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2036 तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे पुतिन, ऐसे लिया गया फैसला

वर्ष 1999 में रूस की सत्ता में व्लादिमीर पुतिन के हाथों में आई थी। 1999 के बाद से पुतिन आज तक रूस के राष्ट्रपति हैं और वह 2036 तक इस पद पर बने रह सकते हैं।

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Published on: 2 July 2020 12:54 PM IST
2036 तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे पुतिन, ऐसे लिया गया फैसला
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नई दिल्ली: वर्ष 1999 में रूस की सत्ता में व्लादिमीर पुतिन के हाथों में आई थी। 1999 के बाद से पुतिन आज तक रूस के राष्ट्रपति हैं और वह 2036 तक इस पद पर बने रह सकते हैं। रूस में जनमतसंग्रह कराया गया है जिसमें जनता ने पुतिन के 2036 तक सत्ता में बने रहने के लिए जरूरी संविधान संशोधन का समर्थन किया है।

रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग ने बताया है कि बैलेट की गिनती करीब करीब खत्म हो चुकी है और अब तक आए नतीजों में 78 प्रतिशत लोगों ने संविधान संशोधन का समर्थन किया है। तो वहीं रूस की विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर मतदान में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति पुतिन का मौजूदा कार्यकाल 2024 में खत्म होगा। रूस के संविधान में राष्ट्रपति पद के लिए दो कार्यकाल की सीमा तय की गई। इस वजह से 2024 के बाद से पुतिन को सत्ता से बेदखल होना पड़ता।

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व्लादिमीर पुतिन 1999 से 2008 और 2012 से अब तक रूस की सत्ता पर काबिज है। 67 वर्षीय पुतिन अगर 2036 तक रूस के राष्ट्रपति पद पर बने रहते हैं तो उस वक्त उनकी उम्र 83 साल होगी।

संविधान संशोधन को लेकर पहले 22 अप्रैल को जनमत संग्रह होना था, लेकिन कोरोना संकट के कारण इसे टालना पड़ा। पुतिन को राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की इजाजत देने के अलावा, जनमतसंग्रह में करीब 200 अन्य संशोधन भी शामिल किए गए हैं। इसमें गारंटी पेंशन और समलैंगिक विवाह पर बैन जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया है। इस संशोधन से यूक्रेन पर भी पुतिन का दबदबा बढ़ जाएगा।

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जनवरी में पुतिन की पूरी कैबिनेट ने दिया था इस्तीफा

जनवरी में रूस के प्रधानमंत्री दिमित्री मिदेवदेव समेत पुतिन की पूरी कैबिनेट ने अपना सौंप दिया था, उसी समय आशंका बढ़ गई थी कि पुतिन कोई बड़ा उलटफेर करने जा रहे हैं। अब साफ हो गया है कि संविधान संशोधन की प्रक्रिया की राह को आसान करने के लिए ही ऐसा किया गया था।

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पुतिन सबसे पहले 1999 में पहली बार राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुए । उन्होंने बोरिस येल्तसिन के इस्तीफा देने के बाद रूस की सत्ता संभाली थी। राजनीति में आने के पहले वे सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में काम करते थे।



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