Bihar Politics: नीतीश कुमार की मजबूत घेरेबंदी में जुटी भाजपा, शाह और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात के क्या हैं सियासी मायने

Bihar Politics: उपेंद्र कुशवाहा की गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात को नीतीश कुमार के घेरेबंदी की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है।

Update:2023-04-21 15:30 IST
Nitish Kumar, Upendra Kushwaha, Amit Shah (photo: social media )

Bihar Politics: बिहार में भाजपा 2024 की सियासी जंग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मजबूत घेरेबंदी में जुट गई है। जदयू से इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोसपा) का गठन करने वाले उपेंद्र कुशवाहा की गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात को नीतीश कुमार के घेरेबंदी की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक बंद कमरे में दोनों नेताओं के बीच करीब पौन घंटे तक चले मंथन के दौरान बिहार के सियासी हालात और नीतीश के खिलाफ मजबूत रणनीति पर चर्चा की गई।

कुशवाहा इन दिनों नीतीश कुमार पर हमला करने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान करने में जुटे हुए हैं। उनके जल्द ही एनडीए का हिस्सा बनने की उम्मीद जताई जा रही है। कुशवाहा के साथ ही भाजपा चिराग पासवान और वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी को भी अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा की ओर से की जा रही इन कोशिशों को 2024 की सियासी जंग से जोड़कर देखा जा रहा है।

नीतीश कुमार पर भाजपा हमलावर

सियासी जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने के बाद भाजपा के लिए बिहार के जातीय और सियासी समीकरण को साधना एक बड़ी चुनौती बन गया है। गृह मंत्री अमित शाह नीतीश कुमार को सबक सिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने हाल के दिनों में बिहार के कई दौरे किए हैं। अपने पिछले दौरे के समय उन्होंने साफ कर दिया था कि नीतीश कुमार की अब एनडीए में वापसी किसी सूरत में नहीं हो सकती।

अपनी सभाओं में नीतीश कुमार पर तीखा हमला करने वाले अमित शाह बिहार में जातीय समीकरण साधने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं। उपेंद्र कुशवाहा और शाह की मुलाकात को भाजपा की ओर से समीकरण साधने की बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

जातीय समीकरण साधने पर गंभीर चर्चा

गृह मंत्री अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात के दौरान बिहार प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल भी मौजूद थे। उन्होंने दोनों नेताओं की मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया। दूसरी ओर भाजपा के एक नेता ने कहा कि जब दो अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता 45 मिनट तक बातचीत करते हैं तो यह महज शिष्टाचार मुलाकात नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं के बीच बिहार के जातीय और सियासी समीकरणों पर गंभीर चर्चा हुई है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि कुशवाहा गृहमंत्री शाह के पिछले बिहार दौरे के समय ही उनसे मुलाकात करने वाले थे मगर उस समय किन्ही कारणों से दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हो सकी थी। सियासी जानकारों का मानना है कि दोनों नेताओं की यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा सोशल इंजीनियरिंग के जरिए बिहार के सियासी समीकरण को साधने की कोशिश में जुटी हुई है।

नीतीश के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश

नीतीश कुमार को सियासी रूप से कमजोर बनाने के लिए भाजपा की ओर से हाल में एक बड़ा कदम उठाया गया था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कुशवाहा समाज से ताल्लुक रखने वाले सम्राट चौधरी को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपी है। ऐसे में अगर उपेंद्र कुशवाहा की एनडीए में वापसी होती है तो यह पार्टी के लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) आधार को मजबूत बनाने वाला कदम होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसी वोट बैंक के दम पर बिहार में राज करते रहे हैं और अब भाजपा इसी पर चोट करने की कोशिश में जुटी हुई है।

कुशवाहा के जदयू से इस्तीफे के बाद से ही बिहार की सियासत में उनके भाजपा से हाथ मिलाने की सियासी अटकलें लगाई जाती रही हैं। कुशवाहा 2024 की सियासी जंग में विपक्ष को एकजुट बनाने की नीतीश कुमार की कोशिशों को पहले ही खारिज कर चुके हैं। उनका कहना है कि विपक्ष में पीएम पद के दर्जनभर उम्मीदवार हैं और ऐसे में विपक्षी एकजुटता का सपना कभी पूरा नहीं होने वाला है।

चिराग और सहनी पर भी भाजपा की निगाहें

कुशवाहा के अलावा भाजपा ने लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान और वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी पर भी नजरें गड़ा रखी हैं। केंद्र सरकार की ओर से उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी को वाई प्लस सुरक्षा पहले ही दी जा चुकी है जबकि चिराग पासवान की सुरक्षा को वाईप्लस से बढ़ाकर जेड श्रेणी में कर दिया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से उठाए गए इस कदम को भी बिहार की सियासत में तीनों नेताओं को गोलबंद करने की कोशिश के रूप में ही देखा गया था।

कुशवाहा के एनडीए से हाथ मिलाने के संकेत

भाजपा के प्रति चिराग पासवान और मुकेश सहनी का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है और अब उपेंद्र कुशवाहा भी भाजपा के साथ गठबंधन की इस दिशा में कदम बढ़ाते दिख रहे हैं। कुशवाहा ने 2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया गया था।

2017 में नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़कर एनडीए में फिर वापस आने के बाद उनका समीकरण बिगड़ गया था और वे 2018 में एनडीए से अलग हो गए थे। अब नीतीश कुमार के महागठबंधन में वापसी के बाद वे एक बार फिर एनडीए में वापसी के लिए बेताब दिख रहे हैं।

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