बिन लालू सब सून: 30 साल में पहली बार हुआ ऐसा, हर जगह छाए बेटे तेजस्वी

बिहार में तीन दशक की राजनीति में पहली बार ऐसा हो रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले पोस्टरों से लालू प्रसाद यादव गायब हैं और उनकी जगह पुत्र तेजस्वी यादव छाए हुए हैं।

Update: 2020-09-16 08:46 GMT
बिन लालू सब सून: 30 साल में पहली बार हुआ ऐसा, हर जगह छाए बेटे तेजस्वी (social media)

नई दिल्ली: बिहार में तीन दशक की राजनीति में पहली बार ऐसा हो रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले पोस्टरों से लालू प्रसाद यादव गायब हैं और उनकी जगह पुत्र तेजस्वी यादव छाए हुए हैं। इन पोस्टर्स को देखकर लालू के चाहने वालों में जहां निराशा है वहीं पार्टी की इस हरकत से लोग नाराज भी है। 1989 में जनता दल के गठन के बाद हुए चुनाव के बाद से लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में शीर्ष नेता के तौर पर पहचाने जाते रहे है। बिहार के हर चुनाव में चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो अथवा विधानसभा का। लालू यादव के पोस्टर हर जगह छाए रहते थें।

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लालू प्रसाद यादव ने 1997 में राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया

इसके बाद जनता दल में जब टूट हुई और लालू प्रसाद यादव ने 1997 में राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया तो लालू का कद और बढ़ गया। यहां तक कि चारा घोटाला में जेल जाने के बाद भी जब राबडी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनी तो पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव में भी पार्टी कार्यकर्ता लालू प्रसाद यादव के सहारे ही चुनावी नैया पार करते रहे। पर इस बार पार्टी गठन के बाद यह पहला अवसर है जब पार्टी कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर में न तो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव दिख रहे हैं और न ही राबडी देवी। हर पोस्टर में तेजस्वी यादव ही दिख रहे हैं। पर तेजस्वी के इस कदम को लोग अच्छा नहीं मान रहे हैं।

तेज प्रताप यादव की अनदेखी भी लोगों को नहीं भा रही है

इस पोस्टर में तेजस्वी नई सोच, नया बिहार, युवा सरकार, अबकी बार के नारे वाला यह पोस्टर पीले रंग का है। इसमें तेजस्वी के पीछे बिहार का नक्शा है, जिसमें वह महागंठबंधन का नेतृत्व करते नजर आ रहे हैं। मगर कुछ लोग तेजस्वी के इस नक्शे से काफी नाराज भी हैं उनको लगता है कि लालू यादव ही राजद को को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा तेज प्रताप यादव की अनदेखी भी लोगों को नहीं भा रही है। विधानसभा चुनाव के पहले राजनीति में युवा सोच का दम्भ भरने वाले तेजस्वी यादव पिछले लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से असफल साबित हो चुके है।

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लालू प्रसाद के जेल में रहने के कारण उनके दल को एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी थी। हालांकि अभी बिहार चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है पर लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में होने जा रहे इस विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल बिना लालू के बेहद कमजोर साबित हो सकता है। क्योंकि राजद के पास कोई बडा नेता नहीं है और तेजस्वी यादव की कोई खास लोकप्रियता भी नहीं है। इसके अलावा लालू के परिवार मे आपसी खींचतान भी खूब है जिसके कारण पार्टी में भी गुटबाजी साफ दिख रही है।

श्रीधर अगनिहोत्री

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