चिराग को लगेगा अभी एक और बड़ा झटका, पार्टी के बाद अब जनपथ के बंगले से भी होंगे बेदखल
Chirag Paswan Janpath Bungalow: जनपथ स्थित 12 नंबर का यह आलीशान बंगला चिराग के पिता रामविलास पासवान को विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में आवंटित हुआ था।
Chirag Paswan Janpath Bungalow: लोजपा (LJP) पर कब्जे की लड़ाई में चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) से पिछड़ चुके चिराग पासवान को अभी एक और बड़ा झटका लगने की संभावना जताई जा रही है। जल्द ही उन्हें 12 जनपथ स्थित उस आलीशान बंगले को छोड़ना पड़ सकता है जिसमें वह अपने पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के साथ काफी दिनों तक रहे हैं। उन्होंने 30 साल से ज्यादा का वक्त इस बंगले में गुजारा है मगर अब यह बंगला उनके हाथ से निकल सकता है।
जानकारों के मुताबिक पहले यह बंगला हाल में केंद्रीय मंत्री बने पशुपति पारस को आवंटित करने की तैयारी थी मगर वे इसमें रहने को तैयार नहीं हैं। अब यह बंगला उनकी जगह जदयू अध्यक्ष और हाल में केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेने वाले आरसीपी सिंह को आवंटित किया जा सकता है।
वीपी सिंह के समय आवंटित हुआ था बंगला
जनपथ स्थित 12 नंबर का यह आलीशान बंगला चिराग के पिता रामविलास पासवान को विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में आवंटित हुआ था। 1982 में पैदा हुए चिराग की उम्र उस समय मात्र आठ साल थी और वह तभी से अपने माता-पिता के साथ इस आलीशान बंगले में रहते आए हैं। उनके बचपन और युवावस्था का लंबा समय इसी बंगले में बीता है और उन्होंने राजनीति का ककहरा भी इसी बंगले में सीखा है।
इस कारण बंगले में नहीं रह सकते चिराग
मंत्री न रहने पर भी यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान रामविलास पासवान को इस बंगले से नहीं हटाया गया था। 2009 का चुनाव हारने और 2010 में राज्यसभा सदस्य बनने के बीच की अवधि में उन्होंने बाजार दर पर इस बंगले के किराए का भुगतान किया था। यह बंगला केंद्रीय मंत्री या उसी स्तर के लोगों के लिए ही निर्धारित है और चिराग पासवान मौजूदा समय में महज सांसद हैं।
इस कारण वे इस बंगले में रहने की योग्यता नहीं पूरी करते। माना जा रहा है कि उन्हें जल्द ही बंगले से बेदखल किया जा सकता है। सांसद के रूप में चिराग को एक और आवास मिला हुआ है, लेकिन वे इसी बंगले में रहते हैं और लोकसभा की वेबसाइट पर भी उनके आवासीय पते के तौर पर यही बंगला दर्ज है।
पशुपति पारस इस बंगले में रहने के इच्छुक नहीं
जानकारों का कहना है कि यह बंगला अब बिहार के किसी मंत्री को आवंटित किया जा सकता है। पशुपति पारस ने इस बंगले में जाने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वे बड़े भाई रामविलास पासवान के पर्याय की तरह रहे इस आवास में रहने के इच्छुक नहीं हैं। उनके मुताबिक यहां रहने के दौरान मुझे हर वक्त अपने बड़े भाई की कमी महसूस होगी।
सूत्रों के मुताबिक पारस ने काफी सोच समझ कर यह फैसला लिया है क्योंकि उनके इस बंगले में रहने से चिराग उसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर सकते थे। इसके जरिए उन्हें बिहार के लोगों की सहानुभूति भी हासिल हो सकती थी। ऐसे में पारस ने पहले ही इस बंगले में रहने से इनकार कर दिया है।
आरसीपी सिंह को मिल सकता है बंगला
पारस के इनकार करने के बाद अब यह बंगला बिहार से ही हाल में मंत्री बने आरसीपी सिंह को मिल सकता है। केंद्रीय मंत्री की शपथ लेने के बाद आरसीपी सिंह को इस्पात मंत्रालय दिया गया है। वे अभी तक सांसद आवास में रहते रहे हैं मगर मंत्री बनने के बाद उन्हें बड़ा बंगला मिलना है। ऐसे में अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि यह बंगला उन्हें आवंटित किया जा सकता है।
चिराग को लगेगा एक और बड़ा झटका
इस तरह यह तय माना जा रहा है कि जल्द ही चिराग पासवान को इस बंगले से भी बेदखल होना पड़ेगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दस जनपथ में रहती हैं और उनके आवास के पास ही लुटियन जोन में 12 जनपथ का यह आलीशान बंगला स्थित है। लोजपा पर प्रभुत्व की लड़ाई में भी चाचा पशुपति पारस ने चिराग को जबर्दस्त झटका दिया है। पांच सांसदों के साथ अलग गुट बनाने के बाद पारस गुट को लोकसभा स्पीकर की ओर से भी मान्यता मिल चुकी है।
स्पीकर के फैसले के खिलाफ चिराग की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने पहली नजर में ही खारिज कर दिया। इसके साथ ही पारस मोदी कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ भी ले चुके हैं। हाल के दिनों में हुए सियासी घटनाक्रम से साफ है कि लोजपा पर कब्जे की लड़ाई में चिराग पारस के सामने लगातार कमजोर और अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। अब उन्हें उस बंगले से भी हाथ धोना पड़ेगा जिसके साथ उनकी और उनके पिता रामविलास पासवान की स्वर्णिम यादें जुड़ी हुई हैं।