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भारत-चीन में बढ़ा तनाव: फिर वही हरकत, क्या वक्त फिर दुहरायेगा 1962 की कहानी

गालवान घाटी की तरह ही 2018 में चीन के सैनिकों ने सिंधु नदी के किनारे बसे डेमचोक सेक्टर के अंदर करीब 300 मीटर की दूरी पर टेंट बनाया था। जब ऐसी स्थिति आती है तो भारतीय सैनिकों को भी आगे बढ़ना पड़ता है। ऐसे में टकराव की स्थिति आती है।

SK Gautam
Published on: 19 May 2020 9:33 AM GMT
भारत-चीन में बढ़ा तनाव: फिर वही हरकत, क्या वक्त फिर दुहरायेगा 1962 की कहानी
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नई दिल्ली: लगता है एक बार फिर दो देशों के बीच की पुरानी दुश्मनी की चिंगारी को हवा मिल रही है। 58 साल पहले जिस घाटी में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था, आज वहीं फिर से दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल है। इस घाटी में नदी के पास टेंट लगाने को लेकर भारत और चीन सीमा पर गंभीर तनाव की स्थिति बन चुकी है।

बताया जा रहा है कि चीन के मीडिया ने भारत पर घुसपैठ और चीन की सीमा के अंदर अवैध रूप से रक्षा सुविधाएं स्थापित करने का आरोप लगाया है। वहीं सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार भारतीय सेना का कहना है कि चीन के सैनिक इस इलाके में टेंट लगाकर हमें उकसाने वाली गतिविधियां कर रहे हैं।

1962 के युद्ध में भी गालवान घाटी टकराव की जगह

जहां पर ये विवाद उठा है ये जगह है गालवान घाटी (Galwan Valley)। ये लद्दाख में है। यहीं पर गालवान नदी भी बहती है। गौरतलब हो कि 1962 के युद्ध में भी गालवान घाटी टकराव की जगह थी। विवादित क्षेत्रों में टेंट लगाना पिछले कई वर्षों से चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रणनीति का हिस्सा है।

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यहां अक्सर दोनों देशों के जवानों में विवाद होता रहता है

इससे पहले 5-6 मई को चीन के सैनिक लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के पास भारतीय सैनिकों से भिड़े थे। इस घटना के बाद से भारत और चीन सीमा के उन इलाकों में चौकसी और जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है जहां अक्सर दोनों देशों के जवानों में विवाद होता रहता है। पिछले हफ्ते सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि भारतीय सैनिक चीन की सीमा के पास निगरानी के लिए अपने पोस्चर बना रहे है। भारतीय सेना पूरी सीमा पर निगरानी के लिए ऐसे पोस्चर बना रही है। पैंगोंग के पास हुई भिड़ंत के बाद दोनों सेनाओं के बीच बातचीत हुई।

कभी- कभी भारतीय सैनिकों को भी आगे बढ़ना पड़ता

गालवान घाटी की तरह ही 2018 में चीन के सैनिकों ने सिंधु नदी के किनारे बसे डेमचोक सेक्टर के अंदर करीब 300 मीटर की दूरी पर टेंट बनाया था। जब ऐसी स्थिति आती है तो भारतीय सैनिकों को भी आगे बढ़ना पड़ता है। ऐसे में टकराव की स्थिति आती है।

जनरल नरवणे भारत और चीन हर मामले को अलग तरह से निपट रहे हैं। किसी भी टकराव की वजह एक नहीं होती। हर भिड़ंत के पीछे अलग कारण होता है। जहां तक बात रही युद्ध की तो यह एक संभावना है। देश को ऐसे परिदृश्य का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। सतर्क रहना चाहिए।

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चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है

भारत और चीन के बीच 3844 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है जबकि भारत इसका विरोध करता है। इसलिए 2017 में चीन और भारत के बीच डोकलाम का मामला 73 दिनों तक चलता रहा था।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अप्रैल 2018 में चीन के वुहान शहर में मिले। बातचीत के साथ डोकलाम समेत चीन की सीमाओं के मुद्दों को हल करने की कोशिश की गई। इसके बाद दोनों देशाओं की सेनाओं के बीच ज्यादा बातचीत का निर्देश जारी किया गया।

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