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श्रीलंका ने किया हमला: भारतीयों पर लगाया घुसपैठ का आरोप, समुद्री सीमा पर तनाव

मछुआरों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के उल्लंघन से इंकार किया है। मछुआरों ने बताया कि उन पर पत्थर से हमले किये गए और उनके मछली पकड़ने के जाल को भी फाड़ दिया गया। अधिकारियों के मुताबिक श्रीलंका को इस घटना की आधिकारिक जानकारी देते हुए उनसे इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है।

Newstrack
Published on: 27 Oct 2020 11:29 AM IST
श्रीलंका ने किया हमला: भारतीयों पर लगाया घुसपैठ का आरोप, समुद्री सीमा पर तनाव
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श्रीलंका ने किया हमला: भारतीयों पर लगाया घुसपैठ का आरोप, समुद्री सीमा पर तनाव

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच पड़ोसी देश श्रीलंका भी भारत विरोधी हरकतें करने लगा है। श्रीलंका की नौसेना ने भारतीय मछुआरों के एक दल को कथित तौर पर निशाना बनाया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस दल को घुसपैठिये बताते हुए इन पर घातक हथियारों से हमला किया गया है। इस हमले में एक भारतीय मछुआरा गंभीर रूप से घायल हो गया है। सूचना मिली है कि श्रीलंका ने आरोप लगाया है कि ये मछुआरे उनकी सीमा में जबरदस्ती घुस आए थे।

भारत ने मांगा स्पष्टीकरण

वहीं दूसरी तरफ मछुआरों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के उल्लंघन से इनकार किया है। मछुआरों ने बताया कि उन पर पत्थर से हमले किये गए और उनके मछली पकड़ने के जाल को भी फाड़ दिया गया। अधिकारियों के मुताबिक श्रीलंका को इस घटना की आधिकारिक जानकारी देते हुए उनसे इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है। घायल मछुआरा तमिलनाडु के रामेश्वरम का रहने वाला बताया जा रहा है।

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भारत-श्रीलंका के संबंधों पर एक नज़र

-भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच आ रहे तनाव के मद्देनजर यहां हम भारत-श्रीलंका के संबंधों पर एक नज़र डालते हैं। जबकि भारत के सभी पड़ोसी देश चीन की कर्ज नीति का शिकार हो चुके हैं।

-उल्लेखनीय है कि भारत और श्रीलंका के मध्य संबंध 2500 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं। दोनों देशों के पास महत्त्वपूर्ण बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी विरासत मौजूद है।

-विगत कुछ वर्षों में दोनों देशों ने अपने संबंधों को लगभग प्रत्येक स्तर पर बेहतर करने के प्रयास किये हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी देखी गई है और दोनों ही बुनियादी ढाँचे के विकास, शिक्षा, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं।

-साथ ही विकास सहायता परियोजनाओं के कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण प्रगति ने दोनों देशों के बीच दोस्ती के बंधन को और मजबूत किया है।

-श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच लगभग तीन दशक तक चला लंबा सशस्त्र संघर्ष वर्ष 2009 में समाप्त हुआ जिसमें भारत ने आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु श्रीलंका सरकार के अधिकार का समर्थन किया था।

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आखिर संबंधों में मतभेद क्यों है?

-बता दें कि भारत और श्रीलंका के संबंधों में मतभेद की शुरुआत श्रीलंका के गृहयुद्ध के समय से ही हो गई थी। जहां एक ओर श्रीलंकाई तमिलों को लगता है कि भारत ने उन्हें धोखा दिया है, वहीं सिंहली बौद्धों को भारत से खतरा महसूस होता है।

-विदित है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के भाई और श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे वर्ष 2015 में राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे, हार के बाद राजपक्षे शासन के कई समर्थकों ने उनकी अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक हार के लिये भारत को ज़िम्मेदार ठहराया था।

-इसके अलावा राजपक्षे शासन का चीन की ओर आकर्षण भी भारत के लिये चिंता का विषय है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी गोतबाया राजपक्षे ने यह बात खुलकर कही थी कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो चीन के साथ रिश्तों को मज़बूत करने पर अधिक ज़ोर दिया जाएगा।

-यह भी सत्य है कि श्रीलंका में चीनी प्रभाव का उदय महिंदा राजपक्षे की अध्यक्षता के समानांतर ही हुआ था। राजपक्षे के कार्यकाल में ही श्रीलंका ने चीन के साथ अरबों डॉलर के आधारिक संरचना संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे।

-उपरोक्त तथ्य श्रीलंका में चीन के अनवरत बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं, जो कि भारत के दृष्टिकोण से बिलकुल भी अनुकूल नहीं है।

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