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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में नाजुक मोड़ पर ट्रंप और बाइडेन

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का प्रकोप बढ़ने के बावजूद अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार अभियान ने गति पकड़ ली है।

Roshni Khan
Published on: 27 Jun 2020 11:02 AM GMT
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में नाजुक मोड़ पर ट्रंप और बाइडेन
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का प्रकोप बढ़ने के बावजूद अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार अभियान ने गति पकड़ ली है। तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए 74 वर्षीय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा डेमोक्रेटिक पार्टी के उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी 77 वर्षीय जो बाइडेन अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुके हैं और एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं।

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अमेरिका में हुये ताजा जनमत सर्वेक्षण के अनुसार बाइडेन ट्रंप पर आठ प्रतिशत अंकों से अधिक की बढ़त बनाए हुए हैं। जो बाइडेन 20 अगस्त को विस्कांसिन के मिल्वॉकी शहर में डेमोक्रटिक पार्टी के सम्मेलन में औपचारिक तौर पर राष्ट्रपति चुनावों के उम्मीदवार के रूप में नामांकन स्वीकार करेंगे। बाइडेन को अमेरिकी के मीडिया का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है हालांकि मीडिया का ये वर्ग वामपंथी विचारधारा से प्रभावित बताया जाता है लेकिन दक्षिणपंथी मीडिया पूरी तरह ट्रंप के पक्ष में खड़ा है। दक्षिणपंथी मीडिया में बाइडेन को कमजोर और अस्वस्थ करार दिया गया है।

किसको किसका समर्थन

अमेरिका में चल रहे अश्वेत आंदोलन को भी बाइडेन का समर्थन हासिल है और हैरत की बात है कि इस आंदोलन में हिंसा, पुलिस पर हमले और तोड़फोड़ की बाइडेन ने निंदा नहीं की है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि अश्वेत और युवाओं का समर्थन बाइडेन को मिलेगा।

ट्रम्प को अमेरिका के भारतीय मूल के लोगों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। व्हाइट हाउस ने एक सर्वेक्षण के जवाब में कहा है कि भारतीय समुदाय ट्रम्प के साथ मजबूती से खड़ा है। इस सर्वे में संकेत मिले हैं कि अमेरिका के कुछ अहम राज्यों में भारतीय समुदाय के 50 प्रतिशत से अधिक लोग राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में जा रहे हैं। व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के लोगों और भारतीय-अमेरिकियों से मिल रहे 'व्यापक समर्थन' के लिए उनके 'बहुत आभारी' हैं।

भारतीय समुदाय के लोगों के बारे में आम तौर पर माना जाता है कि वे डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए वोट करते हैं। लेकिन अब ट्रंप विक्ट्री इंडियन-अमेरिकन फाइनेंस कमिटी के सह-अध्यक्ष अल मैसन द्वारा किए सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार, चुनावी मुकाबले वाले अहम राज्यों मिशिगन, फ्लोरिडा, टेक्सास, पेन्सिलवेनिया और वर्जीनिया में 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय-अमेरिकी ट्रंप के पक्ष में जा रहे हैं।

राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय तक पहुंच बनाने की अतिरिक्त कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके करीबी संबंधों ने उन्हें इस काम में सफलता पाने में काफी मदद की है।

व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने, अमेरिका की संस्कृति को समृद्ध करने और हमारे समुदायों को मजबूत करने में भारतीय-अमेरिकियों की अहम भूमिका को पहचाना है। ये दावा किया गया है कि भारतीय-अमेरिकियों के बीच बेरोजगारी दर करीब 33 प्रतिशत तक गिरी।

बर्बाद कर देगा अमेरिका को

ट्रंप ने बाइडेन को ऐसा उम्मीदवार बताया जो अमेरिका को बर्बाद कर देगा। ट्रंप ने कहा है कि वह (बाइडेन) ऐसे उम्मीदवार हैं जो इस देश को बर्बाद कर देंगे। और शायद खुद से ऐसा नहीं करें। उन्हें मूर्खों का एक छोटा कट्टरपंथी समूह चलाएगा जो हमारे देश को बर्बाद कर देगा और लोगों को यह समझना होगा। ट्रम्प ने कहा कि एक व्यक्ति (बाइडेन) है जो बात नहीं करता। कोई भी उन्हें नहीं सुनता है। जब भी वह बात करता है तो वह दो वाक्यों को एक साथ नहीं बोल सकता और वह आपका राष्ट्रपति होने जा रहा है क्योंकि कुछ लोग शायद मुझे पसंद नहीं करते।

