Hydrogen Fuel Buses: कार्बन-तटस्थ लद्दाख बनाने की दिशा में हाइड्रोजन फ्यूल बसों की जल्द हावी शुरुआत
Hydrogen Fuel Buses: लद्दाख, लेह और कारगिल 'कार्बन मुक्त' क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं, जैसे पूर्वोत्तर में सिक्किम ने खुद को 'जैविक राज्य' के रूप में अपनी पहचान बनाई है।" प्रधानमंत्री जी के इसी विजन को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में अब भारत की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस सर्विस लेह, लद्दाख में शुरू होने जा रही है।
Hydrogen Fuel Buses: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लद्दाख क्षेत्र को कार्बन मुक्त बनाने के अपने विजन के अनुरूप 2020 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में कार्बन-तटस्थ लद्दाख के अपने लक्ष्य को देश के सामने रखा था। अब जबकि यह परियोजना दो साल से भी कम समय में अपने अंतिम चरण पर पहुंच चुकी है। ऐसे में प्रधान मंत्री ने अपने एक वक्तव्य में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा था कि "हिमालय की चोटियों में बसा लद्दाख अपनी नई बुलंदियों की ओर बढ़ रहा है। हमें अपनी प्राकृतिक संपदाओं की रक्षा के साथ ही उनकी उचित देखभाल भी करनी चाहिए". "लद्दाख, लेह और कारगिल 'कार्बन मुक्त' क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं, जैसे पूर्वोत्तर में सिक्किम ने खुद को 'जैविक राज्य' के रूप में अपनी पहचान बनाई है।" प्रधानमंत्री जी के इसी विजन को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में अब भारत की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस सर्विस लेह, लद्दाख में शुरू होने जा रही है। जो इन प्राकृतिक ऊर्जा से ओतप्रोत क्षेत्रों में पर्यावरण-अनुकूल परिवहन के एक नए युग का आगाज होगा।
आइए जानते हैं विस्तार से-
एनटीपीसी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही नई परियोजना-
लद्दाख को कार्बन-तटस्थ क्षेत्र बनाने की जिम्मेदारी भारत के सबसे बड़ी बिजली उत्पादक संस्था एनटीपीसी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही है। यह नई परियोजना लद्दाख को कार्बन-तटस्थ क्षेत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।इस अत्याधुनिक तकनीक का यह पहला कमर्शियल परीक्षण होगा ।
लद्दाख में ग्रीन ट्रांसपोर्ट
जिसके अंतर्गत पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली सेल बसों की शुरूआत कार्बन मुक्त लद्दाख बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध होगी। जिसके तहत प्रदेश के उच्च ऊंचाई वाले, ठंडे रेगिस्तान में सार्वजनिक सड़कों पर पहली पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन ईंधन सेल बस सेवा को धरातल पर लाने के लिए इसकी शुरुवात लेह से किए जाने का निर्णय लिया गया है।
एनटीपीसी ने लेह सरकार को इंट्रा-सिटी परिवहन के लिए सौंपी पांच हाइड्रोजन ईंधन सेल बसों की सौगात
भारत में सबसे बड़ा बिजली उत्पादक एनटीपीसी, इस परियोजना पर प्रमुखता से अपना दायित्व निभा रहा है। संस्था ने लेह सरकार को इंट्रा-सिटी परिवहन के लिए पांच हाइड्रोजन ईंधन सेल बसें सौंपी जानी हैं। इस सरकारी संगठन एनटीपीसी ने बसों को बिजली देने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए एक फ्यूल स्टेशन और 1.7-मेगावाट कैप्टिव सौर फेसिल्टी का भी निर्माण किया है। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार ने 7.5 एकड़ भूमि भी लीज पर प्रदान की है।
बाढ़ और भूस्खलन के कारण उद्घाटन में हुई देर
इस वर्ष अभी हाल ही में संपन्न हुए स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस बस सेवा को शुरू करने की योजना थी। लेकिन पहाड़ी इलाकों पर बाढ़ और भूस्खलन के कारण इस योजना को अंतिम रूप देने में काफी अड़चने आकार खड़ी हो चुकी हैं। जिस कारण ये बसें अपने तय समय पर लेह तक नहीं पहुंच पा रहीं हैं। यही वजह है कि अभी इस सेवा का आरंभ होने में थोड़ा समय लग रहा है।
एनटीपीसी के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज भी अब लॉन्च करेगी अपनी हाइड्रोजन बसें
हाइड्रोजन ईंधन सेल सेवा शुरू किए जाने की योजना के तहत रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड भी अब अपनी रुचि दिखा रही है। इस कंपनी ने हाइड्रोजन से चलने वाली बसों की टेस्टिंग भी शुरू कर दी है। जिसके बाद अब हाइड्रोजन ऊर्जा से चलने वाली बसें अब आम जन जीवन का एक हिस्सा बनती हुई दिखाई दे सकती हैं।जिस दिशा में अब कमर्शियल हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों का उपयोग सार्वजनिक हाईवे पर होता देखा जा सकेगा। मिली जानकारी के अनुसार इस तकनीक की टेस्टिंग पहली बार 11,500 फीट से अधिक ऊंचाई और कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में किया जाना तय हुआ है। सर्दियों में जब लेह का औसत तापमान शून्य से 20 डिग्री नीचे चला जाता है। इतने कम तापमान और बर्फीली हवा के बीच ये बसें अपने प्रदर्शन में कितना ज्यादा सफल होती हैं।ये आने वाला समय ही तय करेगा हालांकि इस संभावना की देखते हुए इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कई फीचर्स को शामिल किया जा रहा है।
एनटीपीसी के अधिकारियों के अनुसार, संगठन को इन नई टेक्नोलॉजी के साथ ईंधन विकालों में शामिल इस बड़े बदलाव में खुद को सबसे आगे रखने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन गुरदीप सिंह द्वारा मिली प्रेरणा से इस परियोजना को आगे बढ़ाने का हौसला मिला है। फिलहाल इस प्रोजेक्ट को एसआर बजट के जरिए वित्तीय सहायता मिल रही है। इसी के साथ अप्रैल 2020 में, एक वैश्विक रुचि पत्र जारी किया गया था, जिसमें अशोक लीलैंड को 2.5 करोड़ रुपये प्रति यूनिट की लागत पर बसें उपलब्ध कराने का ऑर्डर दिया गया था। हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों में यात्रा की लागत भी बेहद रियायती साबित होगी।