TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

कैसे बचेगी दुनिया: अब आ रहा सबसे बड़ा खतरा, खाने को पड़ जाएंगे लाले

अगले कुछ दिनों में नेपाल से टिड्डी दल वापसी करेगा और ईरान और पाकिस्तान से आने वाले दल से मिलेगा। जुलाई के मध्य में होर्न ऑफ अफ्रीका से आने वाले टिड्डी दल भी इसी में जुड़ जाएंगे।

Newstrack
Published on: 7 July 2020 6:03 PM IST
कैसे बचेगी दुनिया: अब आ रहा सबसे बड़ा खतरा, खाने को पड़ जाएंगे लाले
X

नई दिल्ली: लगातार तीसरे साल में टिड्डियों के पनपने की अनुकूल परिस्थितियों के चलते भारत में टिड्डी महामारी का खतरा बढ़ गया है। कोरोना महामारी के बीच टिड्डी दल किसानों के लिए आफत बन गए हैं। यह भारत के उत्तरी राज्य में आक्रमण करते हुए नेपाल तक पहुंच गई हैं और भारत-पाकिस्तान सीमा पर मरुस्थल में बड़ी संख्या में प्रजनन कर रही हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। यह आने वाले साल में भारत के लिए खतरे के संकेत हैं। इनपर नियंत्रण में लगा तो अनाज का संकट पैदा होने के आसार हैं।

यहां मिलेंगे कई टिड्डी दल, किसानों को हो सकता है भारी नुकसान

यूएन की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन के जून के अंत में जारी बुलेटिन के अनुसार, अगले कुछ दिनों में नेपाल से टिड्डी दल वापसी करेगा और ईरान और पाकिस्तान से आने वाले दल से मिलेगा। जुलाई के मध्य में होर्न ऑफ अफ्रीका से आने वाले टिड्डी दल भी इसी में जुड़ जाएंगे। इसे देखते हुए पूरे जुलाई में भारत समेत सूडान, इथियोपिया, सोमालिया और पाकिस्तान के हमले को लेकर हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है।

1926-31 के बीच आई थी टिड्डी महामारी

भारत सरकार के पूर्व एडवाइजर एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुशील कहते हैं, अगर लगातार तीसरे साल टिड्डी दल ऐसे ही हमला करता हैं तो इसे टिड्डी महामारी कहा जाएगा। पुराने आंकड़ों को देखें तो इस बार जून के आखिरी सप्ताह में टिड्डी दल ने दिल्ली-एनसीआर को पार किया। जोकि 1926-31 के बीच आई टिड्डी महामारी के बाद पहली दफा है।

ये भी देखें: सेना को बड़ी कामयाबी: पकड़ा गया लश्कर का खूंखार आतंकी, बरामद हुए हथियार

दूसरी पीढ़ी में 400 गुना तक बढ़ सकते हैं

डॉक्टर एसएन सुशील कहते हैं, इनका जीवन चक्र दो से चार महीने का होता है। टिड्डियां रेत में 10 सेंटीमीटर नीचे अंडे देती हैं एक पाठ में 80 से 90 अंडे होते हैं। अगर इन्हें मरुस्थल और रेतीली जमीन नहीं मिली, तो यह मर जाएंगे। इस साल मौसम अनुकूल है। एक पीढ़ी में 18 से 20 गुना प्रजनन होता है और दूसरी पीढ़ी में 400 गुना तक बढ़ सकते हैं।

हेलीकॉप्टर फायर ब्रिगेड और ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव

टिड्डियों के नियंत्रण को किए जा रहे ऑपरेशन की जानकारी देते हुए फरीदाबाद स्थित टिड्डी नियंत्रण केंद्र के उपनिदेशक के एल गुर्जर कहते हैं, यह समय टिड्डियों के प्रजनन का है। सभी ऑपरेशन टिड्डियों के प्रजनन को रोकने के लिए किए जा रहे हैं ताकि आगे पनपने न पाएं। हमारी 60 टीम इसके लिए लगी हैं, हेलीकॉप्टर फायर ब्रिगेड और ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है। अभी तक करीब दो लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को नियंत्रित कर लिया है। एक से डेढ़ लाख हेक्टेयर अभी बाकी है।

ये भी देखें: PCS बेटी की अत्महत्या पर फूट-फूट कर रोए पिता, प्रशासन पर उठाए सवाल

नौ राज्यों को बड़ा खतरा

सरकार ने सोमवार को बताया इस वर्ष अप्रैल से नौ राज्यों के ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाया गया। इन राज्यों में राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा और बिहार शामिल हैं। कृषि मंत्रालय ने बताया कि टिड्डी दल के प्रकोप से गुजरात उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ बिहार और हरियाणा में फसलों के अधिक नुकसान की सूचना नहीं मिली है। हालांकि राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, नागौर और भरतपुर तथा उत्तर प्रदेश के झांसी और महोबा जिले में टिड्डी दल सक्रिय हैं।

आसमान में उड़ते हुए इन टिड्डी दलों में दस अरब

एफपीओ के अनुसार, एक वयस्क टिड्डा हर दिन अपने वजन के बराबर यानी करीब 2 ग्राम खाना खा सकता है। चार करोड़ की संख्या वाला टिड्डियों का एक दल 35,000 लोगों का खाना चट कर सकते हैं। आसमान में उड़ते हुए इन टिड्डी दलों में दस अरब हो सकते हैं। ये सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में फैले हो सकते हैं।

ये भी देखें: UP PCS का रिजल्ट: इस दिन आ जाएंगे परिणाम, यहां जानिए पूरी जानकारी

जब सोमालिया को घोषित करना पड़ा था आपातकाल

फरवरी 2020 में हालात नियंत्रण के बाहर होने के बाद सोमालिया में टिड्डी हमले को आपातकाल घोषित करना पड़ा। जबकि पाकिस्तान में इस साल अप्रैल में दोबारा से आपातकाल घोषित करना पड़ा। भारत में मार्च से लेकर मई तक कई बार आकस्मिक बारिश टिड्डियों के प्रजनन के लिए काफी सहायक रहीं।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story