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ट्रंप ने दोहराया क्लिंटन का इतिहास, 22 साल बाद उठाया ये बड़ा कदम
एक तरह से देखा जाए तो राष्ट्रपति ट्रंप और क्लिंटन के बीच कुछ समानता भी है। इसलिए नही कि दोनों ने किसी देश पर हमले का फैसला लिया, बल्कि इसलिए कि दोनों ने ये फैसला क्यों लिया?
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (रिपब्लिक) एक मामले में समान हैं। ये ताज्जुब की बात है कि दोनों ने ही किसी मामले में एक जैसा फैसला लिया हो। दरअसल, संसद के निचले सदन में महाभियोग प्रस्ताव लाने की जब भी बात थी, वो चाहे क्लिंटन का दौर हो या ट्रंप का कार्यकाल, एक जैसा ही परिणाम देखने को मिला। दोनों ने मध्य पूर्व में हमला कर दिया। उस दौर में राष्ट्रपति क्लिंटन ने ईराक पर मिसाइल दागे थे , तो अब ट्रंप ने ईरान के सैन्य कमांडर को मारकर तनाव बढ़ा दिया।
22 साल बाद अमेरिका में दोहराया गया इतिहास
अमेरिका में 22 साल पहले तत्कालिक राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 17 दिसंबर 1998 में ईराक के खिलाफ एयरस्ट्राइक का आदेश दिया था। बिना किसी चेतावनी के अमेरिका ने ईराक पर 24 घंटों में 200 से ज्यादा मिसाइलें गिराई थीं। इस दौरान बगदाद में हुए विस्फोटों की तश्वीरें देख कोई भी भयभीत हो जाए। पूरा शहर जल रहा था। इस बारे में रक्षा विभाग ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक़ तत्कालीन राष्ट्रपति क्लिंटन सद्दाम हुसैन फिर से निरीक्षकों के काम को विफल करने में लगे थे।
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वहीं साल 2020 की शुरुआत में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ईरान के सैन्य कमांडर को मार गिराया। जिसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ गया। वहीं मध्य पूर्व( मिडिल ईस्ट) में तनाव बढ़ा दिया। जिसके बाद इरान ने भी अमेरिकी दूतावास पर हमला कर दिया। दोनों देशों में लगातार हमले हो रहे हैं और इससे भारत समेत विश्व के कई देश प्रभावित हो रहे हैं। दोनों राष्ट्रपतियों के फैसले में एक समानता ये है कि दोनों ने ही मिडिल ईस्ट को निशाना बनाया।
ट्रंप और क्लिंटन में समानता
एक तरह से देखा जाए तो राष्ट्रपति ट्रंप और क्लिंटन के बीच इस मामले में समानता भी है। इसलिए नही कि दोनों ने किसी देश पर हमले का फैसला लिया, बल्कि इसलिए कि दोनों ने ये फैसला क्यों लिया?
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गौरतलब है कि जिस साल 42वें अमेंरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने ईराक पर हमला किया उससे पहले ही उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। उस दौरान ये कहा गया कि क्लिंटन ने एयरस्ट्राइक का आदेश देकर महाभियोग प्रस्ताव से बचने की कोशिश की।
वहीं हाल में ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है और उन्होंने भी ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या कराकर देशों के बीच तनाव शुरू कर दिया।
क्यों लाया गया ट्रंप और क्लिंटन पर महाभियोग:
पूर्व राष्ट्रपति क्लिंटन पर एक व्यापक ज्यूरी के सामने झूठी गवाही देने और न्याय में बाधा डालने का आरोप था। उस समय व्हाइट हाउस में इंटर्न मोनिका लेंवेस्की से उनके रिश्ते की बात भी सामने आई थी। हालाँकि बाद में सीनेट ने महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
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बात करें, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तो उनपर अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने दो आरोप लगाए हैं। पहला, सत्ता के दुरुपयोग का और दूसरा संसद के काम में अड़चन डालने का। बता दें कि पहले आरोप का प्रस्ताव 197 के मुकाबले 230 मतों से पास हुआ जबकि दूसरा प्रस्ताव 198 के मुकाबले 229 वोट से पास हुआ।
तो क्या महाभियोग लगने पर अमेरिका बना देगा युद्ध की स्थिति:
गौरतलब है कि महाभियोग प्रस्ताव के बाद अगर दो तिहाई बहुमत राष्ट्रपति के खिलाफ हो तो अभियोग सिद्ध हो जाता है। ऐसे में राष्ट्रपति को उसके पद से हटा दिया जाता है। हालाँकि अमेरिका में महाभियोग प्रक्रिया के जरिये अब तक किसी राष्ट्रपति को नहीं हटाया जा सका है। वजह भी स्पष्ट है, एक बार क्लिंटन पर महाभियोग लगा तो उन्होंने ईराक पर हमला कर दिया, तो वहीं अब ट्रंप पर महाभियोग प्रस्ताव आया तो उन्होंने इरान में युध्य के हालात बना दिए।