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वैक्सीन में सुअर: इस्लामिक बॉडी ने कही ये बड़ी बात, मच गया बवाल

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सर्वोच्च इस्लामिक संस्था यूएई फतवा काउंसिल ने कहा है कि अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन में सुअर से बनने वाला जिलेटिन भी मौजूद हो तो भी मुसलमान उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

Newstrack
Published on: 23 Dec 2020 11:13 AM GMT
वैक्सीन में सुअर: इस्लामिक बॉडी ने कही ये बड़ी बात, मच गया बवाल
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वैक्सीन में सुअर: इस्लामिक बॉडी ने कही ये बड़ी बात, मच गया बवाल

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से बचने के लिए वैक्सीन का इंतज़ार अब ख़त्म होने को है। इस्लाम में सुअर के मांस से बने उत्पादों का उपभोग करना हराम माना गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सर्वोच्च इस्लामिक संस्था यूएई फतवा काउंसिल ने कहा है कि अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन में सुअर से बनने वाला जिलेटिन भी मौजूद हो तो भी मुसलमान उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अधिकतर वैक्सीन में पोर्क जिलेटिन होता है और इस वजह से कहा जा रहा था कि तमाम मुस्लिम धार्मिक मान्यताओं की वजह से कोरोना वैक्सीन से दूरी बना सकते हैं।

मानव शरीर को सुरक्षित करने के लिए इसकी सख्त जरूरत

काउंसिल के चेयरमैन शेख अब्दुल्ला बिन बय्या ने कहा है कि अगर कोई और विकल्प नहीं है तो कोरोना की वैक्सीन को लेकर इस्लाम में सुअर को लेकर लगाए गए प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि मानव शरीर को सुरक्षित करने के लिए इसकी सख्त जरूरत है। काउंसिल ने कहा कि वैक्सीन के मामले में पोर्क जिलेटिन मेडिसिन की कैटिगरी में आता है ना कि खाने की श्रेणी में। कोरोना वायरस पूरे समाज के लिए ही बहुत बड़ा खतरा बनकर आया है, ऐसे में वैक्सीन बेहद जरूरी है।

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मुस्लिम देशों में वैक्सीन को लेकर ऐसी चिंताएं

कई मुस्लिम देशों में कोरोना की वैक्सीन को लेकर ऐसी चिंताएं जाहिर की जा रही हैं। अक्टूबर महीने में इंडोनेशिया के कुछ डिप्लोमैट और मुस्लिम स्कॉलर्स चीन में एक प्लेन से अचानक उतर गए। मुस्लिम स्कॉलर्स की चिंता थी कि इस्लामिक कानून के तहत कोरोना की वैक्सीन लगवाने की इजाजत नहीं है।

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जिलेटिन का इस्तेमाल वैक्सीन को स्टोरेज के लिए होता है

पोर्क से मिलने वाला जिलेटिन का इस्तेमाल वैक्सीन को स्टोरेज और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान सुरक्षित और प्रभावी रखने के लिए किया जाता है। सऊदी अरब और मलेशिया की एजे फार्मा बिना जिलेटिन वाली वैक्सीन पर काम भी कर रही हैं। फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि उनकी कोरोना वैक्सीन में पोर्क उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। हालांकि, वैक्सीन की सीमित उपलब्धता के चलते कई मुस्लिम देश जिलेटिन वाली वैक्सीन का इस्तेमाल करेंगे।

चेचक और रूबेला वैक्सीन का हुआ था विरोध

हालांकि, दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है। साल 2018 में, इंडोनेशिया उलेमा काउंसिल ने कहा था कि चेचक और रूबेला वैक्सीन में जिलेटिन मौजूद है इसलिए ये हराम हैं। धार्मिक नेताओं ने इसके बाद अभिभावकों से बच्चों को वैक्सीन ना लगाने की अपील करनी शुरू कर दी थी।

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काउंसिल ने बाद में वैक्सीन लगवाने की इजाजत दे दी

काउंसिल ने बाद में वैक्सीन लगवाने की इजाजत दे दी थी। लेकिन टैबू के चलते वैक्सीनेशन रेट काफी कम रही। इंडोनेशिया की सरकार ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन की खरीदारी में वह मुस्लिम संगठनों को भी शामिल करेगी ताकि वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में बाद में कोई समस्या ना हो। यहूदियों में भी पोर्क खाने पर प्रतिबंध है लेकिन ये केवल प्राकृतिक रूप से सेवन को लेकर है। कुछ संगठनों का कहना है कि अगर आपके शरीर में इसे इंजेक्ट किया जाता है तो फिर इसमें कोई समस्या नहीं है, खासकर जब ये कोरोना जैसी महामारी के नियंत्रण को लेकर है।

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