Quran Burnt in Denmark: डेनमार्क में जलाई गयी कुरआन, स्वीडन में फिर यही करने का प्रोग्राम

Quran Burnt in Denmark: स्वीडन में कुरान जलाने के दो ताजा घटनाओं के बाद अब पुलिस को कुरान जलाने के लिए एक और आवेदन प्राप्त हुआ है, इस बार यह कार्यक्रम राजधानी स्टॉकहोम में ईरानी दूतावास के बाहर आयोजित किया जाना है।

Neel Mani Lal
Published on: 26 July 2023 7:57 PM IST
Quran Burnt in Denmark: डेनमार्क में जलाई गयी कुरआन, स्वीडन में फिर यही करने का प्रोग्राम
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डेनमार्क में जलाई गयी कुरआन: Photo- Social Media

Quran Burnt in Denmark: स्वीडन में कुरान जलाने के दो ताजा घटनाओं के बाद अब पुलिस को कुरान जलाने के लिए एक और आवेदन प्राप्त हुआ है, इस बार यह कार्यक्रम राजधानी स्टॉकहोम में ईरानी दूतावास के बाहर आयोजित किया जाना है। यह अनुरोध एक 31 वर्षीय व्यक्ति की ओर से आया है, जो इस्लाम की पवित्र पुस्तक को आग लगाने का इरादा रखता है, इसके अलावा ईरान के राज्य प्रमुख अली खामेनेई की तस्वीर और दो गुड़िया के सिर को भी आग लगाने का इरादा रखता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ईरान द्वारा अपने लोगों के साथ किए जाने वाले व्यवहार का विरोध करना है।

इस तरह एक मामला 20 जुलाई को हो चुका है जब स्टॉकहोम में इराकी दूतावास के सामने दो पुरुषों ने कुरान को ठोकर मारी और पैरों से कुचला। इस प्रदर्शन को पुलिस की इजाजत मिली हुई थी। इसी व्यक्ति ने स्टॉकहोम मस्जिद के बाहर पिछले महीने कुरान जलाई थी और उसे भी पुलिस की मंजूरी हासिल थी।

डेनमार्क में भी यही हुआ

2023 की शुरूआत में इसी तरह की हरकत डेनमार्क में एक धुर दक्षिणपंथी कार्यकर्ता ने तुर्की दूतावास के सामने की थी। इसी हफ्ते फिर डेनमार्क में "डेनिश पैट्रियट्स" ग्रुप के दो प्रदर्शनकारियों ने कुरान जलाने का प्रदर्शन किया और इसे फेसबुक पर लाइवस्ट्रीम किया। राजधानी कोपेनहेगन में इराकी दूतावास के सामने किये गए इस प्रदर्शन के आयोजक ने कुरान को ट्रे में रख कर जला दिया और इराकी झंडे को जमीन पर फेंक दिया।

क्या है वजह

इस बीच लोगों के बीच यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर स्वीडन में इस तरह की घटनाएं क्यों होती हैं? दरअसल, स्वीडन में ऐसा कोई कानून नहीं है जो कुरान या किसी भी धर्म ग्रंथ के अपमान या जलाने जैसी घटना को रोकता हो। ज्यादातर पश्चिमी देशों की तरह स्वीडन में ईशनिंदा से जुड़ा कोई कानून नहीं है। हालाँकि 19वीं सदी में ईशनिंदा को बहुत बड़ा अपराध माना जाता था जिसमें मौत की सजा दी जाती थी। लेकिन जैसे जैसे स्वीडन में सेक्युलर होने लगा वैसे वैसे ईशनिंदा कानून में ढील दी गई और अंततः ईशनिंदा से सम्बंधित कानून 1970 में खत्म कर दिया गया।

मुस्लिम देश नाराज़

स्वीडन में कुरान की बेअदबी और की मुस्लिम देशों में बहुत तीव्र विरोध हुआ है और कई मुस्लिम देशों ने स्वीडन सरकार से कार्रवाई की मांग की है। हालांकि स्वीडन के कायदे-कानूनों के अनुसार जन प्रदर्शन को इजाजत देने का काम पुलिस का है और सरकार यह फैसला नहीं करती। देश में अभिव्यक्ति की आजादी संवैधानिक अधिकार है और पुलिस ऐसे किसी विरोध-प्रदर्शन को तभी रोक सकती है जब वह जन सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करे। फरवरी महीने में पुलिस ने कुरान जलाने से संबंधित दो अर्जियों को खारिज कर दिया था और पुलिस ने कहा था कि इस तरह की हरकतें देश में आंतकी हमलों का कारण बन सकती हैं।

मामला फिर अदालत में गया जहाँ पुलिस के फैसले को यह कहते हुए उलट दिया गया कि सार्वजनिक प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस को खतरे के ज्यादा ठोस सुबूत देने होंगे। कुछ लोगों और समूहों द्वारा पुलिस की निष्पक्षता जांचने के लिए एक मुस्लिम व्यक्ति ने इजरायली दूतावास के सामने बाइबिल और यहूदी धर्म ग्रन्थ ‘तोराह’ जलाने की बात कही थी। इजरायली अधिकारियों और यहूदी समुदाय ने इसकी आलोचना की लेकिन पुलिस ने इसकी इजाजत दे दी। हालांकि बाद में उस व्यक्ति ने यह कह कर इरादा बदल दिया कि वह सभी धर्मग्रंथ जलाने का विरोधी है।

ईश निंदा कानून

ईश निंदा बहुत से देशों मैं कानूनी अपराध है। 2019 के एक शोध मुताबिक 198 में से 79 देशों में ऐसे कानून हैं जो ईश्वर की निंदा को रोकते हैं। अफगानिस्तान, ब्रुनेई, ईरान, नाइजीरिया, पाकिस्तान और सउदी अरब जैसे देशों में इन मामलों में मौत की सजा भी दी जा सकती है।

Neel Mani Lal

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