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कोरोना वैक्सीन डेवलप करने में है इन महिलाओं का हाथ, पढ़ें पूरी खबर

डॉ सुमति कोवैक्सिन डेवलप करने वाली कंपनी भारत बायोटेक में रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग की प्रमुख हैं। डॉ. सुमति इसके पहले ज़ीका और चिकनगुनिया के लिए भी वैक्सीन बनाने के मिशन में कामयाब रह चुकीं हैं।

Roshni Khan
Published on: 5 Jan 2021 4:15 PM IST
कोरोना वैक्सीन डेवलप करने में है इन महिलाओं का हाथ, पढ़ें पूरी खबर
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कोरोना वैक्सीन डेवलप करने में है इन महिलाओं का हाथ, पढ़ें पूरी खबर (PC: social media)

नीलमणि लाल

लखनऊ: कोरोना की वैक्सीन डेवलप करने में पुरुष वैज्ञानिकों के साथ साथ महिलाओं का बहुत बड़ा हाथ है। दुनिया भर में कोरोना सम्बन्धी रिसर्च, डेवलपमेंट और ट्रायल्स में महिलाओं ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है। जानते हैं 10 प्रमुख महिला वैज्ञानिकों के बारे में-

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डॉ के. सुमति

डॉ सुमति कोवैक्सिन डेवलप करने वाली कंपनी भारत बायोटेक में रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग की प्रमुख हैं। डॉ. सुमति इसके पहले ज़ीका और चिकनगुनिया के लिए भी वैक्सीन बनाने के मिशन में कामयाब रह चुकीं हैं। डॉ. सुमति जेएनयू से लाइफ साइंसेज़ में पीएचडी हासिल कर चुकी है। लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज व IISc बेंगलुरु से कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप भी पा चुकी हैं।

सारा गिल्बर्ट

58 वर्षीय सारा एक ब्रिटिश वैक्सीनोलोजिस्ट और वैक्सीटेक कंपनी की सह संस्थापक हैं। वो ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलोजी की प्रोफेसर भी हैं। प्रोफ़ेसर सारा गिल्बर्ट और उनकी सहयोगी एड्रिअन हिल ने ऑक्सफ़ोर्ड-आस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन डेवलप करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। सारा के तीन जुड़वां बच्चे हैं। तीनों से वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लिया था।

कतालिन कारीको

कतालिन कारीको जर्मन कंपनी बायोएकटेक की सीनियर वाईस प्रेसिडेंट हैं। हंगेरियन मूल की इस 66 वर्षीय वैज्ञानिक को आरएनए तकनीक में महारथ हासिल है। कतालिन 90 के दशक से आरएनए तकनीक पर रिसर्च कर रही हैं । उनका प्राथमिक लक्ष्य कैंसर का इलाज ढूंढना था। कोरोना वायरस की वैक्सीन में इसी आरएनए तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

ओजलेम ट्यूरिस्की

ओज्लेम एक जर्मन इम्यूनोलोजिस्ट हैं। वो एक बिजनेस वूमन भी हैं और बायोएनटेक कंपनी के चीफ मेडिकल ऑफिसर हैं। ओज्मेल ने अपने पति उगुर सारिन के साथ मिलकर कोरोना की वैक्सीन डेवलप की है , जिसे अमरीकी पार्टनर फाइजर ने प्रोड्यूस किया है। ओज्मेल और उनके पति मूलतः तुर्की के हैं। पति पत्नी तीन दशकों से कैंसर वैक्सीन पर रिसर्च कर रहे हैं।

डॉ किज्मेकिया कॉर्बेट

डॉ कॉर्बेट अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीज में इम्यूनोलोजिस्ट हैं। डॉ कॉर्बेट इस संसथान में कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रही टीम की लीडर हैं। मोडेरना कंपनी की दो कोरोना वैक्सीनों पर काम कर रही टीम में डॉ कॉर्बेट शामिल हैं।

नीता पटेल

अमेरिका की नोवावैक्स कंपनी में नीता पटेल मॉलिक्यूलर वैज्ञानिक हैं। नीता की टीम में सभी वैज्ञानिक महिलाएं हैं। उनकी कोरोना वैक्सीन फाइनल ट्रायल स्टेज में है। नीता पटेल इस टीम की मुख्या वैज्ञानिक हैं। गुजरात में सोजित्रा गाँव की मूल निवासी नीता के पिता एक किसान थे और टीबी के कारण उनको खेती का काम छोड़ना पड़ा था। पिता की बीमारी देख कर नीता ने डाक्टर बनने और टीबी का इलाज ढूँढने का संकल्प लिया था। टीबी और अन्य संक्रामक बीमारियों का इलाज खोजने में नीता की रिसर्च ने कोरोना की वैक्सीन की ओर उन्मुख किया।

लीज़ा जैक्सन

डॉ लीज़ा जैक्सन कैसर पेर्मनेंते वाशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टिट्यूट की सीनियर शोधकर्ता हैं। मॉडर्ना के तीसरे चरण के ट्रायल इन्हीं की देखरेख में हुए थे। टाइम पत्रिका ने डॉ लीज़ा के काम को उत्कृष्ट करार दिया है।

कैथरीन जेन्सेन

फाइजर – बायोएनटेक की वैक्सीन डेवलप करने वाली टीम की सदस्य रहीं हैं कैथरीन जेन्सेन। वो जर्मन नागरिक हैं और काफी पहले अमेरिका में बस गयीं थीं। कैथरीन फाइजर कंपनी में की वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंट की प्रमुख हैं। उन्होंने एचपीवी और निमोनिया की वैक्सीन पर बहुत काम किया है।

हन्नेके स्चुइत्मकेर

हन्नेके एक डच वाइरोलोजिस्ट हैं और एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर में वाइरोलोजी की प्रोफ़ेसर हैं। 57 वर्षीय हन्नेके अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन में वैक्सीन डेवलपमेंट की ग्लोबल प्रमुख हैं। और एचआईवी की वैक्सीन पर उनका शोध चल रहा है। उन्होंने नीदरलैंड में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को लीड किया था।

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एलेना स्मोलयारचुक

एलेना एक रूसी वैज्ञानिक हैं और मास्को यूनिवर्सिटी में सेंटर ऑफ़ क्लिनिकल रिसर्च मेडिसिन की निदेशक हैं। एलेना की अगुवाई में रूस में कोरोना की वैक्सीन स्पुतनिक 5 पर काम हुआ है। स्पुतनिक 5 वैक्सीन के डेवलपमेंट के काम में एलेना चीफ रिसर्चर रहीं हैं।

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