तेजस्वी के ऑफर के बाद चिराग ने उठाया ये कदम, बिहार की राजनीति में पक रही नई सियासी खिचड़ी
Bihar Political News In Hindi : बिहार की सियासत में चिराग को कई झटके लगने के बाद अब उनकी नजदीकियां राजद से बढ़ती दिख रही है।
Bihar Political News In Hindi : लोजपा सांसदों के अलग गुट को मान्यता देने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज होने के बाद हर किसी की नजर चिराग पासवान (Chirahg Paswan) के अगले कदम पर टिकी हुई है। इस बीच राजद नेता श्याम रजक (RJD Leader Shyam Rajak) से चिराग की मुलाकात ने बिहार में नई सियासी अटकलों को जन्म दे दिया है। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि राजद के राष्ट्रीय महासचिव रजक ने एक दिन पहले पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav)से मुलाकात के बाद चिराग से भेंट की है।
हालांकि दोनों नेताओं के बीच (Chirag meets RJD Leader) हुई बातचीत का ब्योरा तो बाहर नहीं आ सका मगर सियासी हलकों में इस मुलाकात की काफी चर्चा है। राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav Offer Chirag) पहले ही चिराग को साथ आने का न्योता दे चुके हैं। अब उनकी राजद नेता से मुलाकात के अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक दोनों नेताओं की मुलाकात बिहार में नई सियासी खिचड़ी पकने का संकेत मानी जा रही है।
चिराग को लगातार लग रहा झटका
लोजपा में पांच सांसदों की बगावत के बाद अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से एक दिन पहले बड़ा झटका लगा था। चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में लोजपा संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता देने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ चिराग ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे हाईकोर्ट ने पहली नजर में ही खारिज कर दिया।
चिराग पासवान इस मामले में खुशकिस्मत रहे कि कोर्ट ने उनके ऊपर जुर्माना नहीं ठोका। अदालत ने इस मामले में उन पर जुर्माना ठोकने की मंशा जाहिर की थी मगर चिराग के वकील के अनुरोध करने पर बाद में अदालत ने यह कदम नहीं उठाया।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारस को कैबिनेट मंत्री बनाकर चिराग को बड़ा झटका दिया था। अब हाईकोर्ट की ओर से याचिका खारिज किए जाने के बाद माना जा रहा है कि चिराग इस मुद्दे पर पूरी तरह कमजोर और अकेले पड़ चुके हैं।
लालू से भेंट के बाद चिराग से मिले रजक
बिहार की सियासत में चिराग ने पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बैर मोल ले रखा है। ऐसे हालात में उन्हें किसी सियासी सहारे की जरूरत महसूस हो रही है और इस नजरिए से राजद नेता श्याम रजक और उनकी मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रजक ने शुक्रवार को दिल्ली पहुंचने के बाद राजद के मुखिया लालू यादव से मुलाकात की थी। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से भी मुलाकात की थी। ऐसे में रजक के चिराग से मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
नया सियासी समीकरण गढ़ने की कोशिश
सियासी गलियारों में चर्चा है कि रजक लालू और तेजस्वी की ओर से कोई प्रस्ताव लेकर चिराग के पास पहुंचे थे। रजत और चिराग दोनों ने बातचीत के एजेंडे का ब्योरा नहीं दिया है मगर माना जा रहा है कि बिहार में नए सियासी समीकरण गढ़ने की कोशिश की जा रही है।
इसका मकसद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घेरेबंदी के साथ ही दलित वोटों पर राजद की नजर भी मानी जा रही है। चाचा पशुपति कुमार पारस की ओर से झटका खा चुके चिराग यदि तेजस्वी से हाथ मिलाते हैं तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होगा। राजद से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रजक ने चिराग को राजद के साथ मिलकर काम करने का न्योता दिया है।
पारस के मंत्री बनने से चिराग नाराज
बिहार के सियासी जानकारों का कहना है कि लोजपा में टूट के बाद से ही राजद की नजर चिराग पर लगी हुई है। दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से याचिका खारिज किए जाने और पारस के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो जाने के बाद चिराग भी काफी नाराज बताए जा रहे हैं।
लोजपा में टूट के प्रकरण में चिराग को भाजपा की ओर से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने पीएम मोदी को राम और खुद को उनका हनुमान बताया था। उनकी आखिरी उम्मीद पीएम मोदी पर टिकी हुई थी मगर पीएम मोदी ने पारस को मंत्री बनाकर उनकी आखिरी उम्मीद भी तोड़ दी है।
हाईकोर्ट के फैसले से पारस गदगद
दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद लोजपा पर कब्जे की जंग में पारस गुट चिराग पर भारी पड़ता दिख रहा है। खुद को मंत्री बनाए जाने और चिराग की याचिका रद्द होने से पारस भी गदगद हैं। उनका कहना है कि चिराग की याचिका में कोई भी दम नहीं था और उनकी ओर से याचिका दायर किया जाना ही असंवैधानिक था।
उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी संस्था लोकसभा से मुझे दल के नेता रूप में मान्यता मिली है। स्पीकर ने बिल्कुल नियम संगत फैसला किया है। पारस ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि चिराग की ओर से स्पीकर के फैसले को चुनौती देना ही अनुचित था।
चिराग के अगले कदम पर सबकी नजर
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार लोजपा को कमजोर बनाने में जुटे हुए हैं।।सबसे सबसे पहले उन्होंने लोजपा के टिकट पर जीतने वाले एकमात्र विधायक को जदयू में शामिल करके चिराग को बड़ा झटका दिया था l लोजपा की टूट में भी नीतीश की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। उन्होंने अपने नजदीकी वरिष्ठ जदयू नेता ललन सिंह के माध्यम से ऑपरेशन लोजपा को अंजाम दिया।
अब पारस को मंत्री बनाए जाने में भी नीतीश मददगार बने हैं। जानकारों के मुताबिक पहले भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पारस को मंत्री बनाने का इच्छुक नहीं था मगर नीतीश ने अपनी पार्टी जदयू के कोटे से एक मंत्री कम करके पारस को मंत्रिपरिषद में लेने का दबाव बनाया था। नीतीश और पारस गुट की दोहरी चुनौतियों में घिरे चिराग पासवान के अगले सियासी कदम पर हर किसी की नजर लगी हुई है। अब यह देखने वाली बात यह होगी कि राजद की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर वे क्या कदम उठाते हैं।