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द्वीप पर भेजे गए रोहिंग्या

बांग्लादेश तटरक्षक दल के एक जहाज ने एक नाव पर सवार करीब 500 रोहिंग्याओं को बचाया था। ये सभी मलेशिया जाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मलेशिया ने कोरोना वायरस के चलते अपनी जलसीमा पर पेट्रोलिंग सख्त कर दी

suman
Published on: 10 May 2020 10:21 PM IST
द्वीप पर भेजे गए रोहिंग्या
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ढाका बांग्लादेश तटरक्षक दल के एक जहाज ने एक नाव पर सवार करीब 500 रोहिंग्याओं को बचाया था। ये सभी मलेशिया जाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मलेशिया ने कोरोना वायरस के चलते अपनी जलसीमा पर पेट्रोलिंग सख्त कर दी जिसकी वजह से ये वहां प्रवेश नहीं कर सके। करीब 58 दिन समुद्र में भटकने के बाद बांग्लादेश के तटरक्षक दल ने इन्हें बचाया। इस नाव पर सवार 28 लोगों की मौत हो गई थी। अब बचाए गए लोगों को बांग्लादेश सरकार ने भासन द्वीप पर भेज दिया गया है।

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बांग्लादेश ने बताया है कि द्वीप पर भेजे गए लोग कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविर में जाना चाहते थे। लेकिन जब तक इन लोगों की जांच नहीं हो जाती इन्हें वहाँ नहीं भेजा जा सकता। कॉक्स बाजार में बांग्लादेश का सबसे बड़ा रोहिंग्या शरणार्थी शिविर है जिसमें करीब 10 लाख लोग रहते हैं। इसकी देखरेख का जिम्मा बांग्लादेश शरणार्थी सहायता आयोग के पास ही है। कई मानवाधिकार समूहों का कहना है कि म्यांमार में रोहिंग्याओं की बढ़ रही प्रताड़ना के चलते इन्हें अपना देश छोड़कर भागना पड़ रहा है। इसके चलते ये समुद्र में फंस रहे हैं और अपनी जान तक गंवा रहे हैं।

भासन चार द्वीप

बांग्लादेश सरकार ने 2015 में इस द्वीप पर रोहिंग्या रिफ़्यूजी को बसाने का फैसला किया था। भासन चार एक बाढ़ प्रभावित द्वीप है जहां समुद्र के पानी की वजह से अक्सर बाढ़ आती रहती है। बांग्लादेश की इस योजना की संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने निंदा की थी। इस द्वीप को यूएन ने पहले इंसानों के रहने के लिए अनुपयोगी घोषित किया था। ये द्वीप समुद्र में से 20 साल पहले ही निकला है। इस दलदली द्वीप पर कोई रहता नहीं था, लेकिन बांग्लादेश ने इस द्वीप पर करीब एक लाख रोहिंग्याओं को बसाने की योजना बनाई है।

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म्यांमार में हिंसा

म्यांमार में दशकों से रोहिंग्याओं के साथ हिंसा की घटनाएं सामने आती रही हैं। 2017 में बौद्ध बहुल म्यांमार में सेना द्वारा रोहिंग्याओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद बांग्लादेश में बड़ी संख्या में रोहिंग्या आने लगे। म्यांमार हमेशा से सेना कार्रवाई को उचित ठहराता आया है। उसका कहना है कि सेना ने सिर्फ जिहादी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जो देश की सुरक्षा के लिए चुनौती बन रहे थे। दुनिया में फिलहाल सबसे ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश में हैं। इनकी संख्या करीब 13 लाख है।



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