Bihar Politics: महिलाओं और मांझी पर नीतीश की टिप्पणी के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश, राजद और जदयू ने तैयार किया विशेष प्लान, आरक्षण को हथियार बनाने की तैयारी
Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से महिलाओं पर की गई विवादित टिप्पणी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के खिलाफ विधानसभा में तीखे तेवर दिखाए जाने के बाद राज्य की सियासत गरमाई हुई है।
Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से महिलाओं पर की गई विवादित टिप्पणी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के खिलाफ विधानसभा में तीखे तेवर दिखाए जाने के बाद राज्य की सियासत गरमाई हुई है। भाजपा नेताओं की ओर से इन दोनों मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जा रहा है, जिससे जदयू और राजद की सियासी जमीन को धक्का लगने की आशंका पैदा हो गई है। राजद और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी नीतीश कुमार की इन टिप्पणियों पर नाराजगी जताई है।
ऐसे में देश मेंअगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सियासी नुकसान को बचाने के लिए अब जदयू और राजद ने विशेष प्लान तैयार किया है। दोनों दलों की ओर से बनाई गई रणनीति के तहत अब बिहार के गांव-गांव जाकर लोगों को आरक्षण से होने वाले फायदे के बारे में जानकारी दी जाएगी। सियासी जानकारों का मानना है कि जातिगत जनगणना के बाद नीतीश सरकार की ओर से पारित कराए गए 75 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव का महागठबंधन को बड़ा सियासी लाभ मिल सकता है। इस कारण महागठबंधन के दोनों दलों ने यह रणनीति अपनाने का फैसला किया है।
विवादित बयान पर नीतीश को मांगनी पड़ी थी माफी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों जनसंख्या नियंत्रण पर चर्चा के दौरान महिलाओं को लेकर ऐसा बयान दिया था जिस पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ ही महागठबंधन के सहयोगी दलों के नेता भी नीतीश के इन बयानों के कारण असहज स्थिति में दिखे। कांग्रेस और राजद के कुछ नेताओं ने भी नीतीश के बयान पर विरोध जताया था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भी नीतीश की भाषा पर सवाल खड़े किए थे।
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महिलाओं संबंधी बयान के कारण नीतीश कुमार ने सदन के भीतर और बाहर माफी भी मांगी थी। यहां तक कि उन्होंने खुद अपनी निंदा करने की बात तक कह डाली थी। बढ़ते दबाव के कारण नीतीश कुमार को यह कदम उठाना पड़ा था। नीतीश के इन बयानों ने महागठबंधन को बैकफुट पर धकेल दिया था और इसी कारण अब आने वाले दिनों में राजद और जदयू की ओर से आक्रामक रणनीति बनाई गई है।
अब आरक्षण को हथियार बनाने की तैयारी
पटना में जदयू दफ्तर के साथ ही अन्य प्रमुख स्थानों पर ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं जिनमें यह बताने की कोशिश की गई है कि आरक्षण का दायरा बढ़ाने के साथ बिहार की जनता को कितना बड़ा लाभ होने वाला है। इसके साथ ही यह भी बताने का प्रयास किया गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण ही इतना बड़ा कदम उठाने में कामयाबी मिल सकी है। अब इस बात का प्रचार बिहार के गांव-गांव में करने की तैयारी है। जदयू और राजद कार्यकर्ताओं को इसके लिए सक्रिय किया जाएगा ताकि बिहार के सभी इलाकों में इसका व्यापक प्रचार करके राजनीतिक फायदा उठाया जा सके।
नीतीश कुमार का फैसला ऐतिहासिक
जदयू के एमएलसी नीरज कुमार का कहना है कि नीतीश सरकार की ओर से आरक्षण का दायरा बढ़ाने का ऐतिहासिक फैसला किया गया है। इतना बड़ा फैसला नीतीश कुमार जैसे मुख्यमंत्री ही ले सकते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के विभिन्न गांवों में लोगों को इस फैसले की जानकारी देने की बात कही है। पार्टी के कार्यकर्ता विभिन्न गांवों का दौरा करके लोगों को बताएंगे की नीतीश सरकार के फैसले से उनकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव आने वाला है।
जनता के बीच प्रचार की आक्रामक रणनीति
राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव का भी कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाकर बहुत बड़ा काम किया है। भाजपा की ओर से इसे असफल बनाने की पूरी कोशिश की गई मगर पार्टी को कामयाबी नहीं मिल सकी। नीतीश सरकार की ओर से जातिगत जनगणना इसीलिए कराई गई थी ताकि पिछड़ों और अति पिछड़ों को आरक्षण का उचित लाभ दिया जा सके।
अब हम जनता के बीच जाकर लोगों को यह बताने की पूरी कोशिश करेंगे की नीतीश सरकार के इस कदम से उन्हें कितना बड़ा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन में जबर्दस्त बेचैनी दिख रही है। उन्हें इस बात का आभास हो गया है कि इस कदम का बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना है। अब यह देखने वाली बात होगी कि जदयू और राजद की इस रणनीति का भाजपा की ओर से कैसे जवाब दिया जाता है।