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कोरोना से अमेरिका में इतना बुरा हाल, अब इलाज में लेनी पड़ रही ऐसे लोगों की मदद

न्यूयॉर्क में इस वायरस से बुरे हाल हैं। महानगर के सारे अस्पतालों में कोरोना से संक्रमित मरीज भरे हुए हैं। हालत यह हो गई है कि मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मी भी कम पड़ गए हैं।

Shivani Awasthi
Published on: 5 May 2020 5:11 AM GMT
कोरोना से अमेरिका में इतना बुरा हाल, अब इलाज में लेनी पड़ रही ऐसे लोगों की मदद
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अंशुमान तिवारी

न्यूयॉर्क। दुनिया में कोरोना वायरस से सर्वाधिक संक्रमित अमेरिका में बुरे हालात हैं। कोरोना केे सबसे बड़े सेंटर न्यूयॉर्क के अस्पतालों में डॉक्टरों नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी हो गई है। न्यूयॉर्क के अस्पताल कोरोना के मरीजों से पटे पड़े हैं और हालत यह हो गई है कि अब मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल प्रशासन नॉन मेडिकल स्टाफ की मदद लेने के लिए मजबूर हो गया है।

न्यूयॉर्क के अस्पतालों में बुरा हाल

अमेरिका में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा कहर दिख रहा है। वहां करीब 12 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और करीब 69 हजार लोगों की इस वायरस ने जान ले ली है। पिछले 24 घंटे के दौरान अमेरिका में कोरोना वायरस चौदह सौ से ज्यादा मौतें हुई हैं। न्यूयॉर्क में तो इस वायरस से बुरे हाल हैं और इस महानगर के सारे अस्पतालों में कोरोना से संक्रमित मरीज भरे हुए हैं। हालत यह हो गई है कि मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मी भी कम पड़ गए हैं।

नॉन मेडिकल स्टाफ कर रहा मदद

जानकारों का कहना है कि ज्यादातर अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए नॉन मेडिकल स्टाफ का सहारा लिया जा रहा है। इनमें कुक, रिसेप्शनिस्ट, सफाई कर्मी और सिक्योरिटी गार्ड तक शामिल हैं। इनकी मदद से मरीजों के बेड चेक करने के साथ ही उनका मेडिकल रिकॉर्ड रखा जा रहा है। ये मरीजों के इलाज में भी मदद कर रहे हैं। विभिन्न अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों के जो फोन आ रहे हैं, उन्हें जवाब देने की जिम्मेदारी भी इन्हीं को सौंपी गई है। इससे समझा जा सकता है कि न्यूयॉर्क के अस्पतालों का क्या हाल हो गया है।

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खतरनाक स्थितियों में कर रहे काम

कोरोना वायरस के हमले में अपने पति एडवर्ड बिकोट को खोने वाली एनिडा बिकोट का कहना है कि अस्पतालों में काम करने वाले नॉन मेडिकल स्टाफ के लोग खतरनाक स्थितियों में काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर रोज शाम को सात बजे लोग बाहर निकलकर तालियां तो बजा रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ डॉक्टरों और नर्सों के लिए है। यह तालियां उन लोगों के लिए नहीं है जो सफेद कपड़े नहीं पहनते मगर फिर भी अस्पतालों में काम कर रहे हैं। कोरोना वायरस के हमले में नॉन मेडिकल स्टाफ के कई लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं।

नॉन मेडिकल स्टाफ के पास मास्क तक नहीं

अस्पतालों में काम करने वाली नर्सों को एन-95 मास्क दिए गए हैं, लेकिन नॉन मेडिकल स्टाफ के लिए यह मास्क भी उपलब्ध नहीं है। हॉस्पिटल कर्मचारी यूनियन का कहना है कि हमारे पास सुरक्षा के लिए मास्क या ग्लव्स जैसे साधन नहीं है। यूनियन के अध्यक्ष कॉर्मेन चार्ल्स का कहना है कि न्यूयार्क के अस्पतालों में साढे़ आठ हजार नॉन मेडिकल स्टाफ काम कर रहा है और सुविधाएं मुहैया न कराने से उनका जीवन खतरे में है। उनका कहना है कि हमारे विरोध को देखते हुए कुछ अस्पतालों में सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं मगर अभी भी उनकी संख्या ना के बराबर ही है। न्यूयार्क के अस्पतालों में 79 फीसदी नॉन मेडिकल स्टाफ डॉक्टरों और नर्सों की मदद करने में लगा है।

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अब मौतों को लेकर ट्रंप का यह बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने को रोना से अमेरिका में साठ हजार मौतों की आशंका जताई थी मगर अब वे अपने अनुमान से पलट गए हैं। अब उनका कहना है कि महामारी से हम 80 हजार से एक लाख लोगों तक को खोने वाले हैं। उनका कहना है कि यह अमेरिका के लिए काफी डरावनी बात है क्योंकि हम एक भी जान नहीं खोने देना चाहते। हालांकि वे अपनी पीठ थपथपाना भी नहीं भूलते। उनका दावा है कि अगर हमने समय पर कदम नहीं उठाए होते तो अमेरिका में मौतों का आंकड़ा दस लाख से भी पार हो सकता था। कोरोना वायरस से बीस लाख तक लोगों की मौत हो सकती थी।

फॉक्स न्यूज से बातचीत करते हुए उन्होंने दावा किया कि अमेरिका इस साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन बनाने में कामयाब हो जाएगा। उनका कहना है कि हम हर अमेरिकी को इस वायरस से सुरक्षित करेंगे ताकि उन्हें एक बेहतर भविष्य दिया जा सके।

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Shivani Awasthi

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