×

ट्रंप या बिडेन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव आज, पूरी दुनिया की टिकीं निगाहें

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप दोबारा सत्ता में वापसी की कोशिश करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में हर किसी की नजर इस बात पर टिकी हुई है कि ट्रंप दोबारा सत्ता में वापसी करने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं। कई सियासी जानकारों का मानना है कि इस बार डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी राह आसान नहीं लग रही है। जो बिडेन उन पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।

Newstrack
Published on: 3 Nov 2020 3:18 AM GMT
ट्रंप या बिडेन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव आज, पूरी दुनिया की टिकीं निगाहें
X
अमेरिकी समयानुसार इस बार वोटिंग सुबह छह बजे से शुरू होकर रात नौ बजे तक चलेगी। करीब 24 करोड़ मतदाता इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

नई दिल्ली: अमेरिका में मंगलवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं। इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। वैसे चुनाव से पूर्व किए गए कई सर्वे में जो बिडेन का पलड़ा भारी बताया जा रहा है। वैसे जानकारों का कहना है कि पिछले बार के चुनाव की तरह इस बार भी साइलेंट वोटर ही किंगमेकर साबित होंगे।

दूसरी ओर मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार में जीतोड़ मेहनत करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है। अमेरिकी राष्ट्रपति को दुनिया में सबसे ताकतवर शख्स माना जाता है। इसलिए पूरी दुनिया की निगाह अमेरिका में होने वाले इस चुनाव पर लगी हुई है।

24 करोड़ मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला

अमेरिका में वोटिंग के समय को यदि भारतीय समय के अनुसार देखा जाए तो मंगलवार को शाम साढ़े चार बजे से मतदान शुरू होगा। ऐसा इसलिए कि क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच लगभग साढ़े 10 घंटे समय का अंतर है।

ये भी पढ़ें...UP उपचुनाव: 7 विधानसभा सीटों पर मतदान शुरु, इस दिन आएंगे नतीजे

अमेरिकी समयानुसार इस बार वोटिंग सुबह छह बजे से शुरू होकर रात नौ बजे तक चलेगी। करीब 24 करोड़ मतदाता इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। अमेरिका के सभी 50 राज्यों में एक साथ वोटिंग का कार्यक्रम तय किया गया है।

इस बार आसान नहीं ट्रंप की राह

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप दोबारा सत्ता में वापसी की कोशिश करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में हर किसी की नजर इस बात पर टिकी हुई है कि ट्रंप दोबारा सत्ता में वापसी करने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं। कई सियासी जानकारों का मानना है कि इस बार डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी राह आसान नहीं लग रही है। जो बिडेन उन पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।

Donald Trump

अगर बिडेन बाजी मारने में कामयाब रहे तो 1992 के बाद ऐसा पहली बार होगा जब कोई राष्ट्रपति दोबारा चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाएगा। 1992 में हुए चुनाव में बिल क्लिंटन ने तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को चुनाव मैदान में हरा दिया था।

ये भी पढ़ें...इन ट्रेनों का बदला गया मार्ग: रेलवे ने दी जानकारी, यहा देंखें पूरी लिस्ट

मतदान समाप्त होते ही शुरू होगी मतगणना

मतदान की समय सीमा समाप्त होने के बाद ही मतगणना का काम शुरू कर दिया जाएगा। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 4 नवंबर की शाम तक यह साफ हो सकेगा कि मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर अमेरिका की कमान संभालेंगे या उनकी जगह डेमोक्रेटिक पार्टी के बिडेन व्हाइट हाउस में दाखिल होंगे।

हालांकि नतीजों का अनुमान वोटिंग खत्म होते ही मिल जाएगा। जानकारों का कहना है कि पिछले बार के राष्ट्रपति चुनाव की तरह इस बार भी साइलेंट वोटर ही किंगमेकर साबित होंगे।

कोरोना महामारी बनी चुनाव का बड़ा मुद्दा

इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में कोरोना बड़ा मुद्दा बन गया है क्योंकि अमेरिका कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। बिडेन ने अमेरिका में कोरोना संक्रमण के लिए ट्रंप की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि ट्रंप की नीतियों के कारण ही अमेरिका में यह महामारी इतना व्यापक रूप से फैल गई।

ये भी पढ़ें...चीन की खतरनाक मिसाइल: खतरे में ये बड़े देश, मचा सकती है तबाही

चीन पर सख्ती का मुद्दा भी छाया

इसके साथ ही चीन पर सख्ती का मुद्दा भी इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में प्रमुखता से छाया रहा है। चीन को लेकर दोनों ही उम्मीदवार ट्रंप और ब्रिटेन सख्त रवैया अपनाते दिख रहे हैं। ट्रंप ने तो कोरोना फैलाने के लिए सीधे तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहरा दिया है।

