Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के बाद बिहार में 'मुस्लिम सीएम' बनाने की मांग हुई तेज, सोशल मीडिया पर चल रहा कैंपेन

Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के बाद बिहार में मुस्लिम सीएम बनाने की मांग जोर पकड़ चुकी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजर्स मुस्लिम मुख्यमंत्री’ हैशटैग चला रहे हैं। एक यूजर लिखता है – बिहार में यादवों की जनसंख्या 14.27 प्रतिशत है।

Update: 2023-10-03 10:45 GMT

जातीय जनगणना के बाद बिहार में 'मुस्लिम सीएम' बनाने की मांग हुई तेज, सोशल मीडिया पर चल रहा कैंपेन: Photo- Social Media

Bihar Caste Census: बिहार में कल यानी सोमवार 2 अक्टूबर को जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद नई सियासी बहस छिड़ गई है। सियासी जानकार एकबार फिर 90 के दशक की तरह देश में मंडल बनाम कमंडल की राजनीति होने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं। जो आंकड़े आए हैं, उसके मुताबिक राज्य में पिछड़ा और अति पिछड़ा मिलाकर सबसे अधिक 63 फीसदी आबादी ओबीसी की है। इसमें यादव समुदाय 14.27 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा समूह है। वहीं, दलित 19 प्रतिशत और मुस्लिम 17.7 प्रतिशत हैं।

इन आंकड़ों को लेकर बिहार की सत्तारूढ़ पार्टियां जदयू और राजद बेहद खुश नजर आ रही हैं। खासकर यादवों की बड़ी आबादी को लेकर राजद के खेमे में सबसे अधिक उत्साह देखा जा रहा है। लेकिन इस बीच अब एक नई मांग जोर पकड़ने लगी है। बिहार में ‘मुस्लिम सीएम’ बनाने की मांग शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर यूजर्स इस मांग के समर्थन में ‘मुस्लिम मुख्यमंत्री’ हैशटैग चला रहे हैं।

सोशल मीडिया पर चल रहा कैंपेन

जातीय जनगणना के बाद बिहार में मुस्लिम सीएम बनाने की मांग जोर पकड़ चुकी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजर्स मुस्लिम मुख्यमंत्री’ हैशटैग चला रहे हैं। एक यूजर लिखता है – बिहार में यादवों की जनसंख्या 14.27 प्रतिशत है। मुस्लिम की जनसंख्या 17.7 प्रतिशत है। राजद के एमवाय फार्मूले के हिसाब से ये दोनों मिलाकर 31.97 प्रतिशत है। ऐसे में मुस्लिम मुख्यमंत्री होना चाहिए। क्या ऐसा होगा ?

एक अन्य यूजर ने लिखा, बिल्कुल 2.65 प्रतिशत की आबादी वाले कुर्मी समाज से मुख्यमंत्री होना 98 प्रतिशत वालों के साथ अन्याय है। सबसे बड़ी आबादी मुस्लिमों की है तो मुस्लिम मुख्यमंत्री होना चाहिए। अनवर शेख नामक एक अन्य ट्विटर यूजर लिखते हैं - जिसकी जितनी आबादी उसको उतना ही हिस्सेदारी बात तो सही है, तो बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री कब बना रहे तुम लोग बताओ, 17.70% मुस्लिम है बिहार में, सभी कम्युनिटी में सबसे ज़्यादा। बिहार को अब मुस्लिम मुख्यमंत्री चाहिए।



वहीं सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर राजद सबसे अधिक है। एक यूजर लिखता है - न्यायप्रिय समाजवादी राजद को इस बार मुस्लिम मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बना ही देना चाहिए। मिसाल क़ायम कीजिए, मुस्लिम समुदाय ने राजद का साथ कभी नहीं छोड़ा, आँकड़ें गवाह हैं। अब राजद की बारी है, न्याय होना चाहिए। वहीं, एक अन्य यूजर लिखता है - लालू जी जनसंख्या के हिसाब से Bihar में मुस्लिम मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री तो होना ही चाहिए।



कांग्रेस की मांग नीतीश की बढ़ाएगी टेंशन

जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद एक तरफ जहां बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ सत्तारूढ़ महागठबंधन में भी घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस ने आंकड़ों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कुर्सी छोड़ने की मांग कर डाली है। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एक्स पर लिखा, जातीय “जनगणना” के आधार पर बिहार में सर्वाधिक संख्या “दलित” और “मुसलमानों” की है।

इस लिये अब नीतीश जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी दलित या मुसलमान को सौंप कर “जितनी जिसकी संख्या भारी-उतनी उसकी हिस्सेदारी” के स्लोगन को सार्थक करते हुए बाबा साहब के सपने को “साकार” कर देना चाहिए,क्यूँकि 20% दलित 18% मुस्लिम के होते हुए सिर्फ़ 3% वाली जाति का CM होना तो “बेईमानी” है।



वहीं, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने सीएम नीतीश कुमार से तीन उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग कर डाली है। उन्होंने कहा, बिहार के जातिय जनगणना के बाद"जिसकी जितनी संख्या भारी,उसकी उतनी हिस्सेदारी"के नारे एवं"परोपकार अपने घर से ही शुरू होता है"की कहावत को चरितार्थ करने के लिए सीएम नीतीश कुमार को अपने मंत्रिमंडल में आज ही एक-एक मुस्लिम,अतिपिछड़ा एवं अनुसूचित जाति को उपमुख्यमंत्री बनाना चाहिए।

सवर्ण जातियों की संख्या में हेराफेरी के गंभीर आरोप

बिहार सरकार द्वारा जो जातियों के आंकड़े सार्वजनिक किए गए हैं, उसके मुताबिक राज्य में सवर्णों की आबादी तेजी से घटी है। सवर्ण जातियों की आबादी 17 प्रतिशत से घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई है। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता अनिल शर्मा ने कहा कि नीतीश सरकार की जातीय गणना रिपोर्ट में हेराफेरी की गई ऐसा प्रतीत होता है।



बता दें कि बिहार सरकार द्वारा जारी जातिगत गणना की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में ईबीसी 36.01 प्रतिशत, ओबीसी 27 प्रतिशत, दलित 19.65 प्रतिशत, एसटी 1.68 प्रतिशत और सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं। पिछड़ों में सबसे बड़ी आबादी यादवों 14.26 प्रतिशत है। राज्य में हिंदुओं की आबादी 81.99 प्रतिशत और मुसलमानों की आबादी 17.7 प्रतिशत है। पिछड़ी जातियों में यादवों के बाद सबसे बड़ी जाति कुशवाहा 4.21 प्रतिशत है। वहीं सवर्णों में सबसे बड़ी संख्या ब्राह्मणों 3.65%, की है।

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