Bihar Politics: बिहार में चिराग और पारस गुट में सुलह कराने की तैयारी, सामाजिक समीकरण साधने में जुटी बीजेपी

Bihar Politics: बीजेपी ने आने वाले दिनों में लोजपा के दोनों गुटों यानी चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच सुलह कराने की योजना बनाई है। ऐसा कर BJP बड़ा लक्ष्य हासिल करना चाहती है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-08-18 09:08 GMT

बीजेपी चिराग और पारस गुट में सुलह कराने की तैयारी में 

Bihar Politics : बिहार में जनता दल यूनाइटेड (JDU) से नाता टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) नया समीकरण बनाने की कोशिश में जुट गई है। बिहार में विधानसभा चुनाव तो 2025 में होने हैं, मगर उसके पहले भाजपा को 2024 में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) की बड़ी सियासी जंग लड़नी है। इस सियासी जंग में महागठबंधन को चुनौती देने के लिए भाजपा ने अगड़ों, अति पिछड़ों और दलितों का समीकरण बनाने की रणनीति तैयार की है। 

इस समीकरण को अमलीजामा पहनाने के लिए पार्टी की योजना लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के दोनों गुटों चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उनके चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Union Minister Pashupati Kumar Paras) के बीच सुलह कराने की है। बीजेपी सूत्रों का कहना है, कि हालांकि यह आसान काम नहीं है। मगर, भाजपा नेतृत्व की ओर से जल्द ही इस दिशा में प्रयास शुरू किया जाएगा। यदि भाजपा नेतृत्व को इस काम में कामयाबी मिली तो पार्टी को दलित समीकरण साधने में आसानी होगी।

2019 के चुनाव में मिला था बड़ा फायदा 

लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान को बिहार का बड़ा दलित चेहरा माना जाता रहा है। लोजपा के साथ गठबंधन से बीजेपी को सियासी फायदा भी हुआ था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जदयू के साथ ही लोजपा से भी गठबंधन किया था। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 17, जदयू को 16 और लोजपा को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। एनडीए गठबंधन ने राज्य की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी।

अब नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद बिहार की सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। पिछले विधानसभा चुनाव में लोजपा ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, इस चुनाव में लोजपा को सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल हुई थी। वैसे, लोजपा के अलग चुनाव लड़ने के फैसले से एनडीए गठबंधन को कई सीटों पर नुकसान भी उठाना पड़ा था। 

बिखराव के बाद कमजोर पड़ी लोजपा 

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद लोजपा में बिखराव हो गया था। पशुपति पारस की अगुवाई में 5 सांसदों ने अलग गुट बना लिया था। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने इस गुट को मान्यता भी दे दी। बाद में पशुपति पारस को मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला था। वैसे इस बिखराव के बाद लोजपा की सियासी ताकत काफी कम हो गई है। इसी कारण भाजपा अब पारस और चिराग गुट में सुलह कराने की इच्छुक है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि दोनों गुटों में 'एका' होने के बाद लोजपा दलित समीकरण साधने में भाजपा के लिए काफी मददगार साबित होगी। 

भाजपा की बैठक में बनी रणनीति 

भाजपा मुख्यालय में मंगलवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक के दौरान भी इस मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई थी। इस दौरान कई नेताओं का मानना था कि यदि दोनों गुटों में सुलह हो जाती है तो इससे भाजपा को बड़ा सियासी फायदा हो सकता है। माना जा रहा है कि बिहार के बदले हुए सियासी हालात में भाजपा चिरागों को हम के मुखिया जीतन राम मांझी के समकक्ष खड़ा करना चाहती है। बैठक के दौरान कई नेताओं का कहना था कि लोजपा के साथ रामविलास पासवान का नाम जुड़ा होने के कारण अभी भी दलितों की सहानुभूति इस दल के साथ है, जो भाजपा के लिए चुनाव में फायदेमंद साबित हो सकती है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी में हुई चर्चा के बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से जल्द ही चिराग और पशुपति पारस के बीच मेल कराने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

चिराग का नीतीश विरोधी रुख

हाल के दिनों में लोजपा नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) जदयू के प्रति काफी हमलावर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले से ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वे अभी भी लगातार नीतीश कुमार पर हमला करने में जुटे हैं। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का 'हनुमान' बताने वाले चिराग का यह रुख भाजपा को काफी मुफीद लग रहा है। इसी कारण पार्टी जल्द लोजपा को एकजुट करने की मुहिम शुरू कर सकती है। इसके साथ ही पार्टी ने भ्रष्टाचार और खराब कानून-व्यवस्था के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है।

पार्टी ने बिहार की 35 लोकसभा सीटों पर जीत का टारगेट तय किया है। आने वाले दिनों में पार्टी के बिहार संगठन में भी बड़ा बदलाव करने की तैयारी है। पार्टी के युवा और तेज तर्रार नेताओं को आगे लाने की तैयारी है। पार्टी ने आक्रामक रणनीति अपनाने शुरू कर दी है और पार्टी सूत्रों का मानना है कि आने वाले दिनों में इसके नतीजे दिखेंगे।

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