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कोरोना से जंग के लिए आई नई थ्योरी, 30 दिन तक काम और फिर 50 दिन लॉकडाउन
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 16 देशों के डेटा का उपयोग करते हुए गणितीय सूत्रों पर यह रणनीति तैयार की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 30 दिन काम और 50 दिन तक फिर लॉकडाउन, इस वैकल्पिक 80 दिनों के चक्र से ही कोरोना से होने वाली मौतों और आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में कमी लाई जा सकेगी।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना संकट के कारण घोषित लॉकडाउन को धीरे-धीरे खोला जा रहा है। माना जा रहा है कि लॉकडाउन खोलने से ठप हो चुकी आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। इस बीच एक नए शोध में लॉकडाउन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिया गया है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का कहना है की कोरोना संकट पर विजय पाने के लिए दुनिया को 2022 तक रुक-रुक कर लॉकडाउन की जरूरत है। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि इसके लिए 30 दिन तक काम करने के बाद 50 दिन तक लॉकडाउन में रहने का नियम बनाना होगा।
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने तैयार की नई रणनीति
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 16 देशों के डेटा का उपयोग करते हुए गणितीय सूत्रों पर यह रणनीति तैयार की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 30 दिन काम और 50 दिन तक फिर लॉकडाउन, इस वैकल्पिक 80 दिनों के चक्र से ही कोरोना से होने वाली मौतों और आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में कमी लाई जा सकेगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि एक महीने के लंबे समय तक सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढील देने से लोग लंबे समय तक इसका पालन करने के बारे में सोचेंगे और इससे कोरोना पर विजय पाने में काफी हद तक मदद मिल सकेगी।
इस कदम से बच सकेंगी नौकरियां
यूरोपियन जर्नल आफ इपियोडेमोलॉजी मैं प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि वैकल्पिक लॉकडाउन की इस रणनीति पर अमल करने से एक बड़ा फायदा यह होगा कि इससे लोगों की नौकरियां भी बचाई जा सकेंगी। दुनिया के विभिन्न देश अगर यह कदम उठाते हैं तो इससे वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक व्यवधान को कम करने में भी काफी मदद मिलेगी।
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ज्यादा से ज्यादा टेस्ट पर भी जोर
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ राजीव चौधरी का कहना है कि हमने सिर्फ ब्रिटेन की स्थिति का मॉडल नहीं बनाया है, लेकिन हमें उम्मीद है कि यह उच्च आय वाले अन्य देशों की तरह ही होगा। शोध में कहा गया है कि इस रणनीति पर चलने के साथ ही ही ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने, करीबी संपर्कों को खोजने और आइसोलेट करने की रणनीति पर भी अमल करना होगा।
दीर्घकालिक और टिकाऊ रणनीति
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस रणजीत के जरिए कोरोना से जंग में कामयाबी मिलने की उम्मीद है क्योंकि यह रणनीति मौजूदा तरीकों की तुलना में दीर्घकालिक और अधिक टिकाऊ है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैकल्पिक लॉकडाउन की रणनीति से कोरोना से होने वाली मौतों को कम किया जा सकेगा और साथ ही लोगों की आर्थिक परेशानियां और मानसिक दिक्कतें भी काफी हद तक दूर होंगी।
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ऐसे हो सकते हैं तीन परिदृश्य
शोधकर्ताओं ने अपनी बात और स्पष्ट करते हुए तीन परिदृश्यों की तस्वीर साफ की है। शोधकर्ताओं के मुताबिक पहले परिदृश्य में अगर 50 दिनों के कड़े लॉकडाउन के बाद 30 दिनों की छूट दी जाती है तो इसका असर यह दिखेगा के कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या काफी घट जाएगी। इस स्थिति में यह महामारी अठारह महीनों तक रहने की संभावना है।
दूसरे परिदृश्य में अगर कोई भी कदम नहीं उठाए जाते हैं तो स्थिति भयावह होगी और 200 दिनों तक चलने वाली महामारी के दौरान करीब 78 लाख मौतें हो सकती हैं। तीसरे परिदृश्य के मुताबिक अगर 50 दिनों तक राहत वाला लॉकडाउन और फिर 30 दिनों की छूट दी जाएगी तो कोरोना वायरस से 30 लाख लोगों की मौतें होगी और साथ ही आईसीयू का गंभीर संकट भी पैदा होगा।
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