे।
इस रोमांचक भविष्य में अंतरिक्ष का अन्वेषण और चांद व मंगल तक की ट्रिप शामिल हैं। इस क्रम में स्पेस टूरिज्म की असली क्षमता का भी पता चल जाएगा।
अमेरिका करेगा लीड
वैसे स्पेस टूरिज्म कोई नई चीज़ नहीं है। सात लोग पैसा दे कर पृथ्वी की कक्षा तक की यात्रा कर चुके हैं। लेकिन 2009 के बाद से ऐसा कोई व्यक्ति नहीं गया है। ये लोग रूसी अंतरिक्ष प्रोग्राम के तहत छोड़े गए रॉकेटों से गये थे।
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अब समय काफी बदल चुका है और एलोन मस्क जैसे धुन के पक्के लोग बेहिसाब धन खर्चने को तैयार बैठे हैं। इससे साफ है कि भविष्य के कमर्शियल अंतरिक्ष ट्रेवेल को अमेरिका की कंपनियां ही लीड करेंगी।
ढेरों कंपनियां
एलोन मस्क की स्पेस एक्स के अलावा रिचर्ड ब्रानसन की वर्जिन गैलटिक और जेफ बेजोज़ की ब्लू ओरिजिन भी अंतरिक्ष के प्रोग्राम में बेशुमार धन लगा रही हैं। इन कंपनियों को उम्मीद है कि इनके अंतरिक्ष यान इसी साल यात्रा पर निकल जाएंगे। वर्जिन गैलटिक तो पृथ्वी के चारों ओर घूमता होटल बनाने के सपने देख रहा है जबकि ब्लू ओरिजिन बाहरी अंतरिक्ष मे जाने की योजना बनाये हुए है।
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नासा भी खुश
स्पेस एक्स से नासा को भी बहुत खुशी मिली है क्योंकि 2011 से अब तक अमेरिकी सरजमीं से कोई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में नहीं भेजा गया था। 2011 में स्पेस शटल प्रोग्राम समाप्त हो जाने के बाद से नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को मजबूरी में रूसी रॉकेटों से अंतरिक्ष की यात्रा करनी पड़ रही थी।
आब स्पेस एक्स का विकल्प मिल जाने से नासा का खर्चा भी कम होगा और राष्ट्र का सम्मान भी बढ़ेगा। स्पेस एक्स और बोइंग को अरबों डॉलर देने के बाद भी नासा अच्छी खासी रकम बचा रहा है।
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