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कोरोना से होगा इलाज: इस देश को मिली कामयाबी, अब पुराने मरीज आएंगे काम
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। पूरी दुनिया इस समय एक भयावह दौर का सामना कर रही है। वहीं इस बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। पूरी दुनिया इस समय एक भयावह दौर का सामना कर रही है। वहीं इस बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है। दरअसल, कोरोना से संक्रमित 5 मरीजों का इलाज उन मरीजों के खून से किया गया जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित थे। इस इलाज के तरीके को चीन ने अपनाया। इनमें से 3 मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर वापस भेज दिया गया है, जबकि दो मरीज अब भी हॉस्पिटल में ही हैं। लेकिन उन दोनों मरीजों की हालत अब पहले से काफी ज्यादा बेहतर है।
इस तकनीक से ठीक हो सकते हैं कई मरीज
इन मरीजों का ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टर का कहना है कि पुराने मरीजों के खून के जरिए इलाज के इस तरीके से कोरोना से संक्रमित कईयों मरीजों को ठीक किया जा सकता है। ये खबर एक वेबसाइट ने प्रकाशित की है।
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36 से 73 साल थी मरीजों की उम्र
चीन के एक हॉस्पिटल ने अपने इलाज के इस तरीके की रिपोर्ट 27 मार्च को प्रकाशित की थी। इस बारे में अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि जिन पांच कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज पुराने कोरोना के मरीजों के खून से किया गया था, वो लगभग 36 से 73 साल के बीच थे।
इस तरीके से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता
वैज्ञानिक इस तरह से इलाज करने की तकनीक, जिसमें पुराने मरीजों के खून से नए मरीजों का इलाज किया गया को कोवैलेसंट प्लाज्मा कहते हैं। इससे कई तरह की बीमारियों को ठीक किया जा चुका है। इस तरीके से नए मरीजों के खून में पुराने मरीजों का खून डालकर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाती है।
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इस तकनीक में खून के अंदर वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाते हैं, जो वायरस से लड़ कर उन्हें खत्म कर देते हैं। या फिर उनको दबा देते हैं। एक अस्पताल में संक्रामक बीमारियों की स्टडी के लिए नेशनल क्लीनिकल रिसर्च सेंटर भी है।
5 मरीजों का इलाज इस तकनीक से किया गया
करीब दो हफ्ते पहले अस्पताल में 5 कोरोना वायरस से पॉजिटिव मरीज पाए गए। जिनमें 3 पुरूष और 2 महिलाएं थीं। शेनझेन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने पुराने ठीक हो चुके कोरोना के मरीजों के खून से इन मरीजों का इलाज किया।
ऐसे किया गया इन मरीजों का इलाज
इस बारे में अस्पताल के उप-निदेशक लिउ यिंगजिया ने बताया कि, हमने 30 जनवरी से ही ठीक हो चुके मरीजों को खोजना शुरु कर दिया था। फिर उनके खून लिए और उसमें से प्लाज्मा निकाल कर स्टोर कर लिया। जब कोरोना के नए मरीज आए तो उन्हें इसी प्लाज्मा का डोज दिया गया।
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पूरी दुनिया कर सकती है इस तकनीक का उपयोग
निदेशक लिउ यिंगजिया ने कहा कि, हमें उम्मीद है कि हमारी इस बेसिक तकनीक का उपयोग पूरी दुनिया कर सकती है। इससे काफी फायदा होता दिख रहा है। यह तकनीक भरोसा करने योग्य भी है।
WHO ने इलाज के तरीके को बताया बेहतरीन
वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. माइक रियान ने चीन के इलाज के इस तरीके को बेहतरीन बताया है। उन्होंने कहा कि, इस समय के मुताबिक यह सही कदम है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल कोरोना से निपटने के लिए इससे बेहतर तरीका नहीं है। इसे विकसित करके मरीजों को ठीक किया जा सकता है। इससे मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे वायरस को हराने की ताकत भी मिलती है। यह तकनीक काफी पुराना है।
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