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रूस-चीन में बड़ी डील: मिलकर बनाएंगे ये खतरनाक हथियार, निशाने पर ये देश

रूस और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। अब दोनों देश मिलकर नेक्स्ट जेनरेशन की डीजल इलेक्ट्रिक परमाणु पनडुब्बी बनाएंगे। अमेरिका से बढ़ती दुश्मनी के बीच रूस और चीन में हुए इस डील को काफी अहम माना जा रहा है।

Newstrack
Published on: 29 Aug 2020 10:26 PM IST
रूस-चीन में बड़ी डील: मिलकर बनाएंगे ये खतरनाक हथियार, निशाने पर ये देश
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रूस और चीन नई परमाणु पनडुब्बी की डिजाइन को लेकर काम कर रहे हैं। इसमें रूस की तरफ से फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कॉपरेशन शामिल है।

नई दिल्ली: रूस और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। अब दोनों देश मिलकर नेक्स्ट जेनरेशन की डीजल इलेक्ट्रिक परमाणु पनडुब्बी बनाएंगे। अमेरिका से बढ़ती दुश्मनी के बीच रूस और चीन में हुए इस डील को काफी अहम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका से बढ़ते तनाव के बीच दोनों देश अपनी तटीय सुरक्षा को मजबूत करने में लगे हैं।

दोनों देश जिस डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों पर काम कर रहे हैं वो परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों के मुकाबले कम ताकतवर होती हैं। हालांकि तटीय क्षेत्रों में इनकी क्षमता ज्यादा होती है और इनके परिचालन का खर्च भी कम आता है।

रूस की सरकारी मीडिया का कहना है कि रूस और चीन नई परमाणु पनडुब्बी की डिजाइन को लेकर काम कर रहे हैं। इसमें रूस की तरफ से फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कॉपरेशन शामिल है।

Xi Jinping and Vladimir Putin एक समझौते के दौरान रूस के राष्ट्रपति और चीन के राष्ट्रपति(फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

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रूस को पनडुब्बी बनाने में महाराथ

पनडुब्बियों के निर्माण को लेकर रूस के पास अनुभव की कोई कमी नहीं है। रूस को पनडुब्बी बनाने में महाराथ हासिल है। इसने कई ऐसी पनडुब्बियों का निर्माण किया है जिसके सामने कोई नहीं टिकता।

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शीत युद्ध के दौरान रूस ने चीन को गोल्फ क्लास बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी और रोमियो क्लास पनडुब्बी की टेक्नोलॉजी दी थी जिसके कारण ड्रैगन ने अपने पनडुब्बी निर्माण उद्योग को विकसित करने में सफलता हासिल की थी। कुछ समय पहली ही रूस ने चीन को किलो क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियां दी हैं। अब चीन खुध किसी भी क्लास की पनडुब्बी बनाने में समर्थ है।

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इस मामले में रूस से भी आगे चीन

चीन की तकनीकी एयर इंडिपेंडेंट पावर (AIP) के मामले में रूस से भी आगे है। इस समय रूस लाडा श्रेणी की पनडुब्बियों में इस तकनीकी का इस्तेमाल करने जा रहा है। इसलिए रूस ने चीन की मदद से एआईपी तकनीकी को अपनी पनडुब्बियों में लगाने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि दोनों देश जिस पनडुब्बी को मिलकर बनाएंगे उसमें यह तकनीकी होगी। इसकी बदौलत ये पनडुब्बियां समुद्र में डिटेक्ट नहीं की जा सकेंगी।

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