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चीन की बढ़ी सांसतः इस शक्तिशाली सैन्य समूह के आया निशाने पर

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) चीन के संबंध में अपनी स्थिति को एक बार फिर से आश्वस्त कर रहा है। नाटो की एक एक शीर्ष अमेरिकी दूत ने कहा कि बीजिंग पहले से कहीं ज्यादा उसके रडार पर बना हुआ है।

Shreya
Published on: 18 Jun 2020 11:04 AM IST
चीन की बढ़ी सांसतः इस शक्तिशाली सैन्य समूह के आया निशाने पर
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नई दिल्ली: उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization- NATO) चीन के संबंध में अपनी स्थिति को एक बार फिर से आश्वस्त कर रहा है। नाटो की एक एक शीर्ष अमेरिकी दूत ने कहा कि बीजिंग पहले से कहीं ज्यादा उसके रडार पर बना हुआ है।

चीन एक शांतिपूर्ण भागीदार हो सकता है, लेकिन ऐसा लगता नहीं

इस शक्तिशाली सैन्य समूह में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि के बेली हचिसन ने एक बैठक में पत्रकारों से कहा कि चीन एक शांतिपूर्ण भागीदार हो सकता है। लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है कि वह इस समय एक शांतिपूर्ण, एक अच्छा व्यापार भागीदार बन सकता है।

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चीन क्या कर रहा है, इसका आकलन किया जा रहा

हालांकि वे अभी इस तरह का कुछ भी दिखा नहीं रहे हैं। बेली हचिसन ने कहा कि मेरा मानना है कि संगठन के पार्टनर (साझीदार) इस पर ध्यान दे रहे हैं। NATO की तरफ से चीन क्या कर रहा है, इसका आकलन किया जा रहा है।

हमारे रडार पर यह बहुत अधिक

वहीं बेली हचिसन ने चीन के भारत, ताइवान, और जापान के खिलाफ आक्रामक रूख और उकसाने वाली हरकतों पर बोला कि हमारे रडार पर यह बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमें खतरे का आकलन करना चाहिए।

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हचिसन ने कहा कि हमें अच्छे के लिए उम्मीद करनी चाहिए, लेकिन बुरे के लिए भी तैयार रहना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या सैन्य टकराव का खतना दिख रहा है, इस पर उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि संगठन अब पूर्व की ओर देख रहा है।

क्या है नाटो?

अगर नाटो की बात करें तो उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। यह एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है, जिसे उत्तर अटलांटिक एलायंस के नाम से भी जाना जाता है। नाटो एक 30 देशों की सेनाओं का संगठन है, जिसमें की सैन्य सहायता प्रदान की जाती है।

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