दुनिया में मचेगी तबाही! 15 दिनों में दूसरा ग्रहण, बरतें ये सावधानियां
शुक्रवार को यानी 10 जनवरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह प्रच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण को आंखों से नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि इस ग्रहण में चंद्रमा धूंधला होता दिखाई देगा। इस ग्रहण का भी वैसा ही प्रभाव होता है जितना कि सामान्य ग्रहण का।
नई दिल्ली: शुक्रवार को यानी 10 जनवरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह प्रच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण को आंखों से नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि इस ग्रहण में चंद्रमा धूंधला होता दिखाई देगा। इस ग्रहण का भी वैसा ही प्रभाव होता है जितना कि सामान्य ग्रहण का।
15 दिनों के अंदर दो ग्रहण का योग बना है। इसके पहले 26 दिसंबर 2019 को सूर्य ग्रहण पड़ा और अब 10 जनवरी को 2020 का पहला ग्रहण लग रहा है। साल 2020 में कुल 6 ग्रहण लगेंगे जिसमें 2 सूर्य और 4 चंद्र ग्रहण होंगे।
15 दिनों के भीतर ही 2 ग्रहण पड़ने की वजह से इसका असर पुरी दुनिया पर दिखाई दे सकता है। ज्योतिष के मुताबिक जब कभी भी 15 दिन में दो ग्रहण पड़ते हैं तो पृथ्वी के प्लेटोनिक स्तर के आपस में टकराने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
इस ग्रहण का मध्य भाग समुद्र के बीच में पड़ने वाला है। इसलिए जल से संबंधित आपदा आने की संभावना ज्यादा है। यह ग्रहण मिथुन राशि और पुनर्वसु नक्षत्र में पड़ रहा है। पुनर्वसु नक्षत्र बृहस्पति का नक्षत्र है।
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26 दिसंबर 2019 का सूर्य ग्रहण धनु राशि में पड़ा था और ग्रहण का प्रभाव 15 दिनों तक रहता है। इस दौरान किसी न किसी तरह की धार्मिक उन्माद होने की संभावना बनी रहती है। अमेरिका और ईरान में तनाव को इसी के तौर देखा गया।
ईरान और अमेरिका के बीच चली रही तनातनी से कई विनाशकारी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा भारत सहित पूरी दुनिया में मौसम की मार पड़ रही है। कहीं कड़ाके की सर्दी, तो कहीं भीषण गर्मी पड़ रही है, कहीं जंगल में भयानक आग लगने की घटना हो रही है। आस्ट्रेलिया में आग ने भीषण तबाही मचाई है।
माना जा ता है कि ग्रहण के बाद के तीन पखवाड़े बहुत ही नाजुक होते हैं। इस चंद्र ग्रहण में षडग्रही योग बन रहा है। पांच ग्रह एक साथ होंगे जबकि चंद्रमा और राहु एकसाथ होंगे। राहत की बात ये है कि युद्ध के लिए जिस मंगल ग्रह को कारक माना जाता है वो इस परिधि क्षेत्र से बाहर है। वहीं शुक्र ग्रह को प्रेम का ग्रह माना जाता है, वो भी इस परिधि क्षेत्र से बाहर है।
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वहीं 26 दिसंबर 2019 को जो सूर्य ग्रहण पड़ा था वो धर्म भाव में पड़ा था। इस बार का चंद्र ग्रहण इस ओर इशारा कर रहा है कि इस दौरान आक्रोश से भरी कोई घटना हो सकती है।
कुछ लोग प्रच्छाया ग्रहण में सूतक काल मानते हैं लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से ये बहुत ही शुभ मुहूर्त है जिसमें आप सिद्धियों की प्राप्ति कर सकते हैं और कुछ उपाय करके अपनी समस्याओं को दूर भी कर सकते हैं।
यह ग्रहण 10 जनवरी शुक्रवार रात 10 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा और 11 जनवरी के तड़के 02:40 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण 04 घंटे 01 मिनट की अवधि तक रहेगा। यह भारत समेत यूरोप, आस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में दिखाई देगा।
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क्या न करें
सूतक काल के दौरान सभी चीजों में तुलसी की पत्तियां डाल देनी चाहिए। मान्यता के मुताबिक ग्रहणकाल शुभ नहीं होता है, इसलिए इस दौरान चीजें दूषित हो जाती हैं। तुलसी की पत्ती डालने से चीजें शुद्ध बनी रहती हैं। वहीं आपको इस दौरान तुलसी के पौधे को भी स्पर्श नहीं करना चाहिए, सूतक काल के बाद तुलसी के पत्तों को ना तोड़ें। सूतक काल के दौरान भोजन में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें। वहीं ग्रहण समाप्ति के बाद तुलसी के पत्ते को हटा दें।
इस दौरान गर्भवती स्त्रियों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें सब्जी काटना, सुई मेंधागा डालना, पापड़ सेकना आदि उत्तेजित कार्यों से परहेज करना चाहिए। प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। गर्भवती स्त्री को ग्रहण में अपने घर से भी बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस दौरान हर तरफ नकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जिसकी वजह से गर्भवती मां के पेट में पल रहे शिशु पर भी काफी असर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीजों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। वैसे तो ग्रहणकाल में भोजन नहीं करना चाहिए लेकिन गर्भवती स्त्री, बीमार व्यक्ति और वृद्धजन के लिए जरूरी नहीं है वह चाहे तो इस समय फलाहार ले सकते हैं।
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ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल का छिड़ककर शुद्धिकरण करें। साथ ही घर में ताजा भोजन पकाएं और फिर ग्रहण करें। सूतक खत्म हो जाने के बाद पीने का पानी बदल लें। साथ ही जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करना चाहिए, भूखें लोगों को दान करना चाहिए। सूतक के बाद पेड़ पौधे जरूर लगना चाहिए।