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Pakistan News: सरकार ने इमरान खान पर टोटल मीडिया लगा दिया बैन
Pakistan News: मई की शुरुआत में लग रहा था कि पाकिस्तान में जबर्दस्त जन राजनीतिक भूचाल आ गया है, इमरान खान छा गए हैं और सेना व शरीफ सरकार कोने में कर दिए गए हैं। महीने भर बाद आलम ये है कि इमरान खान और उनके समर्थकों का अतापता नहीं है।
Pakistan News: मई की शुरुआत में लग रहा था कि पाकिस्तान में जबर्दस्त जन राजनीतिक भूचाल आ गया है, इमरान खान छा गए हैं और सेना व शरीफ सरकार कोने में कर दिए गए हैं। महीने भर बाद आलम ये है कि इमरान खान और उनके समर्थकों का अतापता नहीं है।
ये है पाकिस्तान की सरकार - सेना का शिकंजा। सरकार ने इमरान खान पर टोटल मीडिया बैन लगा दिया है। एक समय में जो पाकिस्तान की मीडिया में सबसे ज्यादा देखे सुने जाते थे, आज वही इमरान सिरे से गायब हैं। मीडिया में उनका ज़िक्र करने पर वास्तविक प्रतिबंध है, यानी अब उनका नाम लेने या उनकी तस्वीर दिखाने की अनुमति नहीं है। पाकिस्तानी टीवी चैनलों को उनका साक्षात्कार लेने या उनके बयान प्रसारित करने की अनुमति नहीं है।
गैर जिम्मेदार करार दिया
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कथित तौर पर कुछ प्रमुख टीवी चैनलों और समाचार पत्रों के मालिकों को हाल ही में सैन्य अधिकारियों ने इमरान खान को न दिखाने को कहा था। इमरान की गिरफ्तारी के बाद 9 मई को हुए दंगों के बाद उन्हें एक "गैर-जिम्मेदार" राजनेता और सेना का "दुश्मन" घोषित किया गया है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने 12 जून को एक प्रस्ताव पारित कर 9 मई के दंगाइयों के खिलाफ सैन्य अधिनियम के तहत त्वरित कार्रवाई की मांग की थी। शहबाज शरीफ ने पहले ही इमरान खान को हिंसा के पीछे का “मास्टरमाइंड” घोषित कर दिया था। खान का कहना है कि उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन पर सैन्य अदालत में मुकदमा चलाया जाएगा और जेल भेजा जाएगा। पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने 20 जून को इमरान खान के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
हजारों हिरासत में
9 मई के बवाल के बाद से।अधिकारियों ने सरकारी और सैन्य संपत्ति को नष्ट करने में शामिल होने के संदेह में इमरान खान के हजारों समर्थकों को हिरासत में लिया है। पाकिस्तान की सरकार ने इमरान की पार्टी पीटीआई पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। शरीफ सरकार ने सैन्य अधिकारियों की देखरेख में सैन्य न्यायाधिकरणों के उपयोग को मंजूरी देकर यह सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं कि प्रदर्शनकारियों को दंडित किया जाए। सामूहिक गिरफ्तारियों के बीच, कई पीटीआई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है, खुद को इमरान खान से दूर कर लिया है और कुछ मामलों में सेना के लिए समर्थन भी व्यक्त किया है। यह सब बताता है कि खान और उनके समर्थकों की सार्वजनिक आलोचना के बाद पाकिस्तानी सेना फिर से अपना प्रभुत्व जमा रही है और पाकिस्तानी राजनीति में सैन्य हस्तक्षेप के एक परिचित दृश्य को दोहरा रही है।