क्या है FGM, इस अमानवीय प्रथा को ये इस्लामिक देश करते हैं सेलिब्रेट

प्रथाओं के नाम पर अमानवीयता की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती है। समाज में प्रचलित कुछ ऐसी ही घटनाओं को आप सुनेंगे तो हैरत में पड़ जाएंगे। आज एक ऐसी ही हैरत में डालने वाली प्रथा 'खतना'  के बारे में जानेंगे। ये प्रथा अत्यंत क्रूर और अमानवीय तो है ही कानून और संविधान की खिल्ली उड़ाने वाली है।

suman
Published on: 6 May 2020 3:51 PM GMT
क्या है FGM, इस अमानवीय प्रथा को ये इस्लामिक देश करते हैं सेलिब्रेट
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लखनऊ: प्रथाओं के नाम पर अमानवीयता की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती है। समाज में प्रचलित कुछ ऐसी ही घटनाओं को आप सुनेंगे तो हैरत में पड़ जाएंगे। आज एक ऐसी ही हैरत में डालने वाली प्रथा 'खतना' के बारे में जानेंगे। ये प्रथा अत्यंत क्रूर और अमानवीय तो है ही कानून और संविधान की खिल्ली उड़ाने वाली है। आप पुरुषों का खतना सुने होंगे, लेकिन शायद कम लोगों को ही पता होगा कि महिलाओं का भी खतना कराया जाता है। ये प्रथा मूलत: मुस्लिम समाज में देखने को मिलता है। अफ्रीका के कुछ देशों में महिलाओं का खतना करने की पंरपरा है। खतना को 'फीमेल जनटल म्यूटलैशन' शॉर्ट फॉर्म में एफजीएम भी कहते हैं। वैसे तो कुछ इस्लामिक देशों में ये परंपरा है, पर इसके इतर अफ्रीका के कुछ देशों में हर साल होने वाले खतना की दर सबसे है।

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क्या है खतना?

5-8साल की छोटी बच्चियों के प्राइवेट पार्ट का हिस्सा क्लाइटोरल हुड को काट दिया जाता है। इससे उन अंगों में संक्रमण होने से बहुत से बच्चियों की मौत तक हो जाती है। कई लड़कियां पीरियड्स के दौरान दर्द महसूस करती हैं। खतने का दुष्परिणाम ये निकलता है कि शादी के बाद के संबंध बनाने में लड़की की रूचि कम हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पुरुषों की ओर महिलाएं सेक्शुअली अट्रैक्ट न हों, इसलिए ये किया जाता है।

कब शुरू हुई ये प्रथा

सबसे पहले इस प्रथा की पुष्टि रोमन साम्राज्य और मिस्र की प्राचीन सभ्यता में देखने को मिलता है। मिस्र में फिरऔन के काल से ही इसका प्रचलन माना जाता है। वहां के संग्रहालयों में ऐसे अवशेष रखे हैं, जो इस प्रथा की पुष्टि करते हैं। इसकेे अलावा ये रिवाज अफ्रीकी देशों में प्रचलित है, लेकिन इसका प्रचलन भारत के कुछ हिस्सों में भी है। अफ्रीका महाद्वीप के मिस्र, केन्या, यूगांडा, इरीट्रिया जैसे दर्जनों देशों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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एफजीएम के खिलाफ उठाई जा रही आवाज

-हालांकि इस कड़वे अनुभव से गुजर चुकीं लड़कियां अब इसके खिलाफ कैंपेन चला रही हैं।

-अपने कड़वे सच को याद करते आरिफा जौहरी कहती हैं कि वे तब समझ नहीं पाई की क्या हुआ।

-उनका कहना है बोहरा समुदाय में पुरुषों के अलावा महिलाओं का भी खतना किया जाता है।

-आज वे इसे खिलाफ कैंपेन चला रही है। इसी तरह कुछ माली की मरियम के साथ हुआ था

-मरियम इसके खिलाफ कैंपेन चलाने वाली बोर्नेफोडेन चैरिटी से जुड़ गई है।

-चैरिटी, माली में 2009 से जागरुकता फैलाने का काम कर रही है। इसमें लोकल गवर्नमेंट का भी सपोर्ट है।

इसके सपोर्ट में कई महिलाएं इसे फेस्टिवल मानती है

-केरूबा का कहना है कि खतना एक महत्वपूर्ण त्योहार है और इसे क्रिसमस की तरह मनाया जाता है।

-केन्या की कीसी जनजाति की तरह से अफ्रीका और मध्यपूर्व की जनजातियों का प्रमुख समारोह होता है।

-वहीं, कुछ महिलाएं इसके सपोर्ट में भी हैं। बेनजियन ली उनमें से एक हैं।

-उनके मुताबिक, उनका भी खतना हुआ पर इससे उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई।

- नका मानना है कि ऐसा नहीं होने पर महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा सेक्स की ओर अट्रैक्ट होती हैं।

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