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इन दो इस्लामिक देशों में बैन है तबलीगी जमात, जानें क्या है वजह

तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग पूरी दुनियाभर में फैले हुए हैं। तबलीगी जमात दुनिया के 150 देशों में सक्रिय है, इन देशों में जमातें इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए जाती हैं।

Shreya
Published on: 2 April 2020 2:54 PM IST
इन दो इस्लामिक देशों में बैन है तबलीगी जमात, जानें क्या है वजह
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नई दिल्ली: दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज का कोरोना कनेक्शन सामने आने के बाद से ही हड़कंप मचा गया। इस तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग पूरी दुनियाभर में फैले हुए हैं। तबलीगी जमात दुनिया के 150 देशों में सक्रिय है, इन देशों में जमातें इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए जाती हैं। यही नहीं दुनियाभर के कई देशों से तबलीगी जमात के लोग भारत भी आते हैं। लेकिन यह तबलीगी जमात जहां से इस्लाम की शुरुआत हुई यानि कि सऊदी अरब, वहीं पर ही बैन है। इसके अलावा तबलीगी जमात को ईरान में भी बैन रखा गया है। यहां पर भी ये इस्लाम का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते।

मौलाना इलियास ने किया था तबलीगी जमात का गठन

जानकारी के लिए आपको बता दें कि मौलाना इलियास कांधलवी यानि मौलाना साद के परदादा ने इस तबलीगी जमात का गठन साल 1927 में किया था। ये तबलीगी जमात के पहले अमीर यानि मुखिया थे। साथ ही मौलाना इलियास देवबंदी विचारधारा से प्रेरित थे और मुसलमानों में हनफी संप्रदाय के मानने वाले हैं।

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पहली जमात मेवात लेकर गए थे मौलाना इलियास

मौलाना इलियास कांधलवी पहली जमात हरियाणा के मेवात लेकर गए थे। उन्होंने यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस्लाम की मजहबी शिक्षा देने के लिए ये जमात लेकर गए थे। इसके बाद से तबलीगी जमात का काम दुनियाभर के देशों में हो रहा है, लेकिन सऊदी अरब और ईरान में इसकों कोई जगह नहीं दी गई। तो चलिए आपको बताते हैं आखिर क्या है इसकी वजह?

सऊदी अरब में इसलिए बैन है तबलीगी जमात

दरअसल, सऊदी अरब में ज्यादातर लोग सलफी मसलक (सम्प्रदाय) के मानने वाले हैं। साथ ही वहां की मस्जिदों के ज्यादातर इमाम भी सलफी मसलक के मानने वाले हैं। वहीं दूसरी ओर इस तबलीगी जमात के लोग हनफी मसलक के मानने वाले हैं। ऐसे में इस्लाम के अंदर धार्मिक और वैचारिक मतभेद होने के चलते सऊदी अरब में तबलीगी जमात को बैन रखा गया है। क्योंकि सलफी मसलक में इस्लाम के प्रचार-प्रसार की कोई पद्यति नहीं है।

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कोई हमें इस्लाम के बारे में क्या बताएगा

इसके अलावा एक और वजह है। सऊदी अरब में सरकार के पास ही मस्जिदों की सारी जिम्मेदारियां हैं। वहां पर मस्जिद में किसी को ठहरने (रूकने) की अनुमति नहीं है और न ही वहां पर किसी भी तरह की कोई धार्मिक भीड़ एकत्रित करने की अनुमति है। जबकि तबलीगी जमात के लोग मस्जिदों में ठहरते हैं और वहां पर लोगों के बीच प्रचार-प्रसार करते हैं। इसके अलावा सऊदी असर के लोगों का ये भी मानना है कि इस्लाम पूरी दुनिया में फैला है, तो ऐसे में हमें कोई क्या इस्लाम के बारे में बताएगा।

ईरान में शिया संप्रदाय की बहुलता होने की वजह से बैन है तबलीगी जमात

सऊदी अरब के अलावा ईरान में भी तबलीगी जमात की एंट्री पर पाबंदी है। ईराम में शिया संप्रदाय की बहुलता है और सत्ता पर भी उन्हीं का अधिकार है। जबकि तबलीगी जमात और शिया संप्रदाय के बीच काफी वैचारिक मतभेद हैं। तबलीगी जमात शिया संप्रदाय के धार्मिक क्रियाकलापों को इस्लाम के खिलाफ मानता है। ऐसे ही शिया समुदाय के लिए तबलीगी जमात का कामकाज सही नहीं है। इसी वजह से ईरान में भी तबलीगी जमात की एंट्री पर प्रतिबंध है। साथ ही वहां पर तबलीगी जमात के छिपकर काम करने पर भी रोक है।

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