इसके साथ ही नस्लीय भेदभाव का मुद्दा भी राष्ट्रपति चुनाव में प्रमुखता से उठा है। मई महीने के दौरान पुलिस के हाथों अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद पूरे देश में अश्वेत आंदोलन की आग धधक उठी थी। इसके बाद यह मुद्दा लगातार गरमाया हुआ है।

राष्ट्रपति चुनाव में जलवायु परिवर्तन और एचवन बी वीजा का मुद्दा भी गरम है। माना जा रहा है कि ये दोनों मुद्दे भी राष्ट्रपति चुनाव को काफी हद तक प्रभावित करेंगे।

joe biden

कानूनी लड़ाई की तैयारी में ट्रंप की टीम

इस बीच अमेरिकी मीडिया में ऐसी खबरें भी चल रही हैं कि ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के साथ ही समय से पहले अपनी जीत की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐसी खबरों को खारिज किया है।

उनका कहना है कि इस तरह की कोई योजना नहीं बना रहे हैं। वैसे उन्होंने इस बात का संकेत जरूर दिया है कि चुनाव समाप्त होते ही उनकी टीम कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में जरूर जुटी हुई है।

ट्रंप का कहना है कि चुनाव संपन्न होने के बाद लंबे समय के लिए मतपत्रों को जमा करने की इजाजत बेहद खतरनाक बात है। ट्रंप ने विभिन्न मतदान क्षेत्रों में चुनाव के बाद मत पत्र प्राप्त किए जाने की अनुमति देने पर सुप्रीम कोर्ट की भी आलोचना की है। उनका कहना है कि चुनाव समाप्त होते ही हमारी टीम अपने वकीलों के साथ कानूनी लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार रहेगी।

ये भी पढ़ें...बड़ी चेतावनी हो जाएं सावधानः अगले दो साल रहेगा कोरोना, डब्ल्यूएचओ का एलान

ट्रंप को और बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बार के चुनाव में और बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद जताई है। उन्होंने दावा किया है कि वे 2016 से भी ज्यादा ताकतवर बनकर उभरेंगे।

उनका कहना है कि उनकी रैली में भारी भीड़ उमड़ रही है जिससे पता चलता है कि उन्हें मतदाताओं का काफी अच्छा समर्थन हासिल हो रहा है। उन्होंने सियासी रूप से महत्वपूर्ण माने जा रहे फ्लोरिडा में काफी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद जताई है। इसके साथ ही उन्होंने ओहायो में भी इस बार और बेहतर प्रदर्शन का दावा किया है। ट्रंप ने नॉर्थ कैरोलिना में भी अपनी स्थिति मजबूत होने का दावा किया।

भारतीय मूल के मतदाता अहम साबित होंगे

इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में हर किसी की नजर भारतीय मूल के मतदाताओं पर टिकी हुई है। भारतीय मूल के मतदाता इस बार के चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं। अमेरिका के 16 राज्यों में भारतीय मूल के लोगों की संख्या अमेरिकी आबादी के एक फीसदी से ज्यादा है।

इसके साथ ही खास बात यह भी है कि अमेरिका में 13 लाख भारतीय उन 8 राज्यों में रहते हैं जहां ट्रंप और बिडेन के बीच कांटे का मुकाबला दिख रहा है। ऐसे में भारतीय मूल के मतदाता राष्ट्रपति चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं। ट्रंप और बिडेन दोनों की टीमों ने भारतीय मूल के मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। दोनों खेमों की ओर से भारतीय मूल के लोगों के समर्थन का दावा किया जा रहा है।

ये भी पढ़ें...हिन्दुओं पर हमला, फूंक दिये घरः गरमाई सियासत, कांग्रेस ने रखी ये मांग

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

अमेरिका में चुनाव की प्रक्रिया भारत से पूरी तरह अलग है। भारत में विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से पहले ही पीएम पद का चेहरा घोषित कर दिया जाता है या चुनाव के बाद सांसद अपने नेता का चुनाव करते हैं मगर अमेरिका में ऐसा नहीं होता। अमेरिकी मतदाता उन लोगों का चुनाव करते हैं जो देश के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। अमेरिका में 50 राज्यों में से कुल 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है। यह इलेक्टर्स सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए चुने जाते हैं।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए चुने गए इलेक्टर्स राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं मगर इस बार पहली बार 33 फीसदी सीनेटर भी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेंगे। राष्ट्रपति चुने जाने के लिए किसी भी उम्मीदवार को 270 मत पाने अनिवार्य हैं। इलेक्टर्स की संख्या राज्यों की आबादी पर निर्भर होती है। जिन राज्यों की आबादी ज्यादा होती है, वहां चुने जाने वाले इलेक्टर्स की संख्या भी अधिक होती है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें

Newstrack

Newstrack

Next Story