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युद्ध को तैयार हुआ देश: लाखों सैनिक तैनात, कई देशों के लिए बढ़ा खतरा

रूस में बहुत बड़े स्तर पर युद्धाभ्यास चल रहा है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिमाग में आखिर चल क्या रहा है।

Newstrack
Published on: 25 July 2020 5:18 AM GMT
युद्ध को तैयार हुआ देश: लाखों सैनिक तैनात, कई देशों के लिए बढ़ा खतरा
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मॉस्को: रूस में बहुत बड़े स्तर पर युद्धाभ्यास चल रहा है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिमाग में आखिर चल क्या रहा है। खबर में खुलासा हुआ है कि रूस ने एक ऐसा शक्ति प्रदर्शन किया जिसमें एक लाख से ज्यादा सैनिकों के अलावा बड़ी संख्या में जंगी युद्धपोत, फाइटर जेट, टैंक और तोपें भी शामिल की गई। तो अब हालातों को देखते हुए लगता है कि रूस और पश्चिमी देशों में टकराव बढ़ सकता है।

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एक सामान्य ड्रिल

रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के आदेश पर देश की दक्षिण पश्चिमी बॉर्डर पर बड़ी तादात में सैन्य अभ्यास किया गया। इस सैन्य अभ्यास में डेढ़ लाख सैनिक और वायु सेना के 414 लड़ाकू विमानों सहित नौसेना की नौकाओं व विमानों ने भाग लिया।

हालांकि अमेरिका और पश्चिमी देशों ने इस पर आपत्ति व्यक्त की है। पर इस बात पर रूस के रक्षा मंत्रालय ने इसे दक्षिण-पश्चिम में सुरक्षा सुनिश्चित करने की एक सामान्य ड्रिल बताया है।

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रूस ने साफ इशारा किया

रक्षा विशेषज्ञ इस विशाल सैन्य अभ्यास को अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच उठ रहे तनाव से निपटने की क्षमता के रूप में देख रहे हैं। साथ ही ये भी माना जा रहा है कि इस सैन्य अभ्यास के जरिए रूस ने साफ इशारा किया है कि यदि दोनों देशों में तनाव बढ़ा तो वह मामले में हस्तक्षेप कर सकता है।

इस अंदेशे को पता उस समय चला, जब शनिवार सुबह अजरबैजान के रक्षा मंत्री जाकिर हसनोव ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगू को फोन किया। इस बातचीत में रूस के बड़े सैन्य अभ्यास और अर्मेनियाई-अजरबैजानी बॉर्डर की स्थिति पर चर्चा की गई।

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सैनिकों को बार- बार अभ्यास करवाया जाता

इस सिलसिले में रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के सैन्य अभ्यास किसी भी देश की प्रशिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैं। इसके जरिए सैनिकों और हथियारों की तुरंत तैनाती की क्षमता परखी जाती है।

इसके लिए सैनिकों को बार- बार अभ्यास करवाया जाता है, जिससे युद्ध की स्थिति में वे तुरंत ऑपरेशन के लिए तैनात हो सकें। यह स्थिति मीडिया में दिखाई जाने उन तस्वीरों से उलट होती है, जिसमें दिखाया जाता है कि सायरन बजते ही सैनिक भागने लगते हैं और घातक हथियार हमले के लिए तैयार हो जाते हैं।

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