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रूसी वैक्सीनः क्या भारत करेगा इस्तेमाल, दावा है संजीवनी होने का
रूस ने कोरोना की वैक्सीन बना ली है और दुनियाभर के देश इसकी प्री-बुकिंग भी करा रहे हैं। पूरी दुनिया के सामने जिस तरह से कोरोना का तांडव मचा है। वैसे में रूस की वैक्सीन संजीवनी के समान है। 11 अगस्त को रूस ने अपनी वैक्सीन दुनिया के सामने लाने की बात कर दी।
नई दिल्ली: रूस ने कोरोना की वैक्सीन बना ली है और दुनियाभर के देश इसकी प्री-बुकिंग भी करा रहे हैं। पूरी दुनिया के सामने जिस तरह से कोरोना का तांडव मचा है। वैसे में रूस की वैक्सीन संजीवनी के समान है। 11 अगस्त को रूस ने अपनी वैक्सीन दुनिया के सामने लाने की बात कर दी। इस वायरस के खिलाफ ये पहली वैक्सीन है, जिसे हरी झंडी मिली है, लेकिन इसके प्रभावशाली होने पर लगातार संदेह है ।
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20 करोड़ कोरोना वैक्सीन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को एलान किया है कि रूस ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन स्पुतनिक V बना ली है। उनका दावा है कि यह पहली सफल कोरोना वैक्सीन है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसे मंजूरी दे दी है। रूसी वैक्सीन से संबंधित वेबसाइट ने दावा करते हुए उन देशों के नामों को बताया है, जिन्होंने स्पूतनिक वी को खरीदने में इच्छा जताई है। इसमें भारत, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्राजील, मैक्सिको आदि देश शामिल हैं। वेबसाइट का कहना है कि साल 2020 के अंत तक, 20 करोड़ कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की योजना है। इसमें से 3 करोड़ डोज रूस खुद के लिए रखेगा।
प्रतीकात्मक
सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन
रूस की सरकार के मुताबिक, वैक्सीन में दो अलग - अलग इंजेक्ट करने वाले घटक हैं इसलिए दोनों का टीका अलग - अलग वक्त पर लगाया जाएगा। इससे वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।कोरोना वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी। उसके बाद वरिष्ठ नागरिकों , बच्चों और वयस्कों को दी जाएगी। उनका कहना है कि वैक्सीन ट्रायल में 100 प्रतिशत कारगर साबित हुई है।कोरोना से पहले सार्स और मार्स बीमारियों पर रिसर्च चल रहा था। कोरोना और सार्स एक ही फैमिली के होने की वजह से पहले की गई रिसर्च कोरोना वैक्सीन बनाने में मददगार साबित हुई है।
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अमेरिका ने जताया संदेह
रूसी वैक्सीन पर अमेरिका ने संदेह जताया है। पुतिन की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार ने कहा है कि कोविड-19 का पहला टीका बनाने की जगह कोरोना वायरस के खिलाफ एक प्रभावी और सुरक्षित टीका बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। रूसी मीडिया के मुताबिक, रूस के नागरिकों को अभी मुफ्त में कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। जबकि बाकी देशों के लिए इसकी कीमत तय होगी।
प्रतीकात्मक
भारत का क्या है विचार
रूस के वैक्सीन बनाने के दावे पर दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा प्रभावित देश भारत में भी इस वैक्सीन को उतारने से पहले सुरक्षा के लिहाज से इसके असर को आंका जाएगा। ये कहना है देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि सफल वैक्सीन का टीका सुरक्षित होना चाहिए, यह पहला मानक है। सैंपल का आकार क्या है? यह कितना प्रभाव दिखा रहा है? हमें यह भी स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि टीका सुरक्षित होना चाहिए। इसके बाद ही वैक्सीन पर विचार किया जा सकता है।
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