ट्रंप ने कहा है कि वह बाइडेन के साथ कई चर्चाओं में भाग लेना चाहते हैं। परंपरा के मुताबिक दोनों प्रतिद्वंद्वियों को तीन चर्चाओं में भाग लेना होता है। दूसरी ओर बाइडेन ने ट्रंप पर तीखा हमला बोला और कहा कि वह (ट्रंप) एक बच्चे की तरह हैं जो यह विश्वास नहीं कर सकता कि यह उसके साथ हुआ है। इस महामारी का प्रकोप वह नहीं झेल रहे बल्कि हम सभी झेल रहे हैं। उनका काम है कि वह इसके लिए कुछ करें।

ट्रंप के फैसले से बढ़त मुमकिन

भले ही अमेरिका का भारतीय समुदाय डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में है लेकिन ट्रम्प का एक फैसला भारतीयों के लिए झटका साबित हो सकता है। हालांकि ये उन्‍हें चुनाव में बढ़त जरूर दिलवा सकता है। ट्रंप का ये फैसला एच-1बी वीजा, एल-1 और अस्‍थाई वर्क परमिट समेत ग्रीन कार्ड जारी न करने को लेकर है। ट्रम्प के इन फैसलों ये अमेरिका में ढाई लाख नौकरियाँ अमेरिकी लोगों के लिए खुल जाएंगी।

ये फैसला ट्रंप को आगामी चुनाव में बढ़त दिलाने में सहायक साबित हो सकता है। अमेरिका हर वर्ष 85 हजार एच-1 बी वीजा जारी करता है। अब तक एच-1बी वीजा का सबसे अधिक इस्‍तेमाल भारतीय ही करते थे। हालांकि मौजूदा फैसला नए आवेदकों पर लागू होगा, लेकिन इसका सीधा असर आईटी से जुड़े पेशेवरों पर पड़ेगा।

मंदी और बेरोजगारी पर बिडेन चुप

जो बिडेन ने अब तक अमेरिका में कोरोना महामारी के बीच छाई आर्थिक मंदी और लगातार बढ़ती बेरोजगारी पर कभी कोई बयान नहीं दिया है। उनका ये रुख उनके खिलाफ जा सकता है। इसके अलावा बिडेन ने अमेरिका में चल रहे बवाल की भी निंदा नहीं की है जो राष्ट्रवादी श्वेत नागरिकों को पसंद नहीं है। कोविड महामारी के चलते अमेरिका में बेरोजगारी की दर आठ दशकों में सबसे अधिक है। 2 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं। महामारी से अमेरिका में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन सब चीजों ने अमेरिका को बुरी तरह से परेशान कर दिया है। इसके ऊपर घरेलू उथल अलग लोगों को परेशान किए हुये है। ऐसे में बिडेन की चुप्पी उनके खिलाफ जा सकती है। जबकि ट्रम्प का फैसला कारगर साबित हो सकता है।

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ट्रंप का अमरीका फ़र्स्ट

डोनाल्ड ट्रम्प को राष्ट्रवादी गोरे अमेरिकीयों के पूर्ण समर्थन का भरोसा है। उन्होने जब से अमेरिका के राष्‍ट्रपति का पद संभाला है तब से ही वे अमेरिका और अमेरिकन फर्स्‍ट की बात कहते आए हैं। उनका नारा ही है-अमेरिका को फिर से महान बनाएँ। इस क्रम में ट्रम्प ने अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वालों पर सख्ती से रोक लगाने का प्रोग्राम चलाया, मेक्सिको सीमा पर दीवार खड़ी करने का प्रोजेक्ट शुरू किया और अब वीज़ा पर रोक लगाई है। ये कदम उनके पक्ष में जा सकते हैं। जैसे-जैसे अमेरिका में चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे ही ट्रंप एक बार फिर अमेरिका-अमेरिकन फर्स्‍ट की नीति की तरफ जाते दिखाई दे र हे हैं।

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