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भारतीयों पर आई नई मुसीबत: अब एच-1बी खत्म, लौटना होगा भारत
ये मुसीबत है एच-1बी वर्क वीजा से सम्बंधित, नौकरी करने वाले करीब 2 लाख भारतीय एच-1बी वीजा लेकर अमेरिका में रहते हैं। इन भारतीयों के लिए दोहरी मुसीबत बढ़ गई है।
नई दिल्ली: कोरोना की मार देश के हर हिस्से पर पड़ी है, चाहे सामजिक हो या आर्थिक या चाहे फिर विदेश में रह रहे लोग। अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए इस समय एक नई मुसीबत आ पड़ी है। ये मुसीबत है एच-1बी वर्क वीजा से सम्बंधित, नौकरी करने वाले करीब 2 लाख भारतीय एच-1बी वीजा लेकर अमेरिका में रहते हैं। इन भारतीयों के लिए दोहरी मुसीबत बढ़ गई है।
एकतरफ उन्हें कोरोना वायरस महामारी से जूझना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ जून में उनके वीजा की वैधता खत्म हो जाएगी, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लागू किए गए नए कानून के कारण आगे नहीं बढ़ेगी। इसके चलते उन्हें अमेरिका छोड़ना होगा।
10 लाख से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं अमेरिका में
भारत ने भी इस महामारी के चलते अपना संपर्क पूरे विश्व से तोड़ा हुआ है। इसके चलते ये लोग अमेरिका से भारत भी नहीं लौट सकते हैं। दरअसल दुनिया में कोरोना संक्रमण का कहर सबसे ज्यादा अमेरिका में ही फैला हुआ है, जहां अभी तक 10 लाख से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं।
इसके चलते अर्थव्यवस्था में आई महामंदी के कारण अमेरिकी कंपनियों ने मार्च के मध्य में ही एच-1बी वीजा वाले ज्यादातर प्रोफेशनलों को अवैतनिक अवकाश पर भेज दिया था। लेकिन इस वीजा से जुड़े नियमों के चलते ये लोग अधिकतम 60 दिन के लिए ही कानूनी तौर पर अमेरिका में रह सकते हैं।
इससे ज्यादा दिन ठहरने की स्थिति में उन्हें भारी भरकम जुर्माना चुकाना होगा, जो बिल्कुल असंभव है। अमेरिका में मौजूद ज्यादातर भारतीयों के लिए 60 दिन की यह अवधि जून में पूरी हो रही है। इसके चलते सभी में खौफ की लहर फैली हुई है।
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हर साल ढाई लाख लोग मांगते हैं ग्रीन कार्ड
वाशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक निशिकानेन सेंटर की आव्रजन नीति विश्लेषक जैरेमी न्यूफेल्ड के मुताबिक, अमेरिका में हर साल 2.5 लाख गेस्ट वर्कर वहां स्थायी नागरिकता के लिए ग्रीन कार्ड मांगते हैं। इनमें से करीब 2 लाख लोग एच-1बी वीजा धारक होते हैं। इनमें से करीब एक तिहाई आईटी उद्योग में काम करते हैं। लेकिन नए नियमों के कारण इन्हें वापस लौटना होगा।
1 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी गंवा चुके हैं नौकरी
कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो महीने में 1 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं। लेकिन अमेरिका के मूल निवासियों के लिए यह चिंता की बात नहीं है। इसका असर केवल वर्क वीजा पर काम करने वालों पर पड़ेगा।
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ट्रंप के शासन काल कम हुई वीजा की संख्या
एच-1बी वीजा के जरिये अमेरिका में काम करने के लिए आने वालों को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की कठोर नीति रही है। ट्रंप की तरफ से बदले या सख्त कर दिए गए नियमों के कारण हर साल एच-1बी वीजा हासिल करने वालों की संख्या घट रही है। विदेश विभाग के मुताबिक, 2015 में जहां 1.9 करोड़ एच-1बी वीजा जारी किए गए थे, वहीं 2019 में यह संख्या लगातार चार से घटते हुए महज 87 लाख रह गई थी।
कुछ जानकारी एच-1बी वीजा के बारे में
स्पेशलाइज्ड स्किल वाले विदेशियों के लिए एच-1बी वर्क वीजा जारी किया जाता है। यह एक अस्थायी वर्क वीजा होता है, जो उन्हें अमेरिका में रहकर काम करने की कानूनी इजाजत देता है। लेकिन नौकरी छूट जाने की स्थिति में एच-1बी वीजा धारक अधिकतम 60 दिन के लिए ही वैध तौर पर अमेरिका में रह सकता है। इस बीच दूसरी नौकरी तलाशना भी बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि एच-1बी वीजा किसी कंपनी की तरफ से जारी नियुक्ति पत्र पर ही मिलता है।
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इसमें वीजा पाने वाले के लिए एक न्यूनतम वेतन भुगतान की गारंटी होती है। यदि आप कंपनी बदलते हैं, वेतन को न्यूनतम से कम करते हैं या घर से काम करते हैं तो इसे वीजा नियमों का उल्लंघन माना जाता है। दूसरी नौकरी हासिल करने के लिए नए सिरे से वीजा आवेदन करना होता है, जो फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आव्रजन विभाग बंद होने से असंभव हो गया है।