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पैगंबर पर मचा बवाल: अब फ्रांस पर भड़का ईरान, दी ये बड़ी धमकी

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कई बार दोहराया है कि उनका देश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता रहेगा चाहे कितना ही विरोध क्यों ना झेलना पड़े। फ्रांस के प्रमुख राजनेता (राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों) ही पैगंबर के कार्टून छापने का समर्थन कर रहे हैं।

Newstrack
Published on: 4 Nov 2020 9:29 AM GMT
पैगंबर पर मचा बवाल: अब फ्रांस पर भड़का ईरान, दी ये बड़ी धमकी
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पैगंबर पर मचा बवाल: अब फ्रांस पर भड़का ईरान, दी ये बड़ी धमकी

नई दिल्ली: फ़्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून का मामला अभी थमा नहीं है। ईरान के एक नेता ने फ्रांस की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दलील को भी सिरे से खारिज कर दिया है। मंगलवार को टेलिविजन पर दिए गए संबोधन में ईरान के सुप्रीम नेता ने फ्रांस के पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छापने वाली मैगजीन को समर्थन देने को भद्दा करार दिया। ईरान के सुप्रीम लीडर अली हुसैन खामनेई ने फ्रांस के पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को समर्थन देने के फैसले की कड़ी निंदा की है।

देश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता रहेगा-राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों

ईरान के सुप्रीम लीडर अली हुसैन खामनेई ने कहा है कि ये केवल फ्रांस की कला का ही पतन नहीं है बल्कि वहां की सरकार भी इस गलत काम का समर्थन कर रही है। फ्रांस के प्रमुख राजनेता (राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों) ही पैगंबर के कार्टून छापने का समर्थन कर रहे हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कई बार दोहराया है कि उनका देश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता रहेगा चाहे कितना ही विरोध क्यों ना झेलना पड़े।

Iran's Supreme Leader Ali Hussain Khamani-2

पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाना गलत था- सुप्रीम नेता

मैक्रों ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छापने के फैसले का भी मजबूती से समर्थन किया था। पिछले महीने, फ्रांस में क्लासरूम में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने वाले एक अध्यापक सैमुअल पैटी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इसके बाद, फ्रांस के नीस शहर में भी आतंकी हमले हुए। ईरान के सुप्रीम नेता ने मंगलवार को कहा कि फ्रांस की सरकार को पीड़ित के प्रति संवेदना जाहिर करनी चाहिए थी लेकिन पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाना गलत था। उन्होंने कहा, वो कहते हैं कि एक आदमी की हत्या कर दी गई। तो उसके लिए शोक और संवेदना जाहिर कीजिए लेकिन आप पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को समर्थन क्यों कर रहे हैं?

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फ्रांस के सामान के बहिष्कार की अपील

सुप्रीम लीडर ने मुस्लिमों के आक्रोश और प्रदर्शनों को जायज ठहराते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि वो अभी 'जिंदा' हैं। मैक्रों ने अपने एक बयान में कहा था कि इस्लाम संकट में है जिसे लेकर कई मुस्लिम देशों में विरोध-प्रदर्शन हुए। फ्रांस के सामान के बहिष्कार की अपीलें भी की गईं। ईरान में फ्रांस के दूतावास के सामने भी 28 अक्टूबर को एक प्रदर्शन हुआ था। एक इंटरव्यू में मैंक्रों ने कहा था कि वह मुस्लिमों की भावनाओं को समझते हैं लेकिन वह कट्टर इस्लाम से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं जो मुस्लिमों के लिए खुद एक खतरा है। मैक्रों ने ये भी कहा था कि पैगंबर के कार्टून कोई सरकारी प्रोजेक्ट नहीं है बल्कि स्वतंत्र अखबारों में छापे गए थे।

फ्रांस सरकार आतंकियों को संरक्षण देती है

खामनेई ने फ्रेंच और यूरोपीय नेताओं के मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बचाव करने के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, फ्रांस सरकार की राजनीति वही है जो दुनिया के सबसे हिंसक और खतरनाक आतंकियों को संरक्षण देती है। उनका इशारा मुजाहिदीन-ए-खाल्क (एमईके) की तरफ था। एमईके का पैरिस और अन्य यूरोपीय देशों में दफ्तर है और ईरान इसे आतंकी संगठन मानता है। ये संगठन साल 1997 से 2012 तक अमेरिका की टेरर लिस्ट में शामिल था।

Emmanuel Macron

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1979 की इस्लामिक क्रांति के ठीक बाद ईरान पर हमला हुआ था

खामनेई ने कहा कि फ्रांस उन देशों में से एक था जिसने "खून के प्यासे भेड़िए" सद्दाम हुसैन को आर्थिक और अन्य मदद पहुंचाई थी। इराक के पूर्व नेता सद्दाम हुसैन ने साल 1980 में ईरान पर हमला कर दिया था। 1979 की इस्लामिक क्रांति के ठीक बाद ईरान पर हमला हुआ था। ईरान-इराक के बीच करीब 8 सालों तक युद्ध चला जिसमें दोनों पक्षों को जान-माल का भयंकर नुकसान हुआ।

खामनेई ने कहा, ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सांस्कृतिक गुलामी का समर्थन करना और कैरिकेचर बनाने की आपराधिक गतिविधि का समर्थन करना एमईके और सद्दाम हुसैन को संरक्षण देने का ही दूसरा पहलू है। उन्होंने कहा, ये पश्चिमी संस्कृति का गंदा चेहरा है जिसे वो आधुनिक तौर-तरीकों और तकनीक का इस्तेमाल करके छिपाए रखता है।

कार्टूनों का समर्थन करना अनैतिक है

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भी इस्लाम के प्रति फ्रांस के रुख की निंदा की थी और कहा था कि कार्टूनों का समर्थन करना अनैतिक है और मुसलमानों का अपमान है। उन्होंने कहा था, पैगंबर का अपमान हर मुसलमान का अपमान है। पैगंबर मोहम्मद को अपमानित करना सभी पैगंबरों, मानवीय मूल्यों और नैतिकता का अपमान करना है। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावद जरीफ ने एक बयान में कहा था कि फ्रांस ऐसे कामों से अतिवाद की आग को भड़का रहा है। मैक्रों की टिप्पणी को लेकर विरोध दर्ज कराने के लिए ईरान ने फ्रांस के राजदूत को भी समन किया था।

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Turkish President Rechep Tayyap

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप भी फ्रांस के खिलाफ

ईरान के अलावा, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप भी फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। उन्होंने मंगलवार को दिए एक बयान में कहा कि जब कहीं कोई हमला होता है और हमलावर मुसलमान होता है तो वो आतंकी घटना बताई जाती है लेकिन वही हमलावर अगर गैर-मुस्लिम हो तो फिर उसे महज एक हादसे का नाम दे दिया जाता है या फिर हमलावर को मानसिक रूप से अस्वस्थ करार दे दिया जाता है।

फ्रांस के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं

पाकिस्तान, तुर्की, बांग्लादेश समेत कई मुस्लिम देशों में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर फ्रांस के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं यूएई ने मैक्रों का समर्थन किया है। यूएई ने कहा है कि मैक्रों नहीं चाहते हैं कि उनके देश में मुसलमान अलग-थलग पड़े और मुख्य धारा से कट जाएं इसलिए मुसलमानों को उनकी बात ध्यान से सुननी चाहिए।

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