Caste Census in Bihar: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा, चुनौती देने वाली याचिका पर 20 को होगी सुनवाई

Caste Census in Bihar: सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को मंजूर कर लिया है और इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-01-11 08:53 GMT

सुप्रीम कोर्ट  (photo: social media )

Caste Census in Bihar: बिहार में जातीय जनगणना का काम शुरू हो गया है मगर अब यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंच गया है। जातीय जनगणना कराने के नीतीश सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को मंजूर कर लिया है और इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य सरकार को जातिगत जनगणना कराने का अधिकार ही नहीं है।

याचिका में मांग की गई है कि जातीय जनगणना कराने के लिए नीतीश सरकार की ओर से 6 जनवरी को जारी नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए। जातीय जनगणना के मुद्दे पर इन दिनों बिहार की सियासत गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहां है कि इससे समाज के सभी वर्गों तक विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी।

याचिका में उठाए कई सवाल

सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में बिहार में जातीय जनगणना के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में बिहार सरकार के नोटिफिकेशन को अवैध और असंवैधानिक बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को इस दिशा में कदम उठाने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए जातीय जनगणना के काम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। बिहार सरकार के इस कदम को संविधान की मूल भावना के खिलाफ और मूल ढांचे का उल्लंघन बताया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या राज्य में जातिगत जनगणना कराने का फैसला सभी राजनीतिक दलों की सहमति से लिया गया है? इसके साथ ही यह भी सवाल उठाया गया है कि क्या भारत का संविधान किसी राज्य सरकार को जातिगत जनगणना कराने का अधिकार देता है?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें

जातिगत जनगणना के मुद्दे पर इन दिनों बिहार की सियासत गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। केंद्र सरकार के इस बाबत तैयार न होने पर राज्य सरकार ने अपने स्तर पर जातिगत जनगणना का काम शुरू करवा दिया है। जातिगत जनगणना का काम दो चरणों में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पहले चरण में मकानों की नंबरिंग और गणना का काम किया जा रहा है। इस काम के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट भी मंजूर किया गया है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद सबकी निगाहें देश की शीर्ष अदालत के फैसले पर लगी हुई हैं।

नीतीश और तेजस्वी नहीं बताया सही कदम

इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि जातीय जनगणना से राज्य के हर परिवार के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना से प्रदेश के विकास के साथ ही समाज के उत्थान में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराना चाहते थे मगर केंद्र सरकार सहमत नहीं हुई। अब हम बिहार के स्तर पर यह काम करा रहे हैं और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजी जाएगी।

दूसरी ओर राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी बिहार सरकार के इस कदम को उचित बताया है। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के जरिए विभिन्न जातियों के लोगों की आर्थिक स्थिति की सही जानकारी मिलेगी। यह जानकारी विकास की योजनाएं शुरू करने में मददगार बनेगी। इससे लोगों को फायदा मिलने के साथ ही क्षेत्र का विकास भी होगा। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद सिर्फ जातियों की गणना ही नहीं बल्कि लोगों की आर्थिक स्थिति के संबंध में सर्वेक्षण करना भी है। जातिगत जनगणना का काम पूरा होने के बाद इसकी जानकारी केंद्र सरकार के पास भी भेजी जाएगी।

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