×

चमगादड़ों से इंसानों तक सीधे नहीं पहुंचा वायरस, वैज्ञानिकों को बीच कड़ी की तलाश

दुनिया भर में तमाम देश इस बात को जानना चाहते हैं कि आखिर कोरोना वायरस का संक्रमण चमगादड़ से इंसानों तक कैसे पहुंचा। यह मामला विश्व स्वास्थ्य संगठन तक भी पहुंच चुका है और यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव पर कई देशों ने मांग की है कि यह पता लगाया जाना जरूरी है कि आखिर इंसानों तक इस वायरस का संक्रमण कैसे पहुंचा।

Shivani Awasthi
Published on: 21 May 2020 3:41 AM GMT
चमगादड़ों से इंसानों तक सीधे नहीं पहुंचा वायरस, वैज्ञानिकों को बीच कड़ी की तलाश
X

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं कि आखिर कोरोना वायरस चमगादड़ों से इंसानों तक कैसे पहुंचा। दरअसल वैज्ञानिक कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए उस तीसरे प्राणी की तलाश कर रहे हैं जो चमगादड़ और इंसान के बीच की कड़ी था मगर अभी तक काफी कोशिशों के बावजूद इस काम में कामयाबी नहीं मिल सकी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पता लगने के बाद बहुत कुछ चीजें साफ हो सकेंगी।

डब्ल्यूएचओ में भी उठ चुकी है मांग

दुनिया भर में तमाम देश इस बात को जानना चाहते हैं कि आखिर कोरोना वायरस का संक्रमण चमगादड़ से इंसानों तक कैसे पहुंचा। यह मामला विश्व स्वास्थ्य संगठन तक भी पहुंच चुका है और यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव पर कई देशों ने मांग की है कि यह पता लगाया जाना जरूरी है कि आखिर इंसानों तक इस वायरस का संक्रमण कैसे पहुंचा।

कई जानवरों पर संदेह मगर ठोस नतीजा नहीं

नेचर में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिकों को चमगादड़ों और इंसानों के बीच की कड़ी की तलाश है। रिपोर्ट के मुताबिक एक दर्जन से अधिक जानवरों को संदेह के दायरे में रखकर जांच की जा चुकी है मगर अभी तक वैज्ञानिक किसी नतीजे पर पहुंचने में कामयाब नहीं हो सके हैं। अभी तक वैज्ञानिकों का संदेह जिन प्राणियों पर गया है उनमें बिल्ली, फ्रूट बैट्स, फेरेट्स, रेहसस आदि जीव शामिल हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकाला जा सका है।

ये भी पढ़ेंः दो दिन तक टहलता रहा कोरोना पॉजिटिव: सैंकड़ों संक्रमित, खुलासे के बाद मचा हड़कंप

सीधे इंसानों तक नहीं पहुंचा वायरस

शोध में बताया गया है जब वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी में कोरोना के जीनोम को तैयार करने के बाद सार्वजनिक किया गया तो उसकी 96 फ़ीसदी मैचिंग हार्शशू बैट से हुई। इस आधार पर यह नतीजा निकाला गया कि यह वायरस चमगादड़ों से उत्पन्न हुआ है। लेकिन यह वायरस चमगादड़ों से सीधे इंसानों में नहीं गया क्योंकि अगर ऐसा हुआ होता तो जीनोम में चार फ़ीसदी का अंतर नहीं हो सकता।

जीनोम डेटाबेस खंगाल रहे वैज्ञानिक

शोध में कहा गया है कि चमगादड़ों और इंसानों के बीच की कड़ी के रूप में सबसे पहला संदेह पैंगोलिन पर किया गया क्योंकि पैंगोलिन ही एकमात्र ऐसा स्तनधारी है जिसमें कोरोना वायरस मौजूद रहा है। वैसे अभी तक यह साबित नहीं हो पाया है कि कोविड-19 का वायरस चमगादड़ों के बाद पैंगोलिन के जरिए इंसानों तक पहुंचा है। इस कारण वैज्ञानिक उस जानवर की तलाश में जुटे हुए हैं जो चमगादड़ों और इंसानों के बीच की कड़ी है। वैज्ञानिक उन सभी जानवरों के जीनोम डेटाबेस को खंगाल रहे हैं जो इससे मिलते जुलते हैं।

ये भी पढ़ेंः कोरोना से जंग के लिए आई नई थ्योरी, 30 दिन तक काम और फिर 50 दिन लॉकडाउन

नहीं तो मजबूत होगी लैब से फैलने की थ्योरी

मैकमास्टर यूनिवर्सिटी हेमिल्टन के शोधकर्ता अरिंजय बनर्जी का कहना है कि यदि वायरस पशुओं के जरिए इंसान तक पहुंचा है तो उस जानवर का पता लगाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के बाद ही बहुत कुछ चीजें साफ हो सकेंगी अन्यथा इसकी उत्पत्ति को लेकर हम हमेशा अंधेरे में ही रहेंगे। शोध में कहा गया है कि दुनिया को यह विश्वास दिलाने के लिए कि यह जंगली वायरस है, हमें इसके स्रोत का पता लगाना ही होगा। यदि हम इस इस वायरस के स्रोत का पता लगाने में कामयाब नहीं होंगे तो उस थ्योरी को बल मिलेगा जिसमें कहा गया है कि यह वायरस वुहान की लैब से लीक हुआ है।